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चार दशकों से परेशान हो रहे 14 गाँवो के हजारों किसान, अपनी ही जमीन मिला पूरा अधिकार, इस बार अब तक नहीं आया खरमोर।

भाजपा कांग्रेस लगी श्रेय लेने में सालों से थे किसान परेशान अब जाकर हुआ फैसला। 216 वर्ग किलो मीटर जमीन हुए खरमोर अभयारण्य से अलग।

आशीष यादव धार

लंबे समय से अपनी जमीन के हक के लिए लड़ रहे खरमोर अभ्यारण के किसानों के लिए एक बड़ी खुशखबरी है क्योंकि धार जिले के सरदारपुर राजगढ़ के आसपास के इलाकों के किसानों के लिए बड़ी खुशखबरी सामने आई है। खरमोर अभ्यारण में आने वाले हजारों किसानों की लंबे समय से जारी मांग पूरी कर दी गई है। खरमोर अभ्यारण के लिए डीनोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। इससे 14 गांव के किसानों को राहत मिलेगी, वे अब अभ्यारण की जद में नहीं आएंगे। बता दें कि इससे पहले 24 जून 1983 को अधिसूचित खरमोर अभयारण्य का क्षेत्रफल 348.12 वर्ग किलोमीटर था। अब डीनोटिफिकेशन के बाद 215.2872 वर्ग किलोमीटर राजस्व भूमि को आरक्षित क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है। अब केवल 132.8344 वर्ग किलोमीटर वन भूमि ही अभ्यारण्य का हिस्सा रहेगी, जिसमें सरदारपुर, रामा और पेटलावद की वन भूमि शामिल होगी। इससे हजारों किसानों को अपनी जमीन पर पूर्ण अधिकार मिलेगा, जिससे वे इसे बेचने, खरीदने या सरकारी योजनाओं का लाभ लेने में सक्षम होंगे। यह कदम किसानों के लिए बड़ी राहत लेकर आया है, जो लंबे समय से अपनी जमीनों पर प्रतिबंधों के कारण परेशान थे। स्थानीय किसानों में इस फैसले को लेकर उत्साह का माहौल है।

राजपत्र जारी दोनों पार्टी के नेता के रहे श्रेय:
इसको लेकर प्रदेश सरकार द्वारा राजपत्र भी जारी किया गया हैं। वही केंद्रीय राज्य मंत्री सावित्री ठाकुर ने सीएम मोहन यादव का आभार व्यक्त किया। वही खरमोर अभ्यारण को लेकर भाजपा व कांग्रेस पार्टी के जिला स्तर व स्थानीय नेता श्रेय लेने के लिए अपने पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ जश्न मना रहेगा ग्रामीण किसानों से चर्चा करते हुए भी नजर आ रहे हैं। वही पूर्व विधायक वेलसिंह भूरिया व कांग्रेस विधायक प्रताप ग्रेवाल विगत कई वर्ष से खरमौर अभ्यारण्य का क्षेत्र कम करने के लिए प्रयासरत थे जिसको लेकर मध्यप्रदेश विधानसभा मे वर्ष 2008 से 2025 तक कई बार आवाज उठाई तो वही कई मर्तबा प्रदेश के मुख्यमंत्री, विभागीय मंत्रियो एवं प्रमुख सचिवो को पत्राचार भी किया। कई बार किसानो के साथ धरना प्रदर्शन किए तो कई बार ज्ञापन भी सौंपे थे।

मालिक होते हुए भी जमीन का अधिकार नहीं था:
सरदारपुर में बर्ड सेंचुरी के आसपास कई गांव बसे हैं। उनमें से 14 गांव ऐसे हैं जहां की जमीनों को 42 वर्ष पहले सेंचुरी के लिए रिजर्व या नोटिफाई किया था। इन गांवों के किसानों के पास अपनी जमीनें तो हैं, लेकिन उनके पास वह अधिकार नहीं है जो किसी दूसरे जमीन मालिक के पास होते हैं। किसानों की जमीनें न तो सरकार ने ली है और न ही कोई मुआवजा दिया है। जमीनों की खरीद-बिक्री पर सरकार ने रोक लगा दी है। ऐसे में किसानों को उस पर लोन भी नहीं मिल सकता है। किसानों के मुताबिक, उन्हें उनकी जमीनों पर किसी सरकारी योजना का फायदा भी नहीं मिलता। ग्रामीण लगातार इस रोक को हटाने की मांग कर रहे हैं। अब जाकर किसानों की जमीन का हक उनको मिलने वाला है।

धार झाबुआ के गांवों को भी मिलेगा लाभ:
इस फैसले से न सिर्फ धार जिले के सरदारपुर क्षेत्र के गांवों को राहत मिलेगी, बल्कि झाबुआ जिले की पेटलावद और झाबुआ तहसीलों के ग्रामीण की समस्या भी दूर होगी वही 3 जुलाई को एक अधिसूचना जारी करते हुए खरमोर अभयारण्य के 348.12 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में से करीब 216 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल राजस्व जमीन में शामिल कर लिया गया है। अब अभयारण्य 132.5 वर्ग किलोमीटर में ही रह जाएगा। बता दें कि वन विभाग द्वारा पक्षी-विज्ञानी सालीम अली की खोज के बाद और उनकी पहल पर 4 जून 1983 को धार जिले के सरदारपुर क्षेत्र में और उससे लगी हुई करीब 348.12 वर्ग किलोमीटर राजस्व क्षेत्र को अभयारण्य घोषित किया गया था। जब से यह अभयारण्य बना था और इसकी अधिसूचना जारी हुई थी, तब से खरमोर पक्षी को लेकर यह कवायद की गई थी। सरदारपुर विधानसभा क्षेत्र के लिए यह अहम चुनावी मुद्दा रहा है।


यह 14 गाँव 34 हजार हेक्टेयर खेती हुए मुक्त:
खरमौर अभ्यारण्य का डीनोटिफिकेशन जारी होने के बाद खरमौर अभ्यारण्य के 14 ग्राम गुमानपुरा, बिमरोड, छडावद, धुलेट, पिपरनी, सेमल्या, केरिया, करनावद, सियावद, अमोदिया, सोनगढ, महापुरा, टिमायची, भानगढ मे निजी भूमि के क्रय-विक्रय पर लगी रोक हट जाएगी और हजारो ग्रामीणो एवं किसानो को राहत मिलेगी। खरमौर अभ्यारण्य क्षैत्र से किसानो एवं ग्रामीणो को राहत मिलेगी। वही खरमोर हिमालयी पक्षी है एक शताब्दी पहले तक खरमोर पूरे भारत में हिमालय से लेकर दक्षिण तट पर पाए जाते थे। घास के मैदानों में ही पाए जाने वाले खरमोर की संख्या अब धीरे-धीरे कम होने लगी है। 1980 के बाद तो लगभग विलुप्त से होने लगे खरमोर पर पक्षी विशेषज्ञों व सरकार का ध्यान गया खरमोर बरसात के मौसम में जुलाई से अक्टूबर के बीच सरदारपुर के इस इलाके में आते है। यहां वह प्रजनन करता है और अंडे देता है। जिसके बाद वह बच्चों को लेकर उड़ जाता है। उसी समय रतलाम के सैलाना में भी खरमोर के लिए दूसरी सेंचुरी बनाई गई थी।

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