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भोपाल विधानसभा में उठी सेंधवा की शराब तस्करी की गूंज, मोंटू सोलंकी और उमंग सिंघार ने विधानसभा में किया सरकार पर हमला

भोपाल में मानसून सत्र के दौरान शराब तस्करी और पुलिस प्रशासन की कथित मिलीभगत पर नेता प्रतिपक्ष और सेंधवा विधायक ने उठाए सवाल, पांच पुलिसकर्मी निलंबित।

भोपाल। सत्याग्रह लाइव। मध्य प्रदेश विधानसभा के मानसून सत्र में सेंधवा विधानसभा क्षेत्र की शराब तस्करी का मुद्दा जोरशोर से उठा। विधायक मोंटू सोलंकी और नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने पुलिस पर मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाते हुए सरकार से सख्त कार्रवाई की मांग की।

सेंधवा विधायक मोंटू सोलंकी ने अपने क्षेत्र में शराब तस्करी और उसमें पुलिस प्रशासन की संलिप्तता को लेकर गंभीर आरोप लगाते हुए मध्य प्रदेश विधानसभा में यह मुद्दा जोरदार तरीके से उठाया। मानसून सत्र के दौरान नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने भी इस विषय को सदन में प्रमुखता से उठाया।

545 पेटियों की जब्ती, बाकी गायब?

विधायक सोलंकी ने आरोप लगाया कि बताया कि सेंधवा ग्रामीण पुलिस ने पंजाब से आई शराब से भरे ट्रक की केवल 545 पेटियों की जब्ती दिखाई, जबकि ट्रक में 1000 से अधिक पेटियां थीं। बाकी पेटियां कथित रूप से बाजार में बेच दी गईं। शराब को छुपाने के लिए उपयोग में लाई गई सड़ी मक्के की बोरियों को भी बेचने का आरोप लगाया गया। इससे पुलिस प्रशासन की छवि धूमिल हुई है।

प्रशासन की कार्रवाई और सस्पेंशन

विधायक मोंटू सोलंकी ने बताया कि इस गंभीर मामले पर डीआईजी निमाड़ रेंज सिद्धार्थ बहुगुणा के निर्देश पर पुलिस अधीक्षक जगदीश डाबर ने जांच शुरू की। प्रारंभिक कार्रवाई में थाना प्रभारी दिलीप पुरी, एएसआई चंद्रशेखर पाटीदार और आशीष पंडित, हेड कांस्टेबल तरुण राठौर और विनोद मीणा को लाइन अटैच किया गया। बाद में, इंदौर आईजी अनुराग ने इसे नाकाफी मानते हुए पांचों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया।

विधानसभा में विपक्ष का हमला

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि प्रदेश की नई शराब नीति ने आदिवासी क्षेत्रों को शराब तस्करी का अड्डा बना दिया है। उन्होंने पूछा, ष्कैसे लोग थानों में बैठे हैं जो जब्त शराब को ही बेच डालते हैं?

जनहित में सख्त कार्रवाई की मांग

विधायक सोलंकी ने इस भ्रष्टाचार को सेंधवा ग्रामीण थाने की “व्यवस्था” बताया और निष्पक्ष जांच की मांग की। उन्होंने कहा कि यह मामला केवल उनके क्षेत्र तक सीमित नहीं है, बल्कि पूरे प्रदेश में प्रशासनिक साख पर सवाल खड़ा करता है।

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