इंदौर

शरीर भले ही नश्वर हो, सदकर्म अमर ही रहते हैं 

बिजासन रोड स्थित अखंड धाम आश्रम के ब्रह्मलीन संत वेदांत केसरी लक्ष्मणानंद महाराज की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि सभा

अविनाशी अखंड धाम आश्रम

शरीर भले ही नश्वर हो, सदकर्म अमर ही रहते हैं

बिजासन रोड स्थित अखंड धाम आश्रम के ब्रह्मलीन संत वेदांत केसरी लक्ष्मणानंद महाराज की पुण्यतिथि पर पुष्पांजलि सभा

 

इंदौर। । जीवन में कर्मों की श्रेष्ठता ही हमारे चरित्र का निर्धारण करती हैं। मनुष्य का शरीर भले ही नश्वर हो, लेकिन उनके द्वारा किए गए सदकर्म अमर ही रहते हैं। अखंड धाम के ब्रह्मलीन वेदांत केसरी स्वामी लक्ष्मणानंद महाराज ने जीवन पर्यंत अपने सेवा कर्मों से पीड़ित मानवता की सेवा के साथ ही समाज को धर्म और संस्कृति से भी जोड़े रखा। उनकी 21वीं पुण्यतिथि के अवसर पर आज उनका पुण्य स्मरण इसलिए भी किया जाना चाहिए कि उन्होंने समाज और सनातनी संस्कृति को मजबूत बनाने की प्रेरणा और ऊर्जा प्रदान की है।

बिजासन रोड स्थित अविनाशी अखंड धाम आश्रम पर बुधवार को वेदांत केसरी स्वामी लक्ष्मणानंद महाराज की 21वीं पुण्यतिथि महामंडलेश्वर डॉ. स्वामी चेतन स्वरूप महाराज के सानिध्य एवं साध्वी आदित्य चेतना गिरि, नर्मदा तट से आए संत भिखारी बाबा के विशेष आतिथ्य में हवन-पूजन व पुष्पांजलि के साथ मनाते हुए उपस्थित संतों-महंतों ने उक्त विचार व्यक्त किए। समाजसेवी किशोर गोयल, अशोक गोयल, शैलेन्द्र मित्तल (उज्जैन), सीए विजय गोयनका एवं जानकीलाल सांखला विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थे। इस अवसर पर आश्रम की प्रबंध समिति के अध्यक्ष हरि अग्रवाल, भावेश दवे, रणधीर दग्दी, ठा. विजयसिंह परिहार आदि ने अतिथियों का स्वागत किया। स्वामी राजानंद, ठा. विजयसिंह परिहार एवं अन्य वक्ताओं ने उनसे जुड़े प्रेरक संस्मरण सुनाए।

*अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन की तैयारियों पर चर्चा* – पुष्पांजलि के पश्चात अ.भा. अखंड वेदांत संत सम्मेलन के 4 दिसम्बर से प्रारंभ होने वाले आयोजन की तैयारियों पर भी विचार-मंथन किया गया। महिला समिति की ओर से श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव, वर्षा जैन, श्रद्धा सुमन सेवा समिति के शंकरलाल वर्मा, डॉ. चेतन सेठिया, निरंजन पुरोहित, जगदीश गुप्ता, राहुल शर्मा, नरसिंह सांखला, किशोर सांखला ने भी अपने विचार और सुझाव व्यक्त किए। बड़ी संख्या में उपस्थित संत-महंत एंव विशिष्ट अतिथियों ने संत सम्मेलन की तैयारियों पर अपने सुझाव रखे। संचालन हरि अग्रवाल ने किया और आभार माना परीक्षित पवार ने।

 

 

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