घोड़ारोज को वन्य प्राणी की श्रेणी से हटाने की मांग, किसान संघ के पदाधिकारियों ने सौंपा ज्ञापन
सोयाबीन में हुआ 90 प्रतिशत नुकसान, घोड़ारोज को पकड़कर अभयारण्य में छोड़ने की मांग

आशीष यादव धार
जिले में घोड़ा रोज की बढ़ती तादाद से हर साल किसानों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ता है। यह समस्या अब किसानों के लिए बड़ा सिरदर्द साबित हो रही है। इसी के चलते मंगलवार को किसान संघ के पदाधिकारियों द्वारा नवागत डीएफओ विजयानंतम
से मुलाकात कर उन्हें घोड़ारोज की समस्या से अवगत कराया। संघ प्रतिनिधि मंडल ने बताया कि मालवा अंचल के धार, बदनावर, सरादपुर और पीथमपुर तहसील में घोड़ारोज की समस्या से किसान परेशान हैं। यह जानवर खेतों में घुसकर फसलों को बर्बाद कर देता है। वहीं जिले में धार प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के तहत धार जिले में किसानों को हुए वास्तविक नुकसान के मुकाबले बेहद कम दावा राशि मिलने से किसानों में नाराजगी है। किसानों का कहना है कि सोयाबीन में 80 से 90 प्रतिशत तक फसल का नुकसान हुआ था, लेकिन हमें बीमा क्लेम मात्र 10 से 25 प्रतिशत के आसपास ही दिया गया है।
वन मंडल के अधिकारी को ज्ञापन सौंपा:
संघ ने सुझाव दिया कि इन जंगली जानवरों को पकड़कर अभयारण्य में छोड़ा जाए और पहले नर घोड़ा रोज को पकड़ा जाए ताकि इनकी संख्या पर नियंत्रण रखा जा सके। इस गंभीर समस्या को लेकर भारतीय किसान संघ जिला धार ने वन मंडल के अधिकारी विजयानंतम टी आर को ज्ञापन सौंपा है, साथ ही संघ जिले में आने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात करेगा और ज्ञापन सौंपकर मांग करेगा कि घोड़ा रोज को वन्य प्राणी की श्रेणी से हटाया जाए। मुलाकात के दौरान भारतीय किसान संघ के प्रदेश मंत्री राजेंद्र शर्मा, मालवा प्रांत मंत्री महेश ठाकुर और जिला मंत्री अमोल पाटीदार उपस्थित रहे।
ग्राम बगड़ी के एक किसान को मात्र 95 रुपये दिया गया फसल बीमा:
वास्तविक तस्वीर सामने नहीं आती। जिला मुख्यालये पर बीमा कंपनी का कार्यालय ही नहीं है। जिले में केवल एक अधिकारी और प्रत्येक विकासखंड पर एक-एक अधिकारी नियुक्त हैं। इतने कम कर्मचारी हर गांव तक पहुंचकर सही आकलन कैसे कर सकते हैं? कई किसानों ने आपदा के 72 घंटे के भीतर बीमा कंपनी के टोल-फ्री नंबर 14447 पर शिकायत दर्ज कराई, लेकिन उन्हें शिकायत का नंबर तक उपलब्ध नहीं कराया गया। किसानों को भुगतान भी किस्तों में किया जा रहा है। सोमवार को केवल पहली किस्त दी गई है। प्रक्रिया में पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई की भारी कमी संघ का कहना है कि योजना का उद्देश्य किसानों को समय पर और उचित मुआवजा देना है, लेकिन मौजूदा प्रक्रिया में पारदर्शिता और त्वरित कार्रवाई की भारी कमी है। प्रत्यक्ष रूप से बीमा सर्वे गांव स्तर पर किया जाए और उनके नुकसान के अनुसार किसानों को उचित राशि तुरंत दी जाए यह मांग भी संगठन ने की है। यह जानकारी भारतीय किसान मंत्री अमोल पाटीदार ने दी।