12 से विवाह शुभ मुहूर्त बंद, महीनेभर नहीं बजेगी शादी की शहनाई गुरुवार को रहा आखिरी दिन 14 अप्रैल से शुरू हो सकेंगे मांगलिक कार्य ब्रेक
होलाष्टक आज से, 14 से खरमास भी, 38 दिन तक मांगलिक कार्यों पर ब्रेक होलिका दहन 13 और धुलंडी 14 मार्च को मनाएंगे

आशीष यादव धार
इस माह अब विवाह के दो ही शुभ मुहूर्त बचे हैं: , 11 व 12 मार्च। इसके बाद विवाह एक माह के लिए बंद हो जाएंगे। 13 मार्च को होलिका दहन की पूर्णिमा से शादियां नहीं होंगी। 14 मार्च से खरमास लग रहा है, जो 12 अप्रैल तक चलेगा। 13 अप्रैल से वैशाख मास लगने के साथ ही 14 अप्रैल से विवाह के शुभ मुहूर्त पुनः शुरू हो जाएंगे। अप्रैल माह में 14, 16, 18, 20, 25, 29 व 30 तारीखों को विवाह के शुभ मुहूर्त हैं। साथ ही होली 13 और धुलंडी 14 मार्च की है, पर इसी से जुड़ा होलाष्टक शुक्रवार यानी फागुन कृष्ण अष्टमी 7 मार्च को शुरू हो गया है। इसके साथ हिंदू रीति रिवाज अनुसार मांगलिक कार्यों पर विराम लग जाएगा। गुरुवार को इस सीजन का आखिरी शादी हौगी रहा। पंडितों के अनुसार 14 मार्च से खरमास भी लग जाएगा। इसलिए अब विवाह मुहूर्त 14 अप्रैल से ही है। इधर, कई जगह होली का डांडा भी रोप दिया गया।
शुक्रवार से शुरू हुआ होलाष्टक:
उदयकाल अनुसार होलाष्टक शुक्रवार से माना जा रहा है। अष्टमी पर चंद्रमा, नवमी पर सूर्य, दशमी पर शनि, एकादशी पर शुक्र, द्वादशी पर गुरु, त्रयोदशी पर बुध, चतुर्दशी पर मंगल और पूर्णिमा तिथि के दिन राहू उग्र स्थिति में रहते हैं। इसलिए मांगलिक कार्य नहीं होते है। होलाष्टक पूर्णिमा को समाप्त होते हैं, लेकिन इस बार पूर्णिमा 13 व 14 मार्च दोनों दिन है। इस बीच सूर्य कुंभ से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करेगा। इससे मीन संक्रांति बनेगी यानी मीन खर मास शुरू हो जाएगा। इस दौरान विवाह जैसे शुभ कार्यों पर रोक रहेगी। सूर्यदेव एक महीने बाद 14 अप्रैल को मीन से मेष राशि में प्रवेश करेंगे। तब खरमास समाप्त होगा और शुभ कार्यों की शुरुआत होगी। ज्योतिषविदों के अनुसार शुभ कार्यों के लिए गुरु और सूर्य का मजबूत होना जरूरी होता है। खरमास में सूर्य मलिन अवस्था में रहते हैं और गुरु की स्थिति भी कमजोर हो जाती है। इसलिए विवाह आदि कार्य नहीं होते। ॐ तत्सत् परमार्थिक संस्था के ज्योतिषाचार्य पं. विकास उपाध्याय निशीथ व्यापिनी पूर्णिमा होने से चतुर्दशी गुरुवार 13 मार्च को ही होलिका दहन होगा और 14 मार्च को धुलंड़ी पर्व मनाया जाएगा
होलिका दहन 13 और धुलंडी 14 मार्च को मनाएंगे:
भद्रा का साया, रात 11:25 बजे बाद दहन श्रेष्ठ
पंडित अशोक शास्त्री अनुसार होली के दिन भद्रा का साया रहेगा। सुबह 10:36 बजे से तिथि शुरू होगी, जो 14 मार्च दोपहर 12:24 मिनट तक रहेगी। इस बीच 13 को सुबह 10:33 से स्थानीय समया अनुसार रात 11:25 बजे तक भद्रा काल रहेगा। ऐसे में रात इसके बाद से मध्यरात्रि 12.06 के बीच होलिका दहन करना श्रेष्ठ रहेगा। पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र और शूल योग में होलिका दहन होगा।
होली चातुर्मास की परंपरा:
पंडितों के अनुसार भक्त प्रह्लाद को पिता द्वारा भक्ति मार्ग से हटाने के लिए विभिन्न कठोर यातनाएं दी गई। फिर भी प्रह्लाद विचलित नहीं हुए। इसी कारण होली से पूर्व आठ दिनों का होलाष्टक कहा जाता है। होलाष्टक में जप, तप और इष्ट आराधना ही विशेष फलदायी मानी जाती है। जैन समाज में भी होली चार्तुमास की परंपरा देखी जाती है। जिसमें संत साध्वी होली के दिनों में किसी एक जगह ही प्रवास कर धर्म आराधना कराते हैं। वैदिक संस्कृति में होलिका दहन के अगले दिन भक्त प्रह्लाद के जीवित बचने की खुशी में भस्म, गुलाल एवं रंगों का त्यौहार मनाया जाता है। होली खेलने से तनाव से मुक्ति मिलती है। सौहार्द में वृद्धि होती है। होलिका दहन से रोगकारक कीटाणुओं का नाश होकर वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा व्याप्त होती है।
होलिका दहन 13 व भाई दूज 16 को
शास्त्री ने बताया कि होली की दो पूर्णिमा हैं। 13 मार्च की पूर्णिमा उदया तिथि में होने के कारण व्रतियों के लिए शुभ है, जबकि 14 मार्च को स्नान-दान पूर्णिमा है। होलिका दहन 13 मार्च को होगा, और भाई दूज 16 मार्च को मनाई जाएगी। साथ ही चैत्र नवरात्र व हनुमान जयंती पर ग्रह दशा की कोई आंच नहीं है 15 मार्च से चैत्र नवरात्र उत्सव प्रारंभ होगा। 6 अप्रैल को रामनवमी, 10 अप्रैल को महावीर स्वामी जन्म कल्याणक महोत्सव और 12 अप्रैल को हनुमान जयंती मनाई जाएगी। इन पर्वों पर ग्रह-नक्षत्रों का कोई दोष नहीं है।
9 शुभ मोहर्त अप्रैल में:
अप्रैल में 16 दिन में 9 शादी, 30 को आखातीज का शुभ मुहूर्त क्योकि 14 अप्रैल से ही सावे शुरू होंगे। अप्रैल में 14, 16, 18, 19, 20, 21, 25, 28 और 30 तारीख को मुहूर्त हैं। मई में 1, 5, 6, 7, 8, 13, 15, 17, 24 और 28 को शुभ मुहूर्त रहेंगे। जून में 1, 2, 4, 7, 8, 9 और 10 तारीख को विवाह होंगे। इस बीच 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया और 12 मई को पीपल