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उत्तरप्रदेश से गुजरात जा रहे 135 से अधिक तोतो को करवाया आजाद वॉल्वो बस से हो रही थी तस्करी।

बड़े गिरोहों की होने की संभावना मुखबिर की सूचना पर की कार्रवाई। ओर वन्यप्राणी की भी होती हैं तस्करी।

आशीष यादव धार

धार में वन विभाग ने एक बड़ी कार्रवाई करते हुए 135 जंगली व अन्य प्रजातियों को तोतों को बरामद किया है और दो तस्करों को गिरफ्तार किया है। ये तोते यूपी से लाकर अहमदाबाद भेजे जा रहे थे। तस्करों ने तोतों को छोटे पिंजरों में ठूंस रखा था, जिससे उनकी हालत खराब हो गई थी। जिले के सरदारपुर रेंज के अधिकारी द्वारा मुखबिर की सूचना पर बीती रात वोल्वो बस से जा रहा है। चार प्रजाती के तोतों का एक बड़ा नेटवर्क पकड़ा हे वहीं रेंजर को मुखबिर की सूचना पर धार डीएफओ विजयनंथम टी.आर. के मार्गदर्शन मे टीम रेंजर द्वारा टीम बनाई जिसने बस की नगरानी करते हुए उसको पकड़ा वहीं मुखबिर से प्राप्त सूचना के आधार पर 3 अक्टूबर को रात्री के समय इंदौर- अहमदाबाद हाइवै पर भोपावर चोकड़ी पर घेराबन्दी कर यात्री बस को रुकवाया व बस की जांच करने पर बस की डिग्गी मे यूपी से गुजरात छुपाकर पेराकीट जंगली तोते एक छोटे पिंजरे हरी नेट से ढक कर इसकी तस्करी की जा रही थी। तोतों की तस्करी में कार्यवाही मे वन स्टाफ विक्रम निनामा, जोगड़ सिंह जमरा, अनिल कटारे, मनीष पाल राठोर, अमित मालवीय, रमेश मेड़ा, मनीष पँवार, किशोर नागर, रफीक खान, शंकर का विशेष सहयोग रहा।IMG 20251005 170545 564

मौके से दो लोगों को पकड़ा:
वहीं बस की जांच में तोतों के साथ दो संदिग्ध लोगों को पूछताछ की जिनको रेंज कार्यालय सरदारपुर लाया गया। वहीं जब्त वन्यप्राणी का पिंजरे को खोलने पर उसमे चार अलग प्रजाति जिसने एलोक्सिंड्रिना, प्लम पैराकीट, ग्रे पैराकीट और रोज़ रिंग्ड पैराकीट के 135 जंगली तोते निकले जिन्हे ठूंस कर निर्दयता से भरा गया था। जिसमे कुछ जंगली तोते मृत हो गए थे। तत्काल वेटनरी डॉक्टर दिलीप गामड़, सरदारपुर की निगरानी मे जंगली तोतों का इलाज किया गया एवं मृत जंगली तोतों को पोस्टमॉर्टम करवाया कर सुरक्षित बड़े पिंजरे मे रखा गया। पूछताछ मे पिंजरा भोपाल से रखा गया था और अहमदाबाद (गुजरात) ले जाया जा रहा था।

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वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की धाराओं में कार्रवाई:
वन अपराध प्रकरण दर्ज कर दोनों संदिग्ध लोगों को माननीय न्यायालय सरदारपुर मे पेश किया गया एवं रिमांड पर लेकर जांच प्रचलित है। माननीय न्यायालय द्वारा अनुमति उपरांत सभी पेराकीट को घने जंगल मे छोड़ा गया। एसडीओ संतोष रणशोरे द्वारा बताया गया की कुछ लोगों द्वारा जाल लगाकर तोतों और अन्य प्राणियों को कैद कर लिया जाता है। वं लालच और भ्रांतियों के चलते बेजुबान जानवरों का अवैध व्यापार किया जाता है। वन परिक्षेत्र अधिकारी डॉ शैलेन्द्र सोलंकी ने बताया की प्रकरण मे संगठित गिरोह की संलिप्तता लग रही है एवं सूचना के आधार पर कार्यवाही की जा रही है। गुजरात और भोपाल के वन अमले से संपर्क कर जल्द ही कठोर कार्यवाही की जावेगी।

क्यों निशाने पर हैं जंगली तोते?
भारत में जंगली तोते (जैसे रोज़-रिंग्ड पैराकीट) की बड़ी मांग है। इन्हें पालतू बनाने, अंधविश्वासों में इस्तेमाल करने या विदेशों में बेचने के लिए पकड़ा जाता है। एक तोते की कीमत ब्लैक मार्केट में दो हज़ारों से लेकर लाखों रुपये तक हो सकती है। इसके अलावा, कुछ लोग इन्हें जादू-टोने या धार्मिक अनुष्ठानों में भी इस्तेमाल करते हैं। जंगली तोते, जिन्हें आमतौर पर रोज-रिंग्ड पैराकीट या रोज़ेला के नाम से जाना जाता है, अपनी सुंदरता और बोलने की क्षमता के कारण तस्करों के लिए आकर्षक शिकार बनते हैं। ये तोते पालतू पक्षी बाजार में ऊंची कीमतों पर बिकते हैं। भारत में इनकी तस्करी का एक बड़ा कारण यह भी है कि इन्हें धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं से जोड़कर बेचा जाता है। कुछ लोग मानते हैं कि तोते को पालने या छोडऩे से भाग्य चमकता है, जिसका फायदा तस्कर उठाते हैं।

अवैध पक्षी व्यापार के गढ़ बन रही बसे:
बता देकि कानूनी प्रतिबंधों के बावजूद फल-फूल रहे पारंपरिक बाजार उत्तर भारत के कई बड़े शहरों, विशेष रूप से लखनऊ और पटना जैसी राजधानियों में पारंपरिक पक्षी बाज़ार अब भी सक्रिय हैं। इन बाज़ारों में भारतीय तोते, मुनिया समेत कई संरक्षित प्रजातियों की अवैध खरीद-फरोख्त जारी है। पालतू जानवरों के व्यापार में पक्षियों की अहम भूमिका है, और घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इनकी बढ़ती मांग इस व्यापार को और बढ़ावा दे रही है। वहीं एक पक्षी की कीमत दो हजार होती है। चारों प्रजातिया रोज-रिंगड पैराकीट एक उपमहाद्वीप का तोतों में से एक है। तस्करी का जाल दिल्ली से अहमदाबाद व यूपी बिहार तक फैला हुआ हे। क्योंकि यह तस्करