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4000 से अधिक वन अधिकार पट्टों को मिली स्वीकृति, अजजा आयोग के हस्तक्षेप से महाराष्ट्र में वर्षों से रह रहे आदिवासियों को मिला अधिकार

सेंधवा। रमन बोरखड़े। अनुसूचित जनजाति आयोग के हस्तक्षेप के बाद महाराष्ट्र के नंदुरबार, शिरपुर और पलासनेल क्षेत्र में निवासरत अन्य राज्य के 4000 से अधिक अनुसूचित जनजातीय नागरिकों को सरकार द्वारा वन अधिकार अधिनियम के तहत पट्टे स्वीकृत किए गए हैं। इस क्रम में आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. अंतरसिंह आर्य के हाथों नंदुरबार में 96 पात्र लाभार्थियों को पट्टे वितरित किए गए।

भाजपा प्रवक्ता सुनील अग्रवाल ने जानकारी देते हुए बताया कि जुलाई 2024 में अजजा आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने के बाद डॉ. आर्य नंदुरबार प्रवास पर पहुंचे थे। वहां एक बड़ी संख्या में स्थानीय आदिवासियों ने वन अधिकार पट्टों की अस्वीकृति को लेकर शिकायत दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया कि 20 वर्षों से महाराष्ट्र में निवासरत इन परिवारों को इस आधार पर पट्टे नहीं दिए जा रहे थे कि वे ष्मूल निवासीष् नहीं हैं, जबकि उनके पास वर्षों से निवास का प्रमाण है।

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आयोग द्वारा मामले की गंभीरता को समझते हुए तत्कालीन जिला प्रशासन को निर्देश दिया गया कि पात्र आवेदकों के मामलों की जांच कर त्वरित निराकरण हेतु समिति गठित की जाए। इसके बाद डॉ. आर्य ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से मुलाकात कर यह विषय उठाया। मुख्यमंत्री ने स्पष्ट किया कि ऐसे नागरिक जो लंबे समय से महाराष्ट्र में निवासरत हैं, उन्हें वन अधिकार से वंचित नहीं किया जाएगा।

आयोग के निर्देशों की अनुपालना में जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए लगभग 4000 प्रकरणों को स्वीकृति प्रदान की है। इनमें से प्रथम चरण में 96 लोगों को अधिकार पत्र वितरित कर शेष पट्टे महाराष्ट्र विधानसभा सत्र के उपरांत वितरित किए जाएंगे।

मप्र के सभी जिलों में जिला ब्यूरो चीफ व तहसील रिपोर्टर नियुक्त करना है

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