दीपदान के प्रताप से चोर से बना कुबेर, शिवमहापुराण कथा में बताया अद्भुत प्रसंग
राजराजेश्वर मंदिर में भक्ति-भाव से गूंजा हर हर महादेव, रुद्राक्ष की महिमा भी बताई

सेंधवा। रमन बोरखड़े। नगर के प्राचीन श्री राजराजेश्वर मंदिर में शिवमहापुराण कथा का आयोजन श्रद्धा और भक्ति के साथ जारी है। कथा के दूसरे दिन बनारस से पधारे स्वामी 1008 श्री आशुतोषानंद गिरी महाराज ने चोर से कुबेर बनने की प्रेरक कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि शिव मंदिर में एक चोर चोरी करने आया लेकिन वहां रोशनी के लिए उसने दीप जलाया। उसके द्वारा जलाए गए दीप पर भगवान शिव प्रसन्न हो गए और भगवान शिव के आर्शिवाद से वही चोर आगे चलकर धनपति कुबेर बन गया।
महाराज श्री ने कहा कि भगवान शिव स्वयं अमृत देवताओं को देकर विष पान करते हैं। वे बाघंबर धारण कर, तन पर वस्त्र न रखते हुए भी आनंदित रहते हैं। कथा में 14 प्रकार के रुद्राक्षों का उल्लेख करते हुए बताया गया कि हर मनुष्य को अपनी प्रकृति के अनुसार रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि रुद्राक्ष पहनने वाला, त्रिपुंड लगाने वाला और पंचाक्षरी मंत्र श्ॐ नमः शिवायश् का जप करने वाला ही सच्चा शिव भक्त है।
भजन श्तन धन भोले बाट दिए, बाबा पल भर में भर दे खजाना…श् पर भक्त खूब झूमे। चोर और भगवान शिव की जीवंत झांकी ने सभी का मन मोह लिया। पांडाल श्ॐ नमः पार्वतीपतये हर हर महादेवश् के जयकारों से गूंज उठा।
शाम 6 बजे आरती और प्रसाद वितरण हुआ। रात्रि 10 बजे महिलाओं ने दीपावली की तरह दीपदान कर मंदिर को रोशनी से सजाया। साथ ही श्ॐ नमः शिवायश् का सामूहिक जाप कर वातावरण को शिवमय बना दिया।