राजपुर में साहित्य संगम: निमाड़ी संस्कृति और रचनात्मकता को समर्पित भव्य काव्य गोष्ठी संपन्न
अखिल निमाड़ लोक परिषद एवं 'हमज़मीं' के संयुक्त तत्वावधान में काव्य गोष्ठी एवं मिलन समारोह सम्पन्न

राजपुर; साहित्यिक समरसता एवं सांस्कृतिक संवाद को आगे बढ़ाने हेतु अखिल निमाड़ लोक परिषद राजपुर इकाई एवं नगर की प्रतिष्ठित साहित्यिक संस्था ‘हमज़मीं’ तथा वनमाली सृजन केन्द्र के संयुक्त तत्वावधान में सूर्या होटल राजपुर में भव्य मिलन समारोह एवं काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता राजपुर रियासत के राणा डॉ. शिव शमशेर बहादुर सिंह राणावत ने की, वहीं मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. एस.एन. दुबे, प्राचार्य हरसुख दिगंबर उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बड़वानी, वरिष्ठ पत्रकार आर.आर. प्रिंस एवं अनिलोप बड़वानी इकाई के संयोजक राजीव वर्मा उपस्थित रहे। विशेष अतिथि के रूप में कसरावद से सेवानिवृत्त प्राचार्य श्री राजेन्द्र मंडलोई (धामनोद) की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम की शुरुआत माँ शारदे के पूजन व दीप प्रज्वलन के साथ हुई। माँ सरस्वती की वंदना सुरेश व्यास ‘मकरन्द’ द्वारा प्रस्तुत की गई।
अनिलोप राजपुर इकाई के संयोजक प्रमोद त्रिवेदी ‘पुष्प’ ने संगठन की उपलब्धियों, उद्देश्य एवं आगामी निमाड़ी दिवस (19 सितंबर, खरगोन) के आयोजन की जानकारी दी और अधिकाधिक सहभागिता का आह्वान किया।
काव्य गोष्ठी में राजपुर एवं आसपास के अनेक साहित्य साधकों ने अपनी रचनाओं से श्रोताओं को अभिभूत किया—
दिलीप कुशवाह ‘राज’ ने वर्षा पर आधारित ग़ज़ल सुनाई – “खोब सतावज यो पाणी यार…”
केशव यादव ‘सारथी’ ने बेबस मन की संवेदनाएं हाइकू के माध्यम से व्यक्त कीं।
बलवन्त लोनारे ने प्रभु श्रीराम पर भावपूर्ण रचना प्रस्तुत की।
राजेन्द्र मंडलोई ने हास्य निमाड़ी रचना से श्रोताओं को खूब गुदगुदाया – “उल्टी चलऽ या कळु की गाड़ी…”
डॉ. एस.एन. दुबे ने बड़वानी की विशेषताओं को समेटती हुई कविता “एक बार जरूर आइए बड़वानी” सुनाई।
डॉ. निशिकांत गुप्ता ने अपने विशिष्ट हास्य अंदाज़ में सुनाया – “ताउम्र लगे रहे हँसाने में…”
राजीव वर्मा ने तीखे हास्य-व्यंग्य प्रस्तुत किए, वहीं प्रिन्स ने योगी पर केंद्रित रचना सुनाई।
गणेश सोनी ने पितृ समर्पित रचना में कहा – “माँ बच्चों की प्रथम गुरु होती है, लेकिन पिता से ही ज़िंदगी शुरू होती है।”
महेश गुप्ता ‘राही’ ने वर्तमान डिजिटल युग पर व्यंग्य करते हुए कहा – “होशियार हैं जो कमाने में लगे हैं…”
सुरेश व्यास ‘मकरन्द’ की ग़ज़ल “हमको फिर पत्थर के सनम याद आए…” श्रोताओं को खूब पसंद आई।
प्रमोद त्रिवेदी ‘पुष्प’ ने भी एक सशक्त निमाड़ी कविता प्रस्तुत की।
कार्यक्रम का कुशल संचालन डॉ. अपूर्व शुक्ल ने किया, जिन्होंने अपनी हास्य रचना “नई कविता फंदा म पड़ी गई” से महफ़िल को जीवंत बना दिया।
आभार प्रदर्शन बलवन्त लोनारे ने किया।
कार्यक्रम में नगर के कई साहित्यकार, कविगण एवं समाजसेवी उपस्थित रहे। यह आयोजन न केवल साहित्यिक अभिव्यक्ति का मंच बना, बल्कि निमाड़ी भाषा व लोकसंस्कृति के संरक्षण व प्रसार की दिशा में एक सशक्त कदम सिद्ध हुआ।