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राजवाड़ा-2-रेसीडेंसी, सरकार के खिलाफ धीमी कांग्रेस, सक्रिय जयस – निशाने पर भाजपा

(अरविंद तिवारी)

बात यहां से शुरू करते हैं…

गजेन्द्रसिंह पटेल और सुमेरसिंह सोलंकी जैसे आदिवासी सांसदों के साथ ही संघ के सिपाही डॉ. निशांत खरे और लक्ष्मणसिंह मरकाम की मदद से मालवा-निमाड़ की आदिवासी सीटों पर भाजपा को मजबूत करने में लगे मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के लिए मालवा क्षेत्र में आदिवासी युवती की संदिग्ध मौत और फिर फायरिंग में आदिवासी युवक की जान गंवाने का मामला परेशानी में डालने वाला हो सकता है। दरअसल इस मामले में कांग्रेस से ज्यादा उग्र तेवर जयस के हैं और घटना के बाद से ही जिस तरह से जयस से जुड़े आदिवासी युवकों ने गांव-गांव में मोर्चा संभाल लिया है, वह अच्छा संकेत नहीं है। ये लोग सीधे भाजपा को निशाने पर ले रहे हैं और यह जंचाने में कोई कसर बाकी नहीं रख रहे हैं कि यह आदिवासी विरोधी सरकार है। कुछ ऐसा ही सीन 2018 के चुनाव के पहले निर्मित किया गया था।

मध्यप्रदेश के चुनाव… चर्चा में आप, ओवैसी और जयस

मध्यप्रदेश में इन दिनों आप, ओवैसी और जयस की बड़ी चर्चा है। आप और जयस ने मध्यप्रदेश में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है और असदउद्दीन ओवैसी की पार्टी एआईएमआईएम भी अपनी गतिविधियों को विस्तार देने में लगी है। आप का जोर शहरों पर है, तो जयस आदिवासी क्षेत्रों पर अपनी पैठ को मजबूत करने में लगी है। ओवैसी के निशाने पर मध्यप्रदेश के वे तमाम कस्बे और शहर हैं, जहां अच्छी-खासी मुस्लिम आबादी है। आप के दिग्गज कांग्रेस और भाजपा के उन नेताओं के संपर्क में भी हैं, जिन्हें दोनों पार्टियों में तवज्जो नहीं मिल रही है। जयस भाजपा को ज्यादा नुकसान पहुंचाने की स्थिति में है तो ओवैसी की बढ़ती सक्रियता कांग्रेस के लिए परेशानी का कारण। 

कमलनाथ का फार्मूला… सक्रिय हैं सरकार के सूरमा

मध्यप्रदेश में कांग्रेस के कर्णधार कमलनाथ का नया फार्मूला राजनीतिक हलकों में चर्चा में आ ही गया। कांग्रेस के साथ ही भाजपा में भी इसकी चर्चा है। कांग्रेसी जहां इससे उत्साहित हैं, वहीं भाजपाई यह सोच रहे हैं कि आखिर किस आधार पर कमलनाथ हर फोरम पर बहुत दमदारी से यह बात कह रहे हैं कि बस छ: महीने और रुक जाइए, मध्यप्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनेगी और हम आपकी समस्याओं का निदान कर देंगे। विधानसभा में वे भाजपा के दिग्गज नेताओं की मौजूदगी में ये बात कह गए, नरसिंहपुर में उन्होंने एक सभा को संबोधित करते हुए इसे आगे बढ़ाया और अब तो हर जगह इसे दोहराते नजर आ रहे हैं। सरकार के सूरमा नाथ खेमे में सेंध लगाकर यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आखिर क्या राज है इसके पीछे।

आनंद राय की मुखरता और रंजना बघेल के तीखे तेवर

यूं तो आनंद राय की सोशल मीडिया पर सक्रियता के चलते कई लोगों से उनका विवाद होता रहता है। लेकिन जिस अंदाज में पूर्व मंत्री रंजना बघेल ने डॉ. राय के खिलाफ मोर्चा खोला, वह कम चौंकाने वाला नहीं है। खुद को लेकर एक फेसबुक पोस्ट के बाद बघेल डॉ. राय के घर जा धमकी और तीखे तेवर दिखाते हुए न जाने क्या-क्या कह डाला, जिसकी उम्मीद राय को सपने में भी नहीं रही होगी। जब राय की डॉक्टर पत्नी ने बघेल से संवाद शुरू किया तो वे न केवल बरसते हुए बोलीं बल्कि यह भी कह गईं कि कल फिर आती हूं और आपके पति से सामने बैठकर ही बात करूंगी। इस विवाद का अंत कुछ भी, लेकिन फिलहाल तो गर्दिश में चल रही बघेल के नंबर शिवराज के दरबार में बढ़ ही गए हैं। 

इनकी भव्य भगवा यात्रा और उनका रंगारंग होली मिलन

संघ से भाजपा में आए नानूराम कुमावत ने जिस अंदाज में गुढ़ीपड़वां के पहले जिस अंदाज में शहर को भगवामय कर दिया, उससे कइयों का चौंकना स्वाभाविक है। कुमावत का यह आयोजन पार्टी के भीतर भी चर्चा का विषय बना हुआ है। उनकी संस्था पुरुषार्थ ने शहर को भगवा झंडों से पाट दिया और हजारों वाहनों का काफिला लेकर 21 किलोमीटर लंबी रैली निकाली उससे यह तो स्पष्ट हो ही गया कि कुछ भी हो संघ के इस सिपाही के दावे को इंदौर पांच विधानसभा क्षेत्र में नजरअंदाज करना मुश्किल हो। कांग्रेस में अमन बजाज का होली मिलन समारोह भी यह संकेत तो दे ही गया कि बजाज खेलेंगे नहीं तो खेल बिगाड़ेंगे की स्थिति में तो आ ही गए हैं। यह आयोजन कांग्रेस के नेताओं को एक प्लेटफार्म पर खड़ा तो कर ही गया। 

