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सेंधवा में काव्य गोष्ठी; पहले सोते थे तो व्यक्ति को आराम मिलता था, अब सोते हैं तो मोबाइल को आराम मिलता है

-काव्य गोष्ठी में रचनाकारों ने प्रस्तुत की अपनी रचनाएं।

-सेंधवा का नाम गोल्ड बुक में शामिल करवाने वाली मंजुला शर्मा का स्वागत

सेंधवा। रमन बोरखड़े। रविवार को सेंधवा काव्यमंच के तत्वावधान में एक साहित्यिक काव्य गोष्ठी का आयोजन निवाली रोड स्थित सेंधवा पब्लिक स्कूल में किया गया। इस अवसर पर काव्य मंच द्वारा भारत के संविधान को छंदबद्ध करने में उत्कृष्ट कार्य करने पर नगर की लेखिका श्रीमती मंजुला शर्मा को भी सम्मानित किया गया।
इस अवसर आयोजित काव्य गोष्ठी में नगर के प्रतिष्ठित रचनाकारों ने अपनी रचना प्रस्तुत की। रचनाकार जनाब हाफिज अहमद हाफ़िज ने मां ढूंढती है ऐसे की जैसे हो कल की बात, बेटे को घर से निकले ज़माना निकल गया सुनाई। गिरीश त्रिवेदी ने सुनाया कि पहले सोते थे तो व्यक्ति को आराम मिलता था, अब सोते हैं तो मोबाइल को आराम मिलता है। पूर्व प्रो. एचडी वैष्णव ने असमानता पर अपनी रचना सुनाई। चेतन गोयल ने लिखनी होती है यह कविता तब-तब यह संसार में… सुनाकर कविता के महत्व को उजागर किया। डॉ. महेश बाविस्कर ने माफीनामा नामक कविता उलझन में ही रहा कि मैं कुछ लिख नहीं पाया… सुनाई । शिक्षक विजय पाटिल ने पर्यावरण पर चल सांसों की उम्र बढ़ाएं, प्रकृति में हम घुल-मिल जावे… सुनाई, साहित्यकार पवन शर्मा हमदर्द ने समय के बहाव को देखकर लौट जाए वह धारा नहीं हूं मैं, मेरे शत्रुओं से जाकर कह दो कि अभी हारा नहीं हूं मैं…सुनाई। डॉ. केआर शर्मा ने दलबदल पर कविता सुनाते हुए कहा हम तेरी चरण वंदना करेंगे, दिन को रात और रात को दिन कहेंगे… सुनाई। प्रो. सीजी खले ने अपने व्यंग्यात्मक लहजे में कहा माना कौन कितना जीएगा, यह हमारे बस में नहीं है। पर कैसे जिया जाए यह हमारे बस में है। किसी के तलवे चाटना आसान काम नहीं है, हुनर चाहिए इंसान को कुत्ता बनने के लिए…सुनाई। काव्य गोष्ठी का संचालन शिक्षक मनोज मराठे ने किया।

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लेखिका शर्मा का अभिनंदन- इस अवसर श्रीमती मंजुला शर्मा ने बताया कि भारतीय संविधान संविधान के 395 अनुच्छेद जो की 22 भागों में विभाजित है। उसे 2110 दोहों, 422 रोलाएं एवं अन्य विधाओं में रचा गया है। इस कार्य में देश के विभिन्न राज्यों से 142 साहित्यकारों ने अपना योगदान दिया। दो साल की मेहनत के बाद छंदबद्ध करने का हमारा सामुहिक प्रयास गोल्डन बुक में अपना स्थान बना पाया। मेरे लिए छंदबद्ध करना अहम् बात नहीं है। हमारा नाम रहेगा यह उपलब्धि है। इसे पाठ्यक्रम में शामिल करने कि मांग की जा रही है।
सर्वप्रथम विशेष अतिथि श्रीमती मंजुला शर्मा, प्रोफेसर सीजी खले, एवं प्रोफेसर केआर शर्मा, मनोज मराठे द्वारा मां सरस्वती की प्रतिमा के सम्मुख दीप प्रज्वलित किया गया। उसके बाद लेखिका शर्मा का उपस्थित सभी सदस्यों ने पुष्प गुच्छ और प्रतिक चिन्ह देकर नागरिक अभिनंदन किया।

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