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आपकी बात; बेहतर निवेश, उन्नति और भविष्य के लिए अंधविश्वास का निर्मूलन जरूरी है

रंजन श्रीवास्तव
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सीहोर जिले के कुबरेश्वर धाम में भगदड़ में हुई दो श्रद्धालुओं की मौत हमें आश्चर्यचकित नहीं करती है. जिस तरह से रुद्राक्ष वितरण के नाम पर लोगों का हर वर्ष जमावड़ा किया जाता है और इसके कारण भगदड़ या भगदड़ जैसी स्थिति निर्मित होती है वह स्वाभाविक है.
दुखद यह है कि सरकार और प्रशासन ने इसी जगह दो वर्ष पहले घटित हुए भगदड़ में दो महिलाओं की मौतों से कुछ भी सीखने से इंकार किया और इसकी परिणीति इस वर्ष भी भगदड़ और मौतों में हुई है.

सरकार भोपाल और इंदौर के बीच में औद्योगिक कॉरिडोर बनाने के लिए कई वर्ष से प्रयत्नशील है. सीहोर जिले में ही एक नया प्रस्तावित एयरपोर्ट भी आ सकता है. प्रदेश की राजधानी भोपाल और आर्थिक राजधानी को जब औद्योगिक कॉरिडोर से जोड़ने की बात हो रही हो और मुख्यमंत्री कई देशों की यात्रा कर मध्य प्रदेश में बेहतर निवेश लाने के लिए प्रयासरत हैं ऐसे में भोपाल के पड़ोसी जिले सीहोर जो कि प्रस्तावित कॉरिडोर के बीच एक महत्वपूर्ण कड़ी है, में आस्था या अन्धविश्वास के नाम पर लाखों लोगों का जुटाने देना और वहां भीड़ को नियंत्रित करने का समुचित प्रयास ना होना बताता है कि सरकार की प्राथमिकता में स्पष्टता का अभाव है.
दुर्भाग्य से मध्य प्रदेश में ऐसे बाबाओं की संख्या बढ़ती ही जा रही है जो लाखों लोगों को अपना अनुयायी बनाने और उनकी भीड़ जुटाने में इस लिए सक्षम हैं क्योंकि ना तो सरकार या प्रशासन या कोई और इन बाबाओं से यह पूछने की हिम्मत करता है कि अगर इन बाबाओं के पास वह परम शक्तियां हैं जिससे वह भविष्य जान सकते हैं तो स्वयं अपने “धाम” में होने वाली भगदड़ को क्यों नहीं जान पाते या इन भगदड़ में श्रद्धालुओं की मौतों को क्यों नहीं टाल सकते.
प्रयागराज में इसी वर्ष आयोजित महाकुम्भ में धर्म के बड़े बड़े महारथी मौजूद थे. उनकी उपस्थिति में ही वहां भगदड़ हुआ और बहुत से लोग मारे गए (उत्तर प्रदेश सरकार के मुताबिक इस भगदड़ में 30 लोग मारे गए बीबीसी की एक रिपोर्ट के अनुसार 80 से ज्यादा लोग मारे गए
इसके पहले कि लोग पंडित धीरेन्द्र शास्त्री या अन्य किसी धर्मगुरु की शक्ति पर सवाल उठाते मध्य प्रदेश के बागेश्वर धाम के पंडित धीरेन्द्र शास्त्री जो महाकुम्भ में भगदड़ के समय मौजूद थे, ने यह तक कह डाला कि “हर किसी को एक दिन मरना है, लेकिन जो गंगा के किनारे मरता है, वह मरता नहीं, उसे मोक्ष मिलता है।”
बागेश्वर धाम में ही जुलाई में एक टेंट गिर जाने से एक व्यक्ति की मृत्यु हो गयी और कई लोग घायल हो गए.
ये घटनाएं बताती हैं कि किसी भी बाबा के पास कोई ऐसी शक्ति नहीं है जो भविष्य की घटनाओं को जान सके और टाल सके पर इसके लिए लोगों को अपने तर्कशक्ति पर विश्वास करने की जरूरत है.
सिद्ध पुरुष सदियों में कभी कभार आते हैं और वे अपनी सिद्धि को कभी भी प्रदर्शन की वस्तु नहीं बनाते हैं.
अगर पर्चियों से, रुद्राक्ष से या किसी और विधि से आने वाली अनहोनी को टाला जा सके तो पूरे विश्व में कोई भी दुर्घटना घटित ही नहीं होगी और ना लोग असमय मृत्यु का शिकार बनेंगे. अगर बीमारियों का इलाज़ औषधि की बजाय किसी रत्न और ताबीज़ में हो तो डॉक्टर्स और हॉस्पिटल की जरूरत ही नहीं पड़ेगी.
यह भी सही है कि किसी के भी प्रति चाहे वह कोई बाबा हो या अन्य कोई व्यक्ति व्यक्तिगत आस्था पर प्रश्न नहीं उठाया जा सकता पर जहाँ आस्था की जगह अन्धविश्वास हावी हो जाए और अन्धविश्वास का सहारा लेकर लोगों के भारी भीड़ का जमावड़ा किया जाए वहां सरकार और प्रशासन का दखल जरूरी है.
दो वर्ष पहले सीहोर जिले के तत्कालीन प्रशासन ने रुद्राक्ष वितरण पर रोक लगाने का प्रयास कर प्रशंसनीय कार्य किया था पर तत्कालीन सरकार से उन्हें प्रशंसा की बजाय नाराजगी का कोपभाजन बनाना पड़ा था.
तब बाबा को मनाने के लिए तत्कालीन गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने फ़ोन पर बाबा से कहा कि सरकार उनके आशीर्वाद से ही चल रही है.
ऐसे में कौन प्रशासनिक या पुलिस अधिकारी फिर रुद्राक्ष वितरण पर रोक लगाने का जहमत उठाता?
अगर सरकार की कोई राजनीतिक बाध्यता है कि रुद्राक्ष वितरण या आने वाली भीड़ पर रोक नहीं लगाई जाए तो कम से कम सरकार यह तो प्रबंधन कर सकती है कि श्रद्धालुओं की भीड़ को सही तरीके से नियंत्रित किया जाए जिससे किसी भी श्रद्धालु की मौत ना हो या वह घायल ना हो.
अगर धाम के प्रबधक भगदड़ के लिए जिम्मेदार पाए जाते हैं तो उनपर उचित कार्रवाई की जानी चाहिए.
इसी वर्ष बैंगलोर में भगदड़ में हुई 11 मौतों के बाद देर से ही सही सरकार ने उचित कदम उठाते हुए आईपीएल की रॉयल चैलेंजर्स बेंगलुरु टीम के खिलाफ पुलिस में प्राथमिकी दर्ज कराई.
सरकार को यह समझना होगा कि बेहतर निवेश के लिए अन्य कारकों के अलावा आवागमन के लिए बेहतर साधन और स्किल्ड लेबर की जरूरत हर निवेशक को चाहिए.
अगर भोपाल इंदौर जैसे महत्वपूर्ण हाईवे पर इस तरह के कार्यक्रमों के कारण हर वर्ष ट्रैफिक घंटों बाधित रहेगा और वाहनों की मीलों लम्बी लाइन लगेगी और साथ ही ज्ञान विज्ञान की जगह अन्धविश्वास का इस तरह से प्रचार और प्रसार होगा तो तो कैसे कोई निवेशक या उसका प्रतिनिधि मध्य प्रदेश में आने की हिम्मत करेगा?

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