…तो अब मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति में भी राजनीति 

देश की सबसे पुरानी और प्रतिष्ठित हिन्दी संस्था मध्यभारत हिन्दी साहित्य समिति में हुआ प्रधानमंत्री का चुनाव शहर और प्रदेश ही नहीं पूरे देश में चर्चा का विषय बन गए। इस अहम पद के लिए जिस तरह आपसी खींचतान मची और मतदान की नौबत आई उससे समिति की छवि प्रभावित हुई। कई वरिष्ठ साहित्यकार नाराज और दु:खी हैं। प्रोफेसर सूर्यप्रकाश चतुर्वेदी के निधन से प्रधानमंत्री पद खाली होने पर अनेक दावेदार उभर आए। आखिरकार तीन लोग चुनाव लड़ लिए। सभापति सत्यनारायण सत्तन इन हालातों से खुद बहुत दु:खी और नाराज बताए जा रहे हैं। संघ के नजदीकी माने जाने वाले अरविंद जवलेकर प्रधानमंत्री का चुनाव जीते। उन्होंने कशमकश भरे चुनाव में अरविन्द ओझा को मात्र एक वोट से हराया। इस चुनाव में वरिष्ठ साहित्यकार हरेराम वाजपेयी को मात्र पांच वोट मिलना भी चर्चा का विषय है। 

सूची तैयार, बस जारी होने का इंतजार

कई एडीजी और आईजी बदले जाने के बाद अब सबकी नजर जल्दी ही आने वाली डीआईजी और एसपी की तबादला सूची पर है। हाल ही में डीआईजी बने कई आईपीएस अफसर रेंज में पदस्थ किए जा सकते हैं वही कई बड़े जिलों मैं नए एसपी देखने को मिलेंगे। सूची तैयार है बस जारी होने का इंतजार है। इंदौर में पदस्थ एक अतिरिक्त पुलिस आयुक्त और 3 डीसीपी रेंज में डीआईजी और जिलों में एसपी के रूप में मौका पा सकते हैं। 

चलते-चलते

भोपाल में पिछले दिनों हुए कांग्रेस के भीड़ भरे प्रदर्शन के बाद अब उस नेता को तलाशा जा रहा है, जिसने सभा स्थल पर माइक का बंदोबस्त किया था। इस आयोजन में खराब माइक व्यवस्था के कारण मंच से थोड़ी दूर बैठे लोग भी कमलनाथ सहित पार्टी के अन्य नेताओं की बात सुन ही नहीं पाए। 

पुछल्ला

इंदौर में लंबी पारी खेलने के बाद हरिनारायणचारी मिश्र अब भोपाल के पुलिस कमिश्नर हो गए हैं। सुनो सबकी करो अपने मन की फार्मूले पर काम करने वाले मिश्र का यह टोटका इंदौर में तो चल गया, लेकिन भोपाल में कितना मददगार साबित होगा, यह तो वक्त ही बताएगा।  मिश्र की सरलता,मिलनसारिता और सहज उपलब्धता को हमेशा याद रखा जाएगा। यह भी एक रिकार्ड ही है कि वे इंदौर में चार अलग-अलग पदों पर काम करने वाले एकमात्र पुलिस अफसर हैं। 

बात मीडिया की

दैनिक भास्कर के स्टेट एडीटर पद से हटाकर दिल्ली भेजे गए अवनीश जैन जल्दी ही भास्कर समूह को गुडबाय कह सकते हैं। अवनीश भास्कर के प्रतिद्वंद्वी माने जाने वाले दो समूहों से अलग-अलग माध्यमों से संपर्क में हैं। भास्कर में उनके नजदीकी रहे संपादकीय टीम के कुछ लोगों पर भी प्रबंधन की गाज गिर सकती है। 

दैनिक भास्कर का प्रतिष्ठा आयोजन भास्कर उत्सव के पहले या दूसरे दिन इन दिनों बेहद चर्चा में चल रहे एक कथाकार का आयोजन हो सकता है। यह कथाकार इन दिनों इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में सुर्खियों में हैं। इस आयोजन के आखिरी दिन भी एक बड़ा जश्न होगा। संभवतः शंकर महादेवन नाईट के रूप में। 

पहले पत्रिका और बाद में दैनिक भास्कर के स्टार रिपोर्टर रहे शैलेन्द्र चौहान जल्दी ही नई भूमिका में नजर आ सकते हैं। इन दिनों उनके भास्कर को अलविदा कहने की चर्चा बहुत जोर पकड़े हुए है। 

द सूत्र के इंदौर ब्यूरो का जिम्मा संभालते हुए वरिष्ठ पत्रकार संजय गुप्ता जिस अंदाज में काम कर रहे हैं, उसने कई अखबारों और न्यूज चैनल्स की परेशानी को बढ़ा रखा है। इंदौर से जुड़ी कई बड़ी खबरें पिछले दिनों द सूत्र पर  ब्रेक हुई और यह सिलसिला अनवरत चल रहा है। 

इंदौर में टीम प्रजातंत्र की हिस्सा रहीं अमृत सिंह अब भास्कर डिजिटल से जुड़ गई हैं। वे भोपाल में भास्कर डिजिटल के स्पोर्ट्स सेगमेंट में सेवाएं देंगी।

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