संगठित समाज और अपनत्व ही महिला सुरक्षा का आधार
श्री मेड़तवाल वैश्य समाज की महिला सशक्तिकरण पर हुई कार्यशाला में बोले विशेषज्ञ

संगठित समाज और अपनत्व ही महिला सुरक्षा का आधार
श्री मेड़तवाल वैश्य समाज की महिला सशक्तिकरण पर हुई कार्यशाला में बोले विशेषज्ञ
इंदौर। विसंगतियों और सुरक्षा को लेकर महिलाओं को जागरूक करने के उद्देश्य से श्री मेड़तवाल वैश्य समाज द्वारा महिला सशक्तिकरण कार्यशाला का आयोजन किया गया। कार्यशाला में महिला सुरक्षा, जागरूकता, सामाजिक विकृतियों से दूर रहने सहित कई मुद्दों पर मंथन हुआ। विषय विशेषज्ञ ने कहा कि समाज की विकृतियों को दूर करने में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। आज जरूरत है कि समाज संगठित हो और परिवारों में अपनत्व की भावना रहे। बच्चियों के सामने आध्यात्मिक चिंतन के साथ ही देश की सशक्त महिलाओं के उदाहरण रखे, ताकि उन्हें उनकी ताकत का अंदाजा हो। एक सशक्त महिला ही सशक्त समाज और देश का निर्माण करती है।
छोटा बांगड़दा स्थित मथुरा मांगलिक भवन में आयोजित कार्यशाला में मेड़तवाल वैश्य समाज की विभिन्न पंचायतों के प्रतिनिधि शामिल हुए। समाज की करीब 1100 महिलाओं ने कार्यशाला में हिस्सा लिया। अतिथि के रूप में विश्व हिंदू परिषद की प्रदेश उपाध्यक्ष श्रीमती माला ठाकुर, एड़वोकेट जूही भार्गव, एड़वोकेट मिनी रविन्द्न और डीएसपी ज्योति शर्मा उपस्थित थी। श्रीमती माला ठाकुर ने परिवार में संस्कार एवं चरित्र निर्माण पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय महिलाओं में शक्ति की कमी नहीं है, लेकिन समय के साथ समाज में कई विकृतियां आ रही है, जिसे दूर करने के लिये परिवारों को पास आना होगा। लव जेहाद जैसे कई मामले लगातार सामने आ रहे है, जिसके पीछे का एक महत्वपूर्ण कारण परिवारों के सदस्यों के बीच की दूरी भी है।
मोबाइल और अपने व्यस्त समय में से बच्चों को समय देना जरूरी है ताकि बच्चों के आस-पास होने वाले बदलाव और उनके मन में चल रही गुत्थी को समय रहते सुलझाया जा सके। परिवार के जुड़े रहने से कई समस्याएं अपने आप ही समाप्त हो जाएगी। अपने बच्चों को चरित्रवान बनाने के लिये धर्म और आध्यात्म से जोड़े। उन्होंने कहा कि परिवारों में कुटुंब की भावना पुन: स्थापित होना चाहिए। जैसे पहले मोहल्ले में ताऊ और काका का जीपीएस होता था,जो बच्चों के घर पहुंचने से पहले माता-पिता को सूचना मिल जाती थी। एड़वोकेट श्रीमती जूही भार्गव ने बेटियों को शिक्षित करने पर जोर देते हुए कहा कि बदलते समय में बेटियों को शिक्षा देना ही चाहिये। शिक्षा से उनका दृष्टिकोण बदलेगा, जो कई समस्याओं को खत्म कर देगा। बेटियों को आत्म रक्षा के लिये भी प्रशिक्षित किया जाना चाहिये। श्रीमती भार्गव ने कहा, अपने बच्चों को धर्मग्रन्थ और साहित्य का अध्ययन भी कराया जाना चाहिये, ताकि वे अपने धर्म और मूल्यों की ताकत को जान सके। आपने कहा कि हमारी जागरूकता ही हमारी सुरक्षा है। एड़वोकेट मिनी रविन्द्न ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा महिलाओं पर हुए अपराधों पर जीरो टालरेन्स की नीति पर प्रकाश डाला। महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सुप्रीम कोर्ट भी कड़ा रूख अपनाए हुए है। कानूनों में लगातार बदलाव हो रहे है, जिसमें महिलाओं से जुड़े कानूनों को सख्त किया जा रहा है। महिलाएं कही भी कमजोर नहीं है। जरूरत इस बात कि है कि महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक होना होगा। उन्होंने कहा, प्रशासन, पुलिस और कोर्ट के पास महिला डेस्क है, जिस पर उत्पीड़न के खिलाफ अपनी शिकायत दर्ज की जा सकती है। डीएसपी श्रीमती शर्मा ने पुलिस प्रशासन द्वारा महिलाओं की सुरक्षा को लेकर चलायी जाने वाली विभिन्न योजनाओं की जानकारी दी। आपने कहा कि महिलाओं को अपनी सुरक्षा के लिये जागरूक होना होगा। बेड टच यदि किसी के द्वारा किया जाता है तो तत्काल उसके विरोध में आवाज उठायी जानी चाहिये। आशंका होने पर भी महिलाओं को अपनी सुरक्षा को लेकर विभिन्न हेल्पलाईन नंबरों पर सम्पर्क करना चाहिये। सुरक्षा और अत्याचारों के विरूद्ध महिलाओं को आगे आना होगा। आपने सोशल मीडिया के सही उपयोग और साइबर अपराध से बचने संबंधी महत्वपूर्ण जानकारियां भी दी। प्रश्नोत्तर सत्र में महिलाओं के सवालों के जवाब अतिथियों ने दिये। डिजिटल प्रेजेंटेशन कर विषय की बारिकियां भी समझाई गई। कार्यशाला में मेड़तवाल समाज के अध्यक्ष शक्तिनाथ गुप्ता, सचिव लक्ष्मीनारायण मेड़तवाल, आरएसएस के प्रांत सह कार्यवाह श्रीनाथ गुप्ता, सेवा प्रमुख विकास मेड़तवाल, प्रदीप गुप्ता के विषेश रूप से उपस्थित थे। संचालन श्रीमती प्रीति गुप्ता और हेमा सिंगी ने किया। आभार इन्द्रा गुप्ता ने माना।