सेंधवा; विजयादशमी पर सभी कालोनीवासी एक-दूसरे के घर जाकर बड़ो को धोक और छोटो को स्नेह कर बढ़ा रहे आपसी स्नेह

सेंधवा। समाज में कैसे संगठित होकर आपसी तालमेल कैसे बनाए जाते है, बच्चो में भारतीय संस्कृति का संचार बचपन से ही कैसे आए। यह घर परिवार के वातावरण पर निर्भर करता है। इसी को लेकर प्रतिवर्ष विजयादशमी पर रावण दहन के पश्चात धोक प्रथा का निर्वाह करते आ रहे है। ताकि बच्चो में भारतीय संस्कृति के साथ अच्छे संस्कार पनप सके ।
अग्रवाल कालोनी निवासी सुनील अग्रवाल ने बताया की धार्मिक आस्था के माध्यम से बच्चो में भारतीय संस्कृति के अनुरूप बड़े छोटे के प्रति आदर संस्कार के साथ साथ भारतीय संस्कृति का ज्ञान बच्चो में बचपन से ही पड़े इस हेतु अग्रवाल कालोनी के निवासी हर पर्व को उल्लास के साथ मनाते आ रहे है । बुराई पर अच्छाई की विजय का पर्व विजयी दशमी दशहरे पर्व पर कालोनी के हर घर से युवक एकत्रित होकर कालोनी के सभी परिवार में जाकर बड़ो को धोक देकर (पैर छूकर) उन से आशीर्वाद लेते है। छोटे को स्नेह करते है । यह परंपरा विगत 30 सालो से विजय दशमी के रावण दहन के बाद निभाई जा रही है । इस दिन कालोनी के सभी घरों में धोक देने की परम्परा का निर्वहन किया जा रहा है । वहीं कालोनी में निवासरत परिवार अपने घर आने वाले सज्जनों के स्वागत के लिए मीठा, नमकीन व सूखे मेवा का नाश्ता देकर सत्कार करता है । धोक देने वाले सज्जन बड़ो के चरण स्पर्श कर आशीर्वाद लेते है और बच्चो को स्नेह कर उन्हे चाकलेट दी जाती है। बच्चे भी बड़ो का आदर कर धोक देकर आशीर्वाद लेते है । इस परंपरा के माध्यम से बच्चे धार्मिक रीति रिवाज से जुड़ कर दशहरा पर्व का महत्व समझते हुए आपसी मेल मिलाप के मायने को समझने लगते है । यही से अच्छे संस्कार पनपने लगते है । साथ ही पारिवारिक मेल जोल बढ़ने से आपसी विवाद नही होकर सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ जाति है । वर्षो से इस परंपरा का निर्वाह कॉलोनी के सुनील अग्रवाल, दिलीप अग्रवाल, महेंद्र अग्रवाल, दिग्विजयसिंह रघुवंशी, नवल भूतड़ा, रतावजीय सर, दिनेश अग्रवाल, मनोज अग्रवाल, सुशील चोमुवाला, मनीष खले, संजय अग्रवाल, अंकुश गोयल, गोविंद गोयल, संतोष तिवारी, विशाल वैष्णव सहित सभी परिवारजन करते आ रहे है।
