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नई दिल्ली: संसद में पेश होंगे मंत्री हटाने से जुड़े तीन अहम विधेयक Parliament to debate bills on removal of ministers after arrest

संसद में बुधवार को तीन विधेयक पेश किए जाएंगे, जिनमें 30 दिन तक हिरासत में रहने पर प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री को पद से हटाने का प्रावधान किया गया है।

सरकार संसद में ऐसे तीन विधेयक पेश करने जा रही है जिनके तहत प्रधानमंत्री, मुख्यमंत्री या मंत्री यदि लगातार 30 दिनों तक गंभीर आपराधिक आरोपों में हिरासत में रहते हैं तो उन्हें पद से हटाना अनिवार्य होगा।

संसद में पेश होंगे तीन विधेयक

नई दिल्ली में बुधवार को सरकार संसद में तीन अहम विधेयक पेश करने की तैयारी में है। इन विधेयकों का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री या किसी राज्य तथा केंद्र शासित प्रदेश के मंत्री यदि गंभीर आपराधिक आरोपों में लगातार 30 दिनों तक गिरफ्तार या हिरासत में रहते हैं, तो उन्हें 31वें दिन पद से हटाना अनिवार्य होगा।

किन विधेयकों को किया जाएगा पेश

ये तीन विधेयक हैं — केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक 2025, संविधान (एक सौ तीसवाँ संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025। इन सभी में मौजूदा कानूनी ढांचे की खामियों को दूर करने और गंभीर आपराधिक आरोप झेल रहे नेताओं को पद पर बने रहने से रोकने का प्रावधान है।

अमित शाह रखेंगे प्रस्ताव

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह लोकसभा में प्रस्ताव रखेंगे कि इन तीनों विधेयकों को संसद की एक संयुक्त समिति के पास भेजा जाए ताकि विस्तार से विचार-विमर्श हो सके। सरकार का मानना है कि इन संशोधनों से राजनीतिक पदों पर बैठे व्यक्तियों की जवाबदेही और पारदर्शिता बढ़ेगी।

          दिल्ली के पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मंत्री वी सेंथिल बालाजी गिरफ्तारी के बावजूद अपने पदों से इस्तीफा नहीं दे चुके हैं। यही कारण है कि इन विधेयकों की अहमियत और भी बढ़ गई है, क्योंकि अब तक ऐसा कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था कि गिरफ्तारी की स्थिति में मंत्री स्वतः पदच्युत हो जाए।

प्रस्तावित संशोधन के प्रावधान

विधेयकों के मुताबिक, यदि प्रधानमंत्री या मंत्री पद पर रहते हुए लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रहते हैं और आरोप ऐसा हो जिस पर कम से कम 5 साल की सजा का प्रावधान है, तो 31वें दिन उन्हें पद छोड़ना होगा। यदि प्रधानमंत्री इस्तीफा नहीं देते तो वे स्वतः पदच्युत माने जाएंगे। इसी तरह राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्यमंत्री या मंत्री भी इस प्रावधान के तहत हटाए जाएंगे।

मौजूदा कानूनों में संशोधन की आवश्यकता

केंद्र शासित प्रदेशों की सरकार अधिनियम 1963, संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA तथा जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 में अब तक ऐसा कोई प्रावधान नहीं था। इन संशोधनों का उद्देश्य इस कानूनी कमी को दूर करना और गंभीर अपराधों में आरोपित नेताओं को सत्ता में बने रहने से रोकना है।

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