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राहुल गांधी से आदिवासी प्रतिनिधियों की मुलाकात, जमीन, अधिकार और पेसा कानून पर खुलकर चर्चा

सेंधवा-बड़वानी। रमन बोरखड़े। नई दिल्ली में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी से आदिवासी समाज के प्रतिनिधिमंडल ने मुलाकात की और समाज के समक्ष खड़ी ज्वलंत समस्याओं पर विस्तार से चर्चा की। इस प्रतिनिधिमंडल में देशभर से 18 प्रतिनिधि शामिल हुए, जिनमें डॉ. विक्रांत भूरिया (राष्ट्रीय अध्यक्ष, अखिल भारतीय आदिवासी कांग्रेस), ओमकार सिंह मरकाम (पूर्व मंत्री व डिंडोरी विधायक), सुनील उईके (विधायक, जुन्नारदेव), रामू टेकाम (प्रदेश अध्यक्ष, म.प्र. आदिवासी कांग्रेस), राधेश्याम मुवेल और पोरलाल खर्ते शामिल रहे।

प्रतिनिधियों ने जल, जंगल और जमीन पर आदिवासियों के संवैधानिक अधिकारों, डिजिटलीकरण से उत्पन्न समस्याएं, फॉरेस्ट राइट एक्ट के उल्लंघन, और पेसा कानून की कमजोर क्रियान्वयन प्रक्रिया को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की।

खरगोन के पूर्व लोकसभा प्रत्याशी पोरलाल खर्ते ने कहा कि आदिवासी समाज को भाजपा द्वारा उपजातीय संगठनों के जरिए बांटने का प्रयास हो रहा है। उन्होंने फॉरेस्ट राइट एक्ट के उल्लंघन की घटनाओं का जिक्र करते हुए बताया कि आदिवासी परिवारों को उनके कब्जे की जमीन से जेसीबी चलाकर उजाड़ा जा रहा है, जिससे लोग बारिश में सड़क पर आ गए हैं।

जमीनों के डिजिटलीकरण से भी कई आदिवासी परिवारों को दिक्कतें हो रही हैं — वास्तविक कब्जा उनके पास होते हुए भी ऑनलाइन रिकॉर्ड में नाम किसी और का दर्ज हो रहा है।

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इस पर राहुल गांधी ने आश्वासन दिया कि वे इस संघर्ष में हर स्तर पर साथ देंगे। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी आदिवासियों को संगठनात्मक रूप से सशक्त बनाकर उनकी राजनीतिक भागीदारी सुनिश्चित करेगी। प्रतिनिधियों ने लीगल सेल गठन और पेसा कानून को उसकी मूल भावना के साथ लागू करने की मांग भी रखी।

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