दक्षिण अब हिन्दी के प्रति हो रहा समन्वयवादी – डॉ. आरसु
दक्षिण भारत के पाठ्यक्रम में हिन्दी कक्षा दसवीं तक अनिवार्य विषय है और इसके बाद वैकल्पिक भाषा के रूप में मौजूद है

दक्षिण अब हिन्दी के प्रति हो रहा समन्वयवादी – डॉ. आरसु
इंदौर। दक्षिण भारत के पाठ्यक्रम में हिन्दी कक्षा दसवीं तक अनिवार्य विषय है और इसके बाद वैकल्पिक भाषा के रूप में मौजूद है। लगातार अनुवाद की दिशा में केरल में बेहतर कार्य हो रहा है किन्तु आज भी हिन्दी के लिए सरकारी सुविधाओं का अभाव है और पुरस्कार बन्द कर दिए। यह बात केरल से भाषा समन्वय वेदी संस्था के अध्यक्ष डॉ. आरसु ने कही।
साथ ही, केरल के सुप्रसिद्ध उपन्यासकार डॉ. अजय कुमार ने इस बात पर चिंता जताई कि हमारे दक्षिण भारत में नाम पट्टीका में देवनागरी का प्रयोग कर रहे है पर आपके हिन्दीभाषी राज्यों में सूचना पटल, बोर्ड आदि अंग्रेजी में लगे है। हमने तो अपना काम हिन्दी में भी करना शुरू कर दिया पर आप हिन्दी क्यों छोड़ रहें।
इन्दौर प्रेस क्लब द्वारा आयोजित चाय पर चर्चा कार्यक्रम में केरल से आए भाषा समन्वय वेदी का 20 सदस्यीय दल के सदस्यों का स्वागत प्रेस क्लब महासचिव हेमन्त शर्मा, कार्यकारिणी सदस्य अभय तिवारी, प्रवीण बरनाले, मुकेश तिवारी, डॉ. अर्पण जैन, राधिका मंडलोई ने किया। संचालन प्रेस क्लब उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी ने किया। कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार रमण रावल, राजेंद्र कोपरगांवकर, हरेराम वाजपेयी, डॉ. पुष्पेंद्र दुबे, उमेश पारिख, आशुतोष वाजपेयी, लक्ष्मीकांत पण्डित, राजेन्द्र गुप्ता सहित साहित्यकार और मीडिया के साथ मौजूद रहे। कार्यक्रम के अंत में भाषा समन्वय वेदी संस्था के अध्यक्ष डॉ. आरसु ने प्रेस क्लब उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी का अभिनंदन किया।