सेंधवा में क्षमावाणी पर्व पर प्रवचन: “बैर की गांठ भव-भव बिगाड़ने वाली है”
क्रोध, परनिंदा और शत्रुता छोड़ क्षमा को अपनाने का आह्वान, 31 उपवास पूर्ण कर तपस्वियों ने साधना की मिसाल पेश की

सेंधवा। सत्याग्रह लाइव।
श्वेतांबर जैन समाज द्वारा मनाए जा रहे पर्युषण पर्व के अंतर्गत क्षमावाणी महापर्व के अवसर पर सुव्रताजी म.सा. और शीतल जी म.सा. के प्रवचनों में क्षमा, संयम और आत्मनियंत्रण का संदेश दिया गया। इस दौरान तपस्वियों द्वारा किए गए दीर्घ उपवासों ने भी श्रद्धालुओं को प्रेरित किया।
बैर की गांठ, भव-भव को बिगाड़ने वाली – सुव्रताजी म.सा.
जैन स्थानक में आयोजित प्रवचन में सुव्रताजी म.सा. ने कहा कि क्षमावाणी के इस महापर्व पर बैर का विसर्जन करना जरूरी है क्योंकि यह बैर की गांठ कैंसर से भी अधिक घातक होती है। यह केवल इस जन्म को नहीं, बल्कि भव-भव को बिगाड़ने वाली है।
उन्होंने कहा कि कषायों के कारण आत्मा मलिन होती जा रही है। विशेष रूप से क्रोध आज सबसे बड़ा कषाय बन गया है। एक चिंगारी को बुझाना आसान होता है, लेकिन क्रोध को बुझाना अत्यंत कठिन होता है। यदि उसे बढ़ने दिया जाए तो वह दावानल का रूप ले लेता है। क्रोध हम दूसरों पर करते हैं, लेकिन उसकी सज़ा स्वयं पाते हैं। इसलिए आत्मनियंत्रण ही शत्रुता पर विजय का उपाय है।
सुव्रताजी म.सा. ने आह्वान किया कि सवत्सरी महापर्व के इस अवसर पर परनिंदा से दूर रहें और आत्मनिंदा पर चिंतन करें।
“राग-द्वेष को छोड़, क्षमा को अपनाएं” – शीतलजी म.सा.
प्रवचन के पूर्व शीतलजी म.सा. ने कहा कि यह आत्मा का उत्सव और मैत्री का महोत्सव है। श्री महापर्व का मूल संदेश राग-द्वेष का त्याग है। क्षमा और सहनशीलता ही मोक्ष मार्ग का आधार है। इस दिन हमें बैर की ग्रंथी को त्याग कर क्षमा की ग्रंथी को अपनाना चाहिए। यदि किसी से अनजाने में भी कोई बैर हो तो उसे समाप्त कर क्षमा का मार्ग चुनना चाहिए।
तपस्वियों की साधना बनी प्रेरणा का स्रोत
श्रीसंघ के प्रेमचंद सुराणा ने जानकारी दी कि पर्युषण पर्व में बड़ी संख्या में तप व धर्म आराधना चल रही है। इस क्रम में दीक्षित तपस्वी ऋषभ सुराणा ने केवल गर्म जल पर आधारित 31 उपवास पूर्ण कर मासक्षमण तपस्या का समापन किया। इसके अलावा, नीता बैन खोना ने 30 उपवास के पच्खान लिए।
भूषण जैन और नीता जैन ने 10 उपवास, परेश सेठिया और दिपाली अश्विन जैन ने 8 उपवास
तथा राजेन्द्र कांकरिया, विमला प्रकाशचंद जैन, चंदा बागरेचा, मितेश बोकड़िया, साधना नाहटा, रीना बुरड, पियुष शाह, परिधि चोपड़ा और नुतन बोकड़िया ने 9 उपवास के पच्खान लेकर सिद्धि तप आराधना की।
इन तपस्वियों की साधना समाज के लिए प्रेरणा बनी हुई है। श्रीसंघ द्वारा आयोजित इन आयोजनों में अनेक श्रावक-श्राविकाएं सतत् तपस्या व आराधना में लीन हैं।


