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मोदीजी विश्व पटल पर एक उन्नत राजनेता के रूप में उभरेंगे-आचार्य पंडित रामचन्द्र शर्मा वैदिक

शनि भारत का प्रभुत्व बड़ाएगा*धर्म की राजनीति तेज होगी* *तकनीकी जगत में देश का परचम फहराएगा- आचार्य पंडित रामचन्द्र शर्मा वैदिक*
इंदौर ।ज्योतिष शास्त्र एक बृहदशास्त्र है, पहले के समय राजा महाराजा अपने राज्य और प्रजा की खुशहाली के लिए चिंतन मनन करते थे, इसी तारतम्य को आगे बड़ाते हुए उनके सहयोगी *राज ज्योतिषी* उन्हें समय-समय पर अच्छे बुरे का बोध करवाते थे, चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से नववर्ष के भविष्य पर विचार किया जाने लगा, राजा की कुंडली, उनकी शपथ कुंडली पर भी विचार किया जाने लगा, समय बदलने लगा, लोग 1 जनवरी को पाश्चात्य नववर्ष मनाने लगे, आइए देखे क्या कहते है पाश्चात्य नववर्ष के सितारे॥
2023 पाश्चात्य नववर्ष को यदि हम ज्योतिषीय नजरिए से टटोले तो नये वर्ष- 2023 का शुभारंभ शिव, सिद्ध, सर्वार्थ सिद्धि, रविवार, बुधादित्य योग और अश्विनी नक्षत्र के बीच होगा। इन पांच शुभ योगों के बीच सूर्यदेव से जुड़े तीन खास संयोग भी बन रहे हैं। *पहला*-इस दिन सूर्य धनु राशि में बुध के साथ रहते हुए बुधादित्य योग बनाएंगे। *दूसरा*- अश्विनी नक्षत्र कुल 27 नक्षत्रों में पहला नक्षत्र है। ये अश्विनी कुमार हैं, जिनके नाम पर यह नक्षत्र है और यह सूर्य पुत्र हैं। *तीसरा*- साल के पहले दिन रविवार है, जिसके अधिपति देव स्वयं सूर्यदेव हैं। इसलिए सूर्य का अधिक प्रभाव होने से इस दिन की शुभता बढ़ी हुई रहेगी और लोग ऊर्जावान दिखाई देंगे, इसके साथ ही साल के पहले दिन इन सब शुभ योग के साथ पहली राशि मेष का भी शुभ संयोग प्राप्त हो रहा है ।
यदि पाश्चात्य नववर्ष की कुंडली पर विचार करें तो पाश्चात्य नववर्ष 2023, का प्रारंभ कन्या लग्न, मीन नवांश, अश्विनी नक्षत्र तथा मेष राशि में उदित हो रहा है।
कुंडली पर यदि विचार करें तो लग्न देश की एकता और अखंडता का कारक होता है, कन्या लग्न का स्वामी बुध चतुर्थ भाव में सूर्य बुध का बुधादित्य नामक राजयोग निर्मित कर रहा है । चतुर्थ भाव जनता का होता है, इस ग्रह स्थिति के प्रभाव वश जनता के सुख में वृद्धि तो होगी लेकिन व्यय भाव के सूर्य का चतुर्थ भाव में होने से लोगों को आर्थिक स्थिति से डटकर मुकाबला करना पढ़ सकता है ।
पंचम भाव जनता के सुख का होता है, शनि का स्वयं की राशि में शुक्र के साथ पंचम भाव में होने से जनता को मिले जुले परिणाम प्राप्त हो सकते है । भाग्य भाव धर्म भाव भी होता है, शुक्र इस भाव का स्वामी होकर पंचम में जाने से लोगों में धार्मिक आस्था की स्थिति बढ़ सकती है । धर्म तथा वसुधेव कुटुंबकम का भाव भारत और उनके नागरिकों से ही जाना जाएगा । भारत की छवि अन्य देशों की तुलना में सुधरेगी, यहाँ के लोग तकनीकी जगत में देश का परचम लहरा सकते है ।
दशम भाव व्यापार का होता है, बुध इस भाव का स्वामी होकर स्वयं सूर्य के साथ उत्तम स्थिति में स्थित है, निर्यात के मामले में भारत अपना दबदबा बड़ा सकता है,
