स्वामी रूप में श्रीकृष्ण की सेवा करना जीव का धर्म है – गोस्वामी दिव्येश कुमार
गोवर्धन नाथ मंदिर हवेली प्रांगण में नंदकुमाराष्टकम महोत्सव शुरू

इंदौर से विनोद गोयल की रिपोर्ट
इंदौर । जीवों का जीवत्व, ईश्वर का आविर्भाव एवं तिरोभाव क्रियाओं का परिणाम है। इनके द्वारा ही ईश्वर की कुछ शक्तियां एवं गुण जीव में तिरोभूत और कुछ आविर्भूत हो जाते हैं। स्वामी रूप में श्रीकृष्ण की सेवा करना जीव का धर्म है। वल्लभाचार्य के मतानुसार जगत् नित्य है। वह ब्रह्म का आधिभौतिक रूप है। उसमें सत् तो विद्यमान है, किन्तु चित् और आनंद प्रच्छन्न या अदृश्य रहते हैं।जगत् ब्रह्मरूप ही है। कार्यरूप जगत् कारणरूप ब्रह्म से आविर्भूत हुआ है। सृष्टि ब्रह्म की आत्मकृति है। ब्रह्म से जगत् आविर्भूत हुआ, फिर भी ब्रह्म में कोई विकृति नहीं आती। यही अविकृत परिणामवाद है। जगत् की न तो उत्पत्ति होती है और न ही विनाश। उसका आविर्भाव-तिरोभाव होता है।
यह बात पुरुषोत्तम मास महामहोत्सव के द्वितीय चरण में शुक्रवार से जारी नंदकुमाराष्टकम पर प्रवचन में गोस्वामी दिव्येश कुमार जी महाराज ने बड़ी संख्या में उपस्थित वैष्णवजनों को सम्बोधित करते हुए कही। आपने नंदकूमाराष्टम के बारे में बताते कहा कि पहचानना और समझाना दोनों में अंतर होता है। भगवान निकुंज जी को हम चित्रों व प्रतिमा के माध्यम से पहचानते है लेकिन नंदकुमाराष्टकम के माध्यम से हम भगवान की लीलाओं से उन्हें समझ पाते है।
श्री पुरूषोत्तम मास महामहोत्सव समिति जानकीलाल नीमा, मनोहर महाजन, मनोज नागर एवं सुरेश ठाकुर ने बताया कि शुक्रवार को नंदकुमाराष्टकम महोत्सव के अंतर्गत मंदिर परिसर में ही बैंडबाजों के साथ शोभायात्रा निकाली गई। इसमें महिलाएं व पुरुष नाचते गाते शामिल हुए। मल्हारगंज स्थित गोवर्धन नाथ हवेली में जारी महोत्सव में शुक्रवार को व्यासपीठ का पूजन मदनलाल नीमा परिवार एवं भक्तों द्वारा किया गया। समिति के मनोज नागर ने बताया कि गोस्वामी दिव्येश कुमार 3 अगस्त तक दोपहर 3.30 से 7.30 बजे तक नंदकुमाराष्टकम महोत्सव पर प्रवचनों की अमृत वर्षा करेंगे। वहीं इसके अतिरिक्त इसके अतिरिक्त प्रतिदिन रास गरबा, पुष्टि तम्बोला, पुष्टि प्रश्नोत्तरी, संध्या आरती के साथ ही प्रभु सुखार्थ मनोरथ, बड़ा मनोरथ, कुनवारा आदि भी आयोजित किए जा रहे हैं।