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धार। आज भी विकास की बाट जोह रहा जिला मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रही जिले की जनता

जमीनी हकीकत में आज भी विकास से कोसों दूर जिला सड़कों पर नेताओ के फ्लेक्स जमीनीस्तर हकीकत से दूर विकास।

आशीष यादव। धार। इस वक्त देश व प्रदेश में हर तरफ विकास की बात की जाती है मगर आज भी धार जिला आदिवासी बाहुल्य होने के बाद भी मूलभूत सुविधा के लिए तरस रहा है। हर रोज विकास कामों के लिए बाढ़ जोकर बैठा रहता है। मगर जमीनी स्तर पर आज भी जिले में विकास के नाम पर बस खाली कागज में दो-चार लाइन खींची हुई नजर आती है। आज भी यहां के युवा बेरोजगार व किसान नर्मदा के पानी के लिए आंख बढ़ाएं बैठे हैं। आदिवासी बाहुल्य जिला होने के नाते हमेशा से ही मुलभुत सुविधाओं के लिए तरसता रहा है। कहने को यहाँ कई नेता हुए लेकिन सबने अपने-अपने काम से काम रखा। किसी ने भी धारवासियों की मुलभूत सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया। जिले की आदिवासी बहुल इलाके तो छोड़ो, धार शहर में भी शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं का नितांत अभाव है। आज भी यहां के लोगों को दूसरे जिलों पर निर्भर रहना पड़ता है।

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पीथमपुर के कचरे को लेकर कोई नेता भी आया आगे
पिछले चार-पांच दिनों से चल रहे हैं भोपाल गैस कांड चालीस साल पुराना जहरीला 337 मीट्रिक टन जहरीले कचरा आने के बाद भी कोई बड़ा नेता वहां जाकर लोगो से बात तक नहीं की इसको लेकर पीथमपुर के स्थानीय लोगों के साथ आसपास के ग्रामीण जमीन स्तर पर लाठी डंडे खाकर विरोध प्रदर्शन किया व साथ ही दो लोगो ने आत्मदाह की कोशिश भी की मगर उनके मिलने आज तारीख तक जिले का कोई नेता नही पुहंचा साथ ही जिले के किसी बड़े नेता ने उनके बीच जाकर उनका सहयोग नहीं किया बस भाषणों के माध्यम से ही वह बयान बाजी करके ही वाह वाह लूटने में लगे हैं वहीं धार जिले में कांग्रेस बीजेपी दोनों ही पार्टी के बड़े-बड़े नेता पद पर बैठे हैं।वहीं बीजेपी से केंद्रीय मंत्री सावित्री ठाकुर तो कांग्रेस से नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंगार है। वही नीना विक्रम वर्मा, राजवर्धन सिंह दत्तीगांव, भंवरसिंह शेखावत, जयस के विधायक हीरालाल अलावा, प्रताप ग्रेवाल, सुरेंद्र बघेल, जैसे कहीं बड़े बड़े नेता है, जिन्होंने आज तक पीथमपुर में जाकर लोगों की परेशानी नही समझा।

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चिकित्सा के नाम पर पूरा कोरा कागज
चिकित्सकीय कार्यों के लिए धार से लोगों को इंदौर, बड़ौदा सहित अन्य शहरों में जाना पड़ रहा है। वही शिक्षा के क्षेत्र में छात्र छात्राओं के लिए कोई स्कोप नहीं है। जिसके चलते उन्हें दूसरे शहरो का रुख करना पड़ रहा है। झाबुआ जैसे मात्र तीन तहसीलों वाले जिले में भी दो जवाहर नवोदय विद्यालय खुल चुके हैं। लेकिन 7 तहसीलों और 13 विकासखंड वाले धार में मात्र एक नवोदय है। जो कि जिले के अंतिम छोर पर है। वैसे जिले में दूसरा नवोदय विद्यालय खोलने के लिए मनावर भौगोलिक दृष्टि से सर्वथा उपयुक्त है और हकदार भी है। लेकिन इसके लिए शायद कोई प्रयास ही नहीं हुए। वही धार भी इसके लिए प्रयास रत है।