सप्तम भाव विदेश नीति का होता है, सप्तम भाव में गुरु अपनी स्वराशी में स्थित होकर पंच महापुरुष का हंस नामक राजयोग बना रहा है, फलस्वरूप भारत की विदेश नीति के चलते उनके मित्र देशों की संख्या में इजाफा होगा, अमेरिका, रूस तथा यूरोपीय देशों में भारत का दबदबा बढ़ सकता है ।
15 मार्च से 6 मई तक गुरु अतिचारी रहेंगे यह समय वायु रोगों को बड़ा सकता है। इसके पहले भी अतिचारी गुरु के चलते कोरोना का ग्राफ बड़ा था , यह समय सतर्क रहने का होगा, वायु जनित बीमारी बढ़ सकती है, मेष राशि का गुरु अनाज में प्रचुरता का भी कारक रहता है धार्मिक गतिविधियाँ बढ़ सकती है ।
12 अप्रैल को मेष राशि में राहू का प्रवेश होगा इसके साथ ही 22 अप्रैल को मेष राशि में गुरु के प्रवेश के साथ ही गुरु राहू का गोचरीय चांडाल योग की युति निर्मित होगी, जो की पूरे 28 अक्टोबर तक रहेगी, यह योग विश्व पटल पर अस्थिरता की सूचना दे रहा है, इस नकारात्मक युति के फलस्वरूप जनता के कष्ट बढ़ सकते है, आर्थिक मंदी तथा विश्व पटल पर देशों का मन मुटाव कुछ बड़ी घटना का संकेत दे रहा है, राहू अचानक घटनाक्रम का कारक भी होता है, प्राकृतिक आपदा उत्पात आर्थिक मंदी से जंनजीवन त्रस्त रहेगा
अष्टम भाव का स्वामी मंगल भाग्य स्थान में शुक्र की राशि वृषभ में स्थित है, इसके चलते मौसम के परिवर्तन पूरे वर्ष देखने को पड सकते है, ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव मंगल बड़ा सकता है ।
अष्टम स्थान में चंद्र राहू की अशुभ स्थिति के चलते जनता पर महगाई की मार हावी हो सकती है, चूंकि चंद्रमा एकादश भाव का स्वामी है और एकादश भाव आए के विभिन्न स्तोत्र का होता है, ऐसी स्थिति में देश में मंदी की मार तो नहीं अपितु उसका डर जरूर लोगों पर हावी हो सकता है
नवांश में छठे भाव में सूर्य राहू का ग्रहण योग बन रहा है, पड़ोसी देशों से भारत को सतर्क रहने की आवश्यकता पड़ सकती है, आतंकवादी गतिविधियाँ बढ़ सकती है । चीन तथा पाकिस्तान की कथनी और करनी में फर्क साफ दिखाई देगा ।
भाजपा:- मिथुन लग्न की भाजपा के लिए यह वर्ष उपलब्धि दायक साबित हो सकता है, मेष राशि का गुरु का लाभ भाव से भ्रमण वित-बैंक में इजाफा करवा सकता है । हालाकी शनि का कुम्भ राशि से भ्रमण भाजपा की शनि की ढैया प्रारंभ हो रही है, विधानसभा चुनाव में मिला जुला परिणाम प्राप्त हो सकता है, राजस्थान में भाग्य साथ दे सकता है, लेकिन इस वर्ष मध्य प्रदेश में चुनोतीयों का सामना करना पढ़ सकता है । शनि अंतर कलह की संभावना को भी बड़ाता है ।
श्री नरेंद्र मोदी के लिए यह वर्ष स्वास्थ्य की दृष्टि से उत्तम नहीं है, 21 अप्रैल पश्चात गुरु का मीन से मेष राशि में प्रवेश उनके छठे भाव से भ्रमण स्वास्थ्य पक्ष को कमजोर कर सकता है । *मोदी जी के लिए यह वर्ष राजनैतिक दृष्टि से तो उत्तम है लेकिन शारीरिक दृष्टि से कुछ न कुछ परेशानी चलती रहेगी* । शनि का कुम्भ राशि से भ्रमण मोदीजी को विश्व पटल पर एक उन्नत राजनेता के रूप में बड़ाएगा ।
