इंदौर

ट्राइबल फ़ूड फेस्टिवल सिकल सेल एनीमिया नामक बीमारी के खिलाफ जंग का आगाज

जनजातीय फूड फेस्टिवल व जड़ी-बूटी मेले में आदिवासी अंचलों की शार्ट फिल्म भी

इंदौर। इंदौर के लालबाग में लगा जनजातीय फूड फेस्टिवल और जड़ी-बूटी मेला एक विशेष कारण से ज्यादा याद रखा जाएगा। जी हां, मध्यप्रदेश सहित देश के कई प्रदेशों के खासकर जनजातीय क्षेत्रों में बहुत तेजी से फैल रही कैंसर से भी खतरनाक बीमारी सिकल सेल एनीमिया के खिलाफ जंग का आगाज इस मेले से हो गया है। खास बात यह कि एलोपैथी में इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है और अकेले झाबुआ में तीन दिनों तक हुई स्क्रीनिंग में ही 11 हजार से ज्यादा जनजातीय लोग इस बीमारी से पीडि़त निकले हैं। अच्छी बात यह है कि हर्बल आयुर्वेद में इस बीमारी का कारगर उपाय मिलने का दावा किया गया है और इंदौर की ही एक कम्पनी ने इसका निर्माण शुरू भी कर दिया है, जो नो प्रॉफिट नो लॉस के आधार पर इसे मरीजों को देगी।
नारायण मानव उत्थान समिति द्वारा आयोजित इस मेले के संयोजक पुष्पेंद्र चौहान और बलराम वर्मा ने बताया कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ समय पहले जनजातीय समुदाय को इस बीमारी से बचाने के लिए विशेष प्रयास करने और योजना बनाने की बात कही थी और प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने इस पर गंभीरता से काम भी शुरू कर दिया है। श्री चौहान और श्री वर्मा ने बताया कि इस सिलसिले में सरकार द्वारा जनजातीय इलाकों में सिकल सेल एनीमिया से ग्रस्त लोगों की जानकारी के लिए स्क्रीनिंग शुरू की गई है। इसमें अकेले झाबुआ में ही सिर्फ तीन दिन में 11 हजार जनजातीय लोग इस जानलेवा बीमारी से पीडि़त निकले हैं। इस बीमारी में छतीसगढ़ में मृत्युदर काफी अधिक है। वहां इसके शिकार 10 मरीजों में से 8-9 लोग इस बीमारी के कारण जान गंवा देते हैं। हालांकि मध्यप्रदेश में यह आंकड़ा 10 मरीजों में से 1-2 मरीजों के जान गंवाने का है। गुजरात में भी इस बीमारी का खासा प्रकोप है।

श्री वर्मा और श्री चौहान ने बताया कि इस मेले में लगे हर्बल संगिनी के स्टॉल पर इस बीमारी का कारगर उपचार मिलने का दावा किया गया है और इस तरह इस बहुत खतरनाक बीमारी के खिलाफ जंग का आगाज भी इस मेले से हो गया है।

स्टॉल के संचालक संजीव जैन ने बताया कि इस बीमारी से प्रभावित जनजातीय इलाकों के सांसदों और मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने उनके द्वारा हर्बल आयुर्वेद के जरिये बनाई जा रही इस बीमारी को दूर करने वाली उनकी औषधि को लेकर खासी दिलचस्पी दिखाई है। यह औषधि सिकल संगिनी सिरप और कैप्सूल के रूप में तैयार की जाती है। खास बात यह कि बीमारी के शिकार और निर्धन पृष्ठभूमि वाले जनजातीय लोगों को बिना लाभ-हानि के विक्रय की जा रही है और यह इलाज में काफी कारगर भी है। श्री जैन ने बताया कि धार जिले में यह बीमारी काफी तेजी से फैल रही है। श्री जैन ने बताया कि इस बीमारी से ग्रसित व्यक्ति में हीमोग्लोबिन की कमी के साथ सफेद रक्त सेल बनना बंद हो जाते हैं। ऐसे में बोनमेरो ट्रांसप्लांट ही विकल्प होता है या जल्दी-जल्दी खून बदला जाए और यह सब जटिल होने के साथ बहुत महंगा भी होता है, जो हर कोई नहीं करा सकता है।

श्री जैन ने बताया कि वो उनकी कम्पनी की इंदौर में ही स्थित फैक्ट्री में सिरप और कैप्सूल बनाते हैं, जो कि इन महंगे इलाज के मुकाबले काफी किफायती और कारगर हैं। श्री जैन ने बताया कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और अनेक सांसदों को उन्होंने इस औषधि के बारे में विस्तार से बताया है और सभी ने इस बीमारी के खिलाफ जंग को अगले स्तर पर ले जाने के लिए हरसंभव कदम उठाने और सहयोग करने की बात कही है। मुख्यमंत्री ने तो श्री जैन को इसके लिए भोपाल भी बुलाया है। जाहिर है जनजातीय समुदाय को इस बीमारी से बचाने की जंग का आगाज इस मेले के जरिये इंदौर से हो चुका है।

शार्ट फिल्म भी प्रदर्शित-लालबाग में लगे ट्राइबल फूड फेस्टिवल में आदिवासियों की संस्कृति, सभ्यता, खान-पान से रूबरू कराने के लिए शार्ट फिल्मों का प्रदर्शन भी 12 फरवरी से किया जा रहा है। यहां आने वाले दर्शकों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रमों के साथ ही शार्ट फिल्म भी प्रदर्शित कर दिखाई जा रही है। अभी तक मेले में मोहत, कुकली, रिमा, मीरू, वेला, लुक एट द स्काय, संधिनी, कुमु, कलर्स ऑफ स्प्रिंग, स्कॉलरशिप, ईपिल, शिवगंगा का प्रदर्शन किया जा चुका है। वहीं रविवार को द माउंटेन हॉकी शार्ट फिल्म का प्रदर्शन किया जाएगा। यह सभी शार्ट फिल्म 6 से 30 मिनट तक की है। इन सभी शार्ट फिल्मों को अलग-अलग थीम पर बनाया गया है। जिसमें दीपक कुमार बेशरा, श्यामा सुंदर मझी, अंशू तिरके, मेघा मुंदा, अक्षत वेद, अक्षय दशोरा, अशोक विलू, सेरला मुर्मु, आकांक्षा भगवती, बिशाल सर्वर्गीय, अर्श इफ्तिखर, राम कृष्ण सोरेन, आयुष शर्मा, अविनाश प्रधान, दीबाशिश मोहापात्र ने लिखी है।

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