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वोट के लिए झूठे वादे
धार जिला प्रदेश की राजनीति का केंद्र बिंदु कहा जाता है। यहाँ कई बड़े नेता हुए जिन्होंने अपने वोट की जुगाड़ करने के लिए जनता से झूठे झूठे वादे किये और जीत भी गए। भोलीभाली जनता उनके बहकावे में भी आ गई। लेकिन अपने पूरे कार्यकाल के दौरान वे सिर्फ लक्जरी कारों में बंद कांच किए राजसी ठाठ-बाट से जनता को चिढ़ाने का कार्य करते रहे है। आज वो नेता शहर एवं जिलों की सड़कों पर विकास पुरुष बनकर टंगे नजर आ रहे है। वह विकास के नाम पर बस खाली कटोरा के समान दिखाई देते हैं। यहां भाजपा कांग्रेस व अन्य किसी दल के नेता ने कोई ऐसा कार्य नहीं किया जिसे आने वाली पीढ़ी याद रख सके।

मेडिकल और इंजीनियरिंग कालेज सिर्फ घोषणा
हर बार विधानसभा और लोकसभा चुनावों में राजनीतिक पार्टियों के घोषणा पत्र में धार के कुछ मुद्दे जिनको पहले प्राथमिकता दी जाती है उन्हें आगे रखा। लेकिन वे सिर्फ घोषणा पत्र तक ही सीमित रह गए। सिर्फ लोगों को दिखाने के लिए आवेदन- निवेदन का ही कार्य किया जाता है। इन मुद्दों में मेडिकल कालेज, इंजीनियरिंग कालेज, रेलवे, नर्मदा का पानी मुख्य है। मगर धार जिले में आजदी के बाद से आज तक मेडिकल कॉलेज नही खुल सका वही पास के जिलो में इसको लेकर कार्य भी शुरू हो गए।

रेल के लिए पांच दशकों से तरसता जिला
प्रदेश में क्षेत्रफल के मान से सबसे बड़े जिले में रेलवे सुविधाओं की मांग आजादी के बाद से ही हो रही है। हर चुनाव में रेल एक मुख्य मुद्दा जरूर बनी। लेकिन चुनावों के बाद किसी नेता को याद नही रहता है। पीथमपुर जैसा औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद रेलवे सेवा का अभाव हैरान करने वाला है। 2008 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने छोटा उदयपुर- इंदौर रेलवे लाइन की आधारशिला रखी थी। लेकिन 14 सालों बाद भी ये काम अब तक पूरा नहीं हो सका है। दक्षिण-पूर्वी राजस्थान को उत्तर-पूर्वी गुजरात और उत्तरी महाराष्ट्र से जोड़ने के लिए धार मुख्य कडी है। फिर भी ये महत्वपूर्ण जिला उपेक्षित है। जिस तरह से रेल का काम चल रहा है उस तरह से आने वाले सालो में रेल की आवाज सुनाई देगी या नही ।

जनता की नजरो में रहे सभी नेता फ्लॉप
धार जिले के कई तथाकतिक विकास पुरुष कई बड़े पदों पर रहे, लेकिन जिलेवासियों के लिए कोई भी ऐसा कार्य नहीं किया जिससे धार की तस्वीर बदल सके। आज धार कई मामलों में दूसरे शहरों पर निर्भर है। यहाँ के जिस जिला अस्पताल को सर्वसुविधायुक्त बनाने की कवायदे की गई उस जिला अस्पताल का आलम यह है की यहाँ के कई मामलों को गंभीर मामले बताकर इंदौर रेफर कर दिया जाता है। वही खेल प्रतिभाओं के लिए बनाये गए खेल प्राधिकरण से शहर सहित जिले को कोई लाभ नहीं मिल रहा है।

महत्वपूर्ण पद पर फायदा नहीं
धार जिले में कहीं बड़े नेता हुए मगर जमीनी स्तर पर एक भी नेता ने ऐसा कोई काम नहीं किया जिसे सालों तक याद किया जाए वह आने वाली पीढ़ी कह सके के हमारे जिले के नेताओं ने यह काम किया जिसकी बदौलत आज हम यहां तक पहुंच पाए हैं। जनता ने जिसे शिखर तक पहुंचाया मगर राजनीतिक जीवन किसी नेताओ ने यहा कोई बड़े काम नही करवाए आज भी इसका धार जिलेवासियों को कोई फायदा नहीं मिला।

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