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रामचरित मानस विश्व विख्यात, युनेस्को ने इसे विश्व धरोहर के रूप में शामिल किया है

सेंधवा कॉलेज में तुलसी जयंती के उपलक्ष्य में परिचर्चा में बोले वक्ता।

सेंधवा। वीर बलिदानी खाज्या नायक शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय सेंधवा में तुलसी जयंती के उपलक्ष्य में परिचर्चा आयोजित की गई। यह आयोजन महाविद्यालय के भारतीय ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ के द्वारा आयोजित किया गया। संचालन करते हुए डॉ राहुल सूर्यवंशी ने बताया तुलसीदास जी का जीवन हमें बहुत प्रेरणा देता है। उनका ढृढ संकल्प हमें संकल्पित करता है। तुलसीदास जी की लिखने की उपादेयता हमें अद्भुत प्रेरणा देती है। छात्र अमित पवार ने कहा कि तुलसीदास का जीवन चरित्र का वर्णन के लिए समय कम ही पड़ेगा। उनकी जयंती केवल एक दिन की नहीं होनी चाहिए। उनके जीवन चरित्र और रामचरित मानस को भी हमें अपने जीवन में उतारना होगा। तभी हमारी धर्म संस्कृति जीयेंगी, पलेगी और फलेगी भी।

कैडेट् कोमल चितावले ने हिन्दी साहित्य के महानतम कवियों में एक तुलसीदास का जीवन परिचय का वर्णन किया। कैडेट् विनय डावर कहा तुलसीदास जी साहित्य के स्तंभ ही नहीं है। वह धर्म संस्कृति की जीवंतता के परिचायक भी है। इस अवसर पर प्रो दीपक मरमट ने कहा कि तुलसीदास जी ने काव्य शास्त्र को पुर्नजीवित किया है। उनसे हम सीख सकते हैं कि हमें अपने गुणों को परिमार्जित करते रहना चाहिए। जो तुलसीदास जी ने अपने जीवन में बखूबी किया।

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उक्त कार्यक्रम के संयोजक डॉ. महेश बाविस्कर ने बताया कि रामचरित मानस की सीमा अब विश्व विख्यात हो गई है। युनेस्को ने रामचरित मानस को विश्व धरोहर के रूप में शामिल किया गया है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में बहुत कुछ पहले से ही लिखा जा चुका है। जिसके अध्ययन की आज भी महती आवश्यकता है। रामचरित मानस में जीवन की हर समस्या का समाधान मिलता है। आभार प्रो लेफ्टिनेंट संजय चौहान ने माना। इस अवसर पर प्राचार्य डॉ. जीएस वास्कले, प्रो राजेश नावडे, डॉ राकेश जाधव, प्रो किशन पवार, प्रो जितेन्द्र सूर्यवंशी, डॉ जितेन्द्र साईंखेड़िया, दीपक उज्जैनकर, दिनेश आर्य, रवि शुक्ला सहित एनसीसी कैडेट्स और विद्यार्थी उपस्थित थे। यह जानकारी डॉ विकास पंडित ने दी। इस कार्यक्रम के पश्चात रविन्द्र भवन भोपाल में आयोजित मुख्यमंत्री के द्वारा बालिका संवाद एवं सम्मान समारोह के कार्यक्रम का सीधा प्रसारण दिखाया गया।

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