अफसर बदलने के बाद प्रोजेक्ट खटाई में – 150 से अधिक कारखानों से, हर साल 100 करोड़ रुपए का होता है व्यापार
कुछ वर्ष पहले ही एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत इंदौर जिले को आलू चिप्स के कारोबार के लिए चयनित किया गया था।

धार/महूं ; दो वर्ष पूर्व चिप्स कारखानों के लिए क्लस्टर बनाने की योजना से आस बंधी थी कि इन कारखानों को प्रदूषण से मुक्ति के साथ ही सुविधाएँ व राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी, लेकिन अफसर बदलने के बाद ये योजना कागजों में सिमटकर रह गई। हालत यह है कि 2 साल में इस महत्वपूर्ण योजना को भुला दिया गया। आईएएस अफसर व तत्कालीन एसडीएम अक्षत जैन ने करीब दो वर्ष पूर्व चिप्स कारखानों को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने के लिए क्लस्टर बनाने की योजना बनाई थी। और इसके लिए कुवाली गांव में जमीन भी चिन्ह्ति की थी, लेकिन महू एसडीएम रहे जैन के महू से जाने के बाद इस मामले में किसी ने रूचि नहीं दिखाई। खास बात है कि जनवरी से मई के बीच संचालित होने वाले यह कारखाने जमकर प्रकृति को नुकसान पहुंचा रहे है। आलू चिप्स निर्माण के दौरान बड़ी मात्रा में स्टार्च निकलता है, जिसे बिना ट्रीट किए ही जल स्त्रोत में मिलाया जा रहा है। जिससे प्रदूषण बढ़ रहा है। उधर, कुछ वर्ष पहले ही एक जिला एक उत्पाद योजना के तहत इंदौर जिले को आलू चिप्स के कारोबार के लिए चयनित किया गया था। लेकिन उसका भी कोई फायदा नहीं मिला।

-ये थी क्लस्टर बनाने की योजना
मानपुर के पास कुवाली में 20 एकड़ जमीन पर बनने वाले क्लस्टर में प्रोसेसिंग यूनिट, स्टोरेज और एक्जीविशन सेंटर सहित तमाम आधुनिक सुविधाएं उपलब्ध करने की तैयारी की थी। साथ ही चिप्स कारखानों से निकलने वाले दूषित पानी से प्रदूषित हो रही नदियों को बचाने के लिए यह क्लस्टर में इंफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट (ईटीपी) लगाया जाना था। भारत सरकार के माइक्रेसे स्मॉल इंटरप्राइजेस क्लस्टर डेवलपमेंट प्रोग्राम (एमएसईसीडीपी) सोजना के तहत यह प्रोजेक्ट बनना था। जिसकी अनुमानित कीमत लगभग 15 करोड़ रुपए है। प्रशासन इन 150 से अधिक कारखानों को क्लस्टर के माध्यम से एक जगह पर लाने की तैयारी कर रहा था।
100 से अधिक का कारोबार
-देशभर में आलू चिप्स के लिए महू गढ़ बन गया है। यहां के कोदरिया, चौरडिय़ा, नेव गुराडिय़ा और पत्थर नाला गांव में 150 से अधिक कारखाने संचालित हो रहे है। जिसमें आलू पपड़ी तैयार की जाती है। इन चिप्स की डिमांड पूरे देशभर में है। जनवरी से मई माह चलने वाले इन कारखानों में 100 करोड़ रुपए से अधिक का व्यापार होता है। इन कारखानों में 10 हजार से अधिक मजूदर व कर्मचारियों को रोजगार मिलता है। इस दौरान 2.5 से 3 लाख टन आलू चिप्स का उत्पादन होता है। जिसे देश के साथ ही खाड़ी देशों में भी भेजा जाता है।
-प्रशासन कर रहा देरी कच्चे आलू पपड़ी निर्माता संघ अध्यक्ष मनोज सैनी ने बताया कि महू और आस- पास बड़े पैमाने पर चिप्स के आलू की खेती की जाती है। यहां कारखानों में तैयार चिप्स देश-विदेश तक जाती है। क्लस्टर बनने से कारखाना संचालकों से लेकर व्यापारियों तक को फायदा होगा। लेकिन प्रशासन इस ओर गंभीरता नहीं दिखा रहा है।
– इनका कहना है-
इस बारें में अभी कोई जानकारी नहीं है। मैं इसे देखकर ही कुछ बता पाऊंगा।
चरणजीतसिंह हुड्डा, महू एसडीएम
चिप्स क्लस्टर को लेकर जमीन ट्रांसफर हेतु वन विभाग से चचाज़् चल रही है। जमीन मिलने के बाद काम आगे बढ़ेगा। एसएस मंडलोई, जीएम जिला उद्योग व्यापार केंद



