
लोहारपट्टी स्थित खाड़ी के मंदिर पर चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ में धूमधाम से मना कृष्ण जन्मोत्सव
इंदौर। अहंकार युक्त ज्ञान और संस्कार मुक्त स्वतंत्रता व्यक्ति को पतन की ओर ले जाते हैं। जिस ज्ञान में अहंकार आ जाए, वह ज्ञान किसी भी काम का नहीं हो सकता। इसी तरह जिस स्वतंत्रता में संस्कार नहीं होते, वह स्वच्छंदता बन जाती है। वर्तमान युग धर्म के जागरण का युग है। भागवत कथा जीवन के संशयों से मुक्ति का सहज माध्यम है। जीवन का आनंद भक्ति में है, भोग में नहीं।
भागवताचार्य योगेश्वरदास महाराज के, जो उन्होंने लोहारपट्टी स्थित श्रीजी कल्याण धाम, खाड़ी के मंदिर पर राधा रानी महिला मंडल के सहयोग से हंस पीठाधीश्वर महामंडलेश्वर स्वामी रामचरणदास महाराज के सानिध्य में चल रहे भागवत ज्ञान यज्ञ के चतुर्थ दिवस पर विभिन्न प्रसंगों की व्याख्या के दौरान व्यक्त किए । कथा में श्रीकृष्ण जन्मोत्सव भी धूमधाम से मनाया गया। इसी तरह राम जन्मोत्सव भी पूरे जोश और उल्लास के साथ संपन्न हुआ। कथा शुभारंभ के पूर्व राधारानी महिला मंडल की ओर से श्रीमती वर्षा शर्मा, प्रफुल्ला शर्मा, हंसा पंचोली, उर्मिला प्रपन्न, मंजू शर्मा, ज्योति शर्मा कामाख्या, हेमलता वैष्णव, मधु गुप्ता आदि ने किया।
भागवताचार्य योगेश्वरदास ने कहा कि केवल परमात्मा ही चैतन्य स्वरूप हैं। बाकी सब जड़ हैं। हम सब संसार के रिश्तों से ऊपर उठकर परमात्मा के ही तत्व हैं। भारत भूमि इतनी धन्य है कि जितने संत और महापुरुष इस धरती पर हुए हैं, उतने दुनिया के किसी देश में नहीं हुए। भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है, जिसे माता कहा जाता है। हमें अपने देश का खोया हुआ वैभव और विश्व गुरू का सम्मान वापस लाना होगा। भागवत कथा का श्रवण मन को निर्मलता और पवित्रता प्रदान करता है।