कांग्रेस:- धनु लग्न की कांग्रेस पार्टी के लिए इस वर्ष गुरु का भ्रमण मिले जुले परिणाम प्रदान करेगा, 21 अप्रैल तक गुरु का चतुर्थ स्थान से भ्रमण गहरे घाव में मरहम लगाने का कार्य कर सकता है, लेकिन इसके बाद मेष राशि का भ्रमण कांग्रेस में अंतर कलह के वातावरण को बड़ा सकता है, राहुल गांधी के लिए यह वर्ष चुनोतीयों भरा रहेगा, गुरु का मेष राशि में भ्रमण उनके लिए छठे भाव से भ्रमण होगा जो की उनके लिए शत्रु पक्ष को बड़ा सकता है , एक तरफ जनता के मध्य उनकी छवि तो सुधरेगी लेकिन राज्य चुनाव में कांग्रेस का प्रदर्शन चिंताजनक साबित हो सकता है । *राहुल गांधी की भारत जोड़ों यात्रा जनता में उनकी छवि तो बड़ा सकती है लेकिन वही जनता जब मतदाता के रूप में अपने मत का प्रयोग करेगी तब वह वोट बैंक में परिवर्तित होगी इसमें मृग तृष्णा है*
आमआदमी पार्टी:- यह वर्ष आम आदमी पार्टी के विस्तार का भी है , मेष के गुरु से आम आदमी पार्टी की जनता में पैठ तो बड़ेगी लेकिन उसके साथ ही दिल्ली और पंजाब में पार्टी की छवि धूमिल हो सकती है ।

*कुछ विशेष ज्योतिषीय योग संयोग बन रहे है इस वर्ष*
1. 59 दिनों का श्रावण मास इस वर्ष विशेष स्थिति लेकर या रहा है ,बाबा भोले की भक्ति चरम पर होगी।
2. इस वर्ष तीन ग्रहण है जिनमें से केवल एक ग्रहण का प्रभाव भारत में रहेगा, बाकी दो ग्रहण भारत में अदृश्य रहेंगे, इसके साथ ही एक उपच्छाया ग्रहण 5/6 मई की दरमियानी रात हो देखा जाएगा
3. चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से विक्रम संवत 2080 प्रारंभ होगा, उसी दिन से आकाशीय कौंसिल का भी विचार होता है, हिन्दू नववर्ष का राजा *बुध* है तथा मंत्री पद *शुक्र* को प्राप्त हो रहा है ।
4. धनेश सूर्य के होने से व्यापार को पंख लग सकते है ।
5. वर्षा के लिहाज से इस वर्ष नवमेघ में आवर्तक नामक मेघ है जो अति वृष्टि का सूचक है ।
6. द्वादश नागों में कर्कोटक नामक नाग होने से कुछ प्रांतों में वायु वेग की गति तीव्र हो सकती है
7. एकादशी सामान्यतः एक मास में दो बार आती है, इस वर्ष हर महीने 2 एकादशी है लेकिन मई मास में 3 एकादशी का संयोग प्रात होगा
8. गुरु 21 अप्रैल से मीन से मेष राशि में प्रवेश करेंगे, *15 मार्च से 6 मई तक गुरु अतिचारी रहेंगे यह समय वायु रोगों को बड़ा सकता है*। मेष राशि का गुरु अनाज में प्रचुरता का भी कारक रहता है *धार्मिक गतिविधियाँ बढ़ सकती है* ।
9. शनि 17 जनवरी को मकर से कुम्भ राशि में प्रवेश करेंगे, मकर कुम्भ मीन राशि साढ़े-साती के प्रभाव में रहेगी तथा कर्क तथा वृश्चिक राशी ढैया के प्रभाव में रहेगी । कुम्भ का शनि धातु में तेजी का कारक भी होता है
10. सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है, इस वर्ष तीन सोमवती अमावस्या है
a. 20 फरवरी सोमवार
b. 17 जुलाई 2023
c. 13 नवंबर 2023
स्कन्द पुराण के अनुसार सोमवती अमावस्या के दिन शिव मंदिर में भगवान भोलेनाथ की पंचोपचार से पूजा कार ध्यान करने से अनंतकोटी यज्ञ के समान फल प्राप्त होता है।

*आचार्य पंडित रामचन्द्र शर्मा “वैदिक””*
“अध्यक्ष ,मध्यप्रदेश ज्योतिष एवं विद्वद परिषद*

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