इंदौर

अहिल्या उत्सव का आयोजन वक्तृत्व प्रतियोगिता संपन्न

शिक्षक अज्ञानता को दूर करने का हथियार है , संस्कार के बीज रोपने का आधार है

*अहिल्या उत्सव का आयोजन वक्तृत्व प्रतियोगिता संपन्न*
*प्रलय एवं निर्माण शिक्षक के हाथ में है*

InShot 20250731 193209388 IMG 20250731 WA0083  ।  शिक्षक अज्ञानता को दूर करने का हथियार है , संस्कार के बीज रोपने का आधार है प्रलय व निर्माण दोनों उसके हाथ में होते हैं। शिक्षकों की सबसे बड़ी चुनौती बच्चों को संस्कार देना है यह प्ले स्टोर में डाउनलोड नहीं होते आज का युवा सूरज डूबा है यारों दो घूट तो मारो यारों मैं उलझा हुआ है ।उसे नशा मुक्ति के लिए प्रेरित करना शिक्षकों के लिए एक चुनौती है विद्यार्थियों में पलायन एक बहुत बड़ी समस्या के रूप में सामने आ रहा है। शिक्षक के हाथ बांध दिए गए हैं आज के युग में शिक्षक गुरु ना होकर सिर्फ मैंटर हो गया है गुरु को वह सम्मान नहीं मिल रहा है जो उसे मिलना चाहिए। शिक्षक होना ही एक चुनौती है आज बच्चों को डांट देने पर वह उसे अपना अपमान समझकर शिक्षक का सम्मान करना बंद कर देता है। उपरोक्त विचार आज अहिल्या उत्सव समिति द्वारा आयोजित वक्तृत्व व स्पर्धा के अंतर्गत विभिन्न स्कूलों से आए शिक्षकों के द्वारा व्यक्त किए गए जिसका विषय था वर्तमान परिपेक्ष में शिक्षकों के समक्ष चुनौतियां।
*शिक्षक की भूमिका को समझना जरूरी*
निर्मला जायसवाल ने कहा आज शिक्षकों के हाथ बांध दिए गए हैं उन्हें शक्ति देना जरूरी है लेकिन इसका दुरुपयोग ना हो इसका ध्यान रखना पड़ेगा हम ।आज जो पतन की प्रवृत्ति आ रही है उसे रोकना मूल चुनौती है श्रद्धा जैन कहती है शिक्षक की भूमिका को समझना बहुत जरूरी है । शिक्षक होना आसान नहीं है वह एक परामर्शदाता होता है एक मार्गदर्शक होता है तो शिक्षकों के समक्ष चुनौती होती है कि बच्चों की भूमिका को अच्छे से समझे और उसी के अनुसार उन्हें शिक्षा पद्धति में समायोजित करें साथ ही माता-पिता को समझाना कि हर बच्चा सिर्फ अंकों के द्वारा नहीं आंका जा सकता उसमें अन्य प्रतिभा भी होती है ।बच्चों के मन में अवसाद चिंता डर को समझ कर शिक्षक को उसका समाधान खोजना होता है। शिक्षिका ज्योति जैन कहती है कि बच्चों मे अनुशासनहीनता का बढ़ता स्वरूप शिक्षकों के लिए एक चुनौती है पाश्चात्य संस्कृति का अनुसरण करते बच्चे को भारतीयता की शिक्षा देना व्यवहारिकता की शिक्षा देना एक चुनौती पूर्ण कार्य है श्रीमती भार्गव कहती है कि आज गूगल, कोचिंग इंस्टीट्यूट ने बच्चों के आधारभूत ज्ञान को विकृत कर दिया है जिसे शिक्षकों को सही राह पर लाने की चुनौती पेश आती है। वंशिका वाधवानी कहती है कि यह समय बदलते युग का साक्षी है आज परंपरा संस्कृति संवेदना के अभाव का युग है शिक्षकों को शारीरिक व मानसिक क्षमता को बनाए रखना एक बहुत बड़ी चुनौती है आज की पीढ़ी आत्म मुग्ध है उन्हें पढ़ाना ही सबसे बड़ी चुनौती है शिक्षक कृष्णा सोनी ने कहा कि बच्चों को मानसिक, शारीरिक ,भावनात्मक रूप से सक्षम बनाकर पढ़ाना ही शिक्षक की चुनौती है और उसके उज्जवल भविष्य का निर्माण करना शिक्षक का महत्वपूर्ण कार्य है।

प्रतियोगिता प्रमुख विनीता धर्म एवं संयोजिका वृंदा गोड सरिता मंगवानी ने बताया कि इस प्रतियोगिता में 23 विद्यालयों के शिक्षकों ने भाग लिया शुरुआत दीप प्रज्वलन एवं देवी अहिल्या के चित्र पर माल्यार्पण के द्वारा हुई अतिथि के रूप में धन्नालाल गोयल एवं शक्ति सिंह परमार संपादक स्वदेश , पूर्व लोकसभा स्पीकर एवं सांसद सुमित्रा महाजन भी मौजूद थी। शक्ति सिंह परमार ने ब्लैक बोर्ड के जमाने से एआई के जमाने की यात्रा को शिक्षक के लिए चुनौती पूर्ण माना एवं इसी में समाधान खोजने की बात कही। निर्णायक के रूप में साधना व्यास दीप लक्ष्मी धामनकर जितेंद्र तलरेजा उपस्थित थे। प्रथम पुरस्कार कृष्णा सोनी द्वितीय पुरस्कार वंशिका वाधवानी तीसरा पुरस्कार श्रद्धा खेड़े को मिला प्रवीण मंडलोई एवं अनुराधा शर्मा को प्रोत्साहन पुरस्कार दिया गया। संचालन वृंदा गोड ने किया एवं आभार नफीसा बड़वानी ने माना इस अवसर पर ज्योति तोमर, निलेश केदारे ,मोनिका सबनीश ,राधा राठौर श्रेया सोनी ईति शर्मा शांत सोनी सुषमा पटेल मौजूद थे।

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