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मानसून की दखल के बाद रुखा था नीलगाय पकड़ने का कार्य भी अब फिर शुरू हुआ काम पहले दिन नहीं आई कोई पकड़ में

डीएफओ  टी आर ने ऑटो टेस्टिंग ट्रैक पर जाकर किया निरीक्षण की कर्मचारीयों से चर्चा। धार

आशीष यादव धार 

पिछले दो महीने पहले नीलगाय पकड़े का कार्य वन विभाग द्वारा किया गया था जिसमें 53 से अधिक नीलगाय पकड़ी गई थी मगर मानसून बारिश के बाद कार्य को रोक लिया था वही 12 अगस्त से फिर नीलगाय घोड़ारोज को पकड़ने के लिए टीम तैयार की और खुद नए डीएफओ विजयानतम टीआर में मौके पर पहुंचकर व्यवस्था देखी वहीं कर्मचारियों के साथ
नेट्रेक्स के कर्मचारीयो से चर्चा की गई। वहीं पकड़ी हुई नीलगायों को नीलगाय गांधी सागर अभयारण्य में पहुंचाया जायेगा वहीं पिछली बार 53 नीलगाय पकड़ी वहां खुले विचरण में छोड़ा गया था

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पहली बार बोमा पद्धति सफल:
वहीं एसडीओ एसके रनशोरे ने बताया कि जिले में पहली बार बोमा पद्धति से चलाया अभियान जो सफल रहा था वही जिसको मानसून के चलते रोख दिया था फिर से एक बार मंगलवार फिर टीम बनाकर बोमा पद्धति का जाल लगाया गया वहीं देर शाम तक कोई नीलगया नहीं आई थी वही पहला दिन था उसके कारण नीलगाय को एक जगह लाकर उसको फिर बोमा के घिरे के लाया जायेगा जो एक जगह आ जाएगी और आसानी से गाड़ी के अंदर चली जायेगी।

हादसों की आशंका के चलते रेक्यू:
क्योंकि पीथमपुर स्थित ऑटो टेस्टिंग ट्रैक में आ रही दुनियाभर की कारों, कमर्शियल वाहनों की टेस्टिंग में यहा सबसे बड़ी बाधा नीलगाय बनी हुई है। टेस्टिंग के दौरान ट्रैक व अन्य गाडियों की गति 100-150 की स्पीड से दौड़तीं है। सामने अचानक नीलगायें आ जातीं और कई बार टकरा जाती थीं। बाजार में बिकने से पहले वाहनों की टेस्टिंग ठीक से नहीं हो पा रही थी। इस पर नैट्रेक्स ने भोपाल मुख्यालय से अनुरोध किया जिसके बाद दो चरणों में इसको पकड़ने का कार्य किया वही अब फिर से एक बार ओर शुरू किया गया। यह कार्य 17 मई से शुरू हुआ जो 17 जून तक चलेगा जिसमें 53 नीलगायों को पकड़ा और गांधी सागर अभयारण्य ले जाकर छोड़ दिया। इस अभयारण्य में हाल ही में मुख्यमंत्री ने दो चीतों को छोड़ा था। नीलगायों को पकड़ने के लिए रेस्क्यू टीम में 5 जिलों के सदस्यों को शामिल किया गया है।

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1000 एकड़ में नेट्रेक्स फैला है:
भारी वाहनों की टेस्टिंग के लिए उद्योग मंत्रालय द्वारा नेट्रेक्स बनाया गया है। यह एशिया का सबसे बड़ा और दुनिया का पांचवां सबसे बड़ा हाई स्पीड ऑटो टेस्टिंग ट्रैक है। ट्रैक की लंबाई 11.3 किमी और चार लेन हैं। ट्रैक को लगभग 1000 एकड़ क्षेत्र में 1321 करोड़ रुपए की लागत से विकसित किया गया है। इस ट्रैक पर 350 किमी प्रतिघंटे की गति से वाहनों की टेस्टिंग की जा सकती है। नेट्रेक्स के आसपास घना जंगल है और अंदर दो बड़े तालाब हैं। नीलगायों को पसंद की वनस्पति यहां आसानी से मिल जाती है, इसलिए यह उनका पसंदीदा स्थान बन गया है।
मगर इनके कारण यहा वाहनों को टेस्टिंग में दिक्कत आ रही है।

किसानों को भी होगा फायदा:
पीथमपुर नेट्रेक्स स्थित ऑटो टेस्टिंग ट्रैक में नीलगाय पकंडने के बाद पीथमपुर के आसपास के किसानों को भी थोड़ी राहत मिलेगी क्योंकि नीलगाय अलग-अलग झुंड में फसलो को नुकसान पहुँचाती है जिसके कारण किसान परेशान होते है यह दिनभर में 20 से 25 किलो मीटर का इलाका घूमती है जिसे किसानों के खेतों में नहोता है जिससे हजारों हेक्टेयर फसल का नुकसान होने से बचेगी वही धार जिले के साथ में ही मंदसौर नीमच अन्य कई जिलों में नीलगाईयों का आतंक बढ़ता जा रहा है। वही नेट्रेक्स स्थित ऑटो टेस्टिंग ट्रैक में लगभग 70 से अधिक नीलगाय है जो प्रजनन करने के बाद सख्या भी बढ़ती है मगर अब इनके पकडने से आसपास के किसानों को भी थोड़ा फायदा होगा।

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