मौसम की बेरुखी के बाद अच्छा हुआ तेंदूपत्ता का सग्रहण कम मिला समय, फिर भी तेंदूपत्ता खरीदी का पिछले वर्ष का टूटा हरा सोने का रिकार्ड……
जिले में खण्ड बारिश के बाद तेंदूपत्ता की समितियों व मजदूरों ने इस वर्ष 4838 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण हुआ। धार

आशीष यादव धार
जिले में मौसम की बेरुखी के बाद भी तेंदूपत्ता खरीदी का पिछले साल का रिकार्ड टूट गया। इस वर्ष 4838 मानक बोरा तेंदूपत्ता संग्रहण हुआ। कुल 71 लाख 16 हजार रुपए की तेंदूपत्ता खरीदी हुई है। वही 41 प्रतिशत मजूदरों को मजदूरी भी दे गई है। पिछले साल से ज्यादा खरीदी हुई। लगभग 108 प्रतिशत सग्रहण अभी किया गया है
वही जिले तेंदूपत्ता की खरीदी वन समितियों में शुरू की 12 वन समितियों से 4838 मानक बोरा सग्रहण किया गया।
4438 मानक बोरा लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ग्रामीण क्षेत्रों में तेंदूपत्ता संग्रहण करने के लिए समितियों को जिम्मेदारी सौंपी गई है। जून तक चलेगा। वन विभाग डीएफओ अशोक कुमार सोलंकी ने टीम बनाई है। जिसमें एडसीओ रेंजर व वनरक्षक जो इसकी लगातार मॉनिटरिंग भी की कर रही है। बताया गया है कि तेंदूपत्ता का रेट चार हजार रुपए मानक प्रति बोरा निर्धारित किया गया है। वही सग्रहण के बाद पत्तो को गोदामो में परिवहन कर रख दिया गया है।
बडे़ पत्तों की है डिमांड:
पिछले कुछ दिनों से हो रही बारिश से तेंदूपत्ता की गुणवत्ता व संग्रहण पर असर पड़ा। धूप नहीं खिलने से पत्तों को सूखाने में भी समस्या आ रही थी। मई माह में हर दूसरे व तीसरे दिन बारिश होने से संग्राहकों में भी मायूसी थी। फिर बीच मे मौसम ने साथ दिया था तो सग्रहण अच्छे से किया गया वही बीच में खराब थोड़ी समस्या सग्राहक तेंदूपत्ता की तोड़ाई हुई थी। हर साल की तरह इस वर्ष भी तेंदूपत्ता संग्रहण का लक्ष्य ज्यादा किया गया है। 2024 में 45 सौ मानक बोरा तेंदूपत्ता की खरीदी हुई थी। आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले साल इसबार तेंदूपत्ता की आवक ज्यादा हुई है।
लक्ष्य से ज्यादा हुआ सग्रहण:
बारिश होने के साथ इस बार ओलावृष्टि होने से पत्तों की क्वालिटी पर असर पड़ता है। बड़े पत्ते नहीं होने से व्यापारी नहीं लेते हैं। इस कारण अच्छी गुणवत्ता के पत्ते ही खरीदे जाते हैं। तेज धूप होने से तोड़े गए पत्तों को सूखाया भी जाता है, लेकिन बारिश की दखल के बाद थोड़ा नुकसान तो उठाना पड़ा इसबार बार प्रति वर्ष जो लक्ष्य निर्धारित किया जो पिछली बार से 39 सौ मानक बोरा ज्यादा हुआ। इस वर्ष भी 4438 मानक बोरा लक्ष्य था और 4838 हजार मानक बोरा ही संग्रहण हुआ ओर काम चल रहा है
मानक बोरा में 50 पत्तों का एक हजार बंडल:
तेंदूपत्ता के एक मानक बोरा में 50 पत्तों के एक हजार बंडल होते हैं। ग्रामीण अंचलों में भी तेंदूपत्ता से बीड़ी बनाकर बेचा जाता है। पिछले तीन वर्षों से इसबार अच्छा मानक बोरा लक्ष्य रखा जा रहा है। लक्ष्य में बढ़ोत्तरी भी देखी गई है। धीरे-धीरे तेंदूपत्ता खरीदी का लक्ष्य बड़ा है।
तेंदूपत्ता ग्रामीणों की आय का मुख्य जरिया है। गर्मी के दिनों में वनोपज एकत्रित कर ग्रामीणों को आय होती है। संग्राहकों व अन्य ग्रामीणों को भी विभिन्न योजनाओं से जोड़ा गया है। तेंदूपत्ता का मुख्य उपयोग बीड़ी बनाने में किया जाता है।
आदिवासियों को 10 से 12 हजार की कमाई:
तेंदू पत्ता संग्रहण से मिलने वाले पैसे से आदिवासी बच्चों की पढ़ाई, शादी और कृषि कार्य में उपयोग करते हैं. तेंदू पत्ता धार जिले के आदिवासियों के लिए वरदान से कम नहीं है. आदिवासियों के लिए तेंदूपत्ता आय का साधन बन गया है. आदिवासी वर्ग एवं ग्रामीण क्षेत्र के लोग 12 महीने तक तेंदूपत्ता तोड़ाई का इंतजार करते हैं. ग्रमीणों ने बताया कि 12 महीने तक तेंदूपत्ता तोड़ने का इंतजार करते हैं. तेंदूपत्ता की संग्रहण से 10 से 15 हजार रुपए की आय हो जाती है. ये पैसे बच्चों की पढ़ाई एवं शादी विवाह में बहुत काम आता है। वही 5 हजार परिवार की सीधे आय का जरिया
संग्रहण कार्य से जुड़े जिले की 12 समितियों में लगभग पांच हजार परिवारों को वन मंडल इस वनोपज से लाभ दिलवा गया।