भोपाल: उमा भारती का दर्द—“व्यापम में मेरा नाम क्यों घसीटा, अब भी सवाल है”
भोपाल: उमा भारती का आरोप—“भाजपा में ही मिला सबसे ज्यादा कष्ट, अब भी रहस्य है व्यापम केस”

भोपाल। मध्य प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री उमा भारती ने एक बार फिर अपने राजनीतिक जीवन में मिली प्रताड़ना को लेकर बड़ा बयान दिया है। भोपाल स्थित सरकारी निवास पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश भाजपा में किसी को जितना कष्ट नहीं मिला, उतना मुझे सहना पड़ा। उन्होंने कहा कि यह सिलसिला 1990-92 से लेकर 2005 तक जारी रहा। उमा भारती ने कहा, “मैं आज तक नहीं समझ पाई कि व्यापमं कांड में मेरा नाम कैसे आ गया। मेरा नाम घसीटकर कई लोगों को इस केस से बाहर निकाल दिया गया। इसकी सीबीआई जांच होनी चाहिए कि क्राइम ब्रांच ने यह कारनामा क्यों किया।”
पूर्व मुख्यमंत्री ने याद करते हुए कहा कि कांग्रेस की अर्जुन सिंह सरकार के वक्त जब उन्होंने लैंड रिफॉर्म का विरोध किया, तब उनके भाइयों पर झूठी डकैती के केस लगवा दिए गए। जनशक्ति पार्टी बनाते समय भी प्रताड़ना झेलनी पड़ी। उमा ने कहा, “मैंने देखा है कि जिन्होंने मुझे कष्ट दिए, उन्हें मैंने भी रोते देखा। मैं कभी रोती नहीं बल्कि ऐसा टोंचना देती हूं कि सामने वाला रो भी नहीं पाता।”
मुख्यमंत्री मोहन यादव पर टिप्पणी करते हुए उमा भारती ने कहा कि उन्हें महत्वपूर्ण जिम्मेदारी मिली है। वहीं शिवराज सिंह चौहान के समय पर कटाक्ष करते हुए बोलीं, “जब मैं मुख्यमंत्री थी तो शिवराज को मुझसे मुकाबले में ‘बचाओ-बचाओ’ की जरूरत पड़ती थी। अब भ्रष्टाचार सबसे बड़ी चुनौती है।”
संघ प्रमुख मोहन भागवत के ‘75 पार’ बयान पर उमा भारती ने कहा कि नेता कभी रिटायर्ड नहीं होता। “मैं अभी 65 की भी नहीं हुई हूं। मुझे राजनीति में 15-20 साल और काम करना है। जरूरत पड़ी तो चुनाव भी लड़ूंगी।”
उन्होंने खुलासा किया कि गंगा और गोपालन के लिए उन्होंने अमित शाह से बात की है। राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर उन्होंने कहा कि “शिवराज या कोई भी बने, मुझे खुशी होगी, शिवराज से मेरे व्यक्तिगत संबंध हैं।”