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सेंधवा; भारत विश्व को ज्ञान बांट रहा है, इसलिए भारत विश्व गुरू है, श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन दिव्य मुरारी बापू ने कहा

सेंधवा। रमन बोरखडे। कुछ लोग पूछते है की भगवान को सब लोग नहीं मानते है फिर भगवान जगत गुरु कैसे है। महात्मा लोग कहते है लोगों के कहने से क्या होता है। भगवान ने मानव कल्याण हेतु कार्य किया है। इसलिए वह जगत गुरु है। किसी के मानने या नहीं मानने से क्या होता है। भारत विश्व गुरू है, क्योंकि भारत विश्व को ज्ञान बांट रहा है। इसलिए भारत विश्व गुरू है। उक्त विचार निवाली रोड स्थित वैभव इंडस्ट्रीज में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के सातवें दिन दिव्य मुरारी बापू ने व्यक्त किए।
दिव्य मुरारी बापू ने प्रवचन के दौरान कहा कि नंद बाबा से गोपियों ने पूछा की नंद बाबा आप इतने गोरे है। माता यशोदा भी गोरी है तो श्याम इतने काले क्यों है। तब बाबा ने कहा श्याम से ही पूछ लेते है। तब श्याम ने कहा मां जब मेरा जन्म हुआ उस समय काल कोठी में अंधेरा था। माता ने दीप नहीं लगाया था, इसलिए काला हुआ। राजा कंस ने श्याम से पूछा तुमारा रंग इतना काला कैसे है तो श्याम ने बोला मैं तेरा काल हूं इसलिए काला हूं। भगवान के बराबर कोई नहीं है। संसार में सबसे बड़ा करोड़पति वह है जिनके पास भगवान के भजन के अलावा कोई काम नहीं है।

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दूसरों को कभी दुखी नहीं करना चाहिए –
दिव्य मुरारी बापू ने कहा कि दूसरों को कभी दुखी नहीं करना चाहिए, दूसरे को दुख पहुंचाएंगे तो खुद भी दुखी रहेंगे। सुखी नहीं रह पाओगे। हर व्यक्ति घर में शांति चाहता है। पर हम काम ऐसा करते है की घर में अशांति बनी रहती है। परिवार का हर सदस्य यह प्रयास करे की घर में शांति बनी रहे तो निश्चित माने भगवान की कृपा से घर में शांति ही रहेगी।
भगवान ने सुदामा का भाग्य बदल दिया-
दिव्य मुरारी बापू ने कहा कि भागवत में लिखा है जब सुदाम द्वारका पहुंचे तो भगवान ने उनका स्वागत कर उनकी पूजा कर उनके चरणों को धोया। भगवान ने सुदामा का भाग्य बदल दिया। सुदामाजी की दरिद्रता को खत्म कर दिया। भगवान ने सुदाम से परिवार के बारे में पूछा, उनकी पत्नी के बारे में पूछा तो सुदामा ने कहा बहुत अच्छी है। उनके कारण ही सुदामा भगवान से मिल पाए। सुदामा के चावल की फक्की लेते ही सुदामा को द्वारका जैसा वैभव सौंप दिया था। कथा के यजमान राजेंद्र शर्मा ने बताया की कथा के विराम पर फूलों की होली खेली गई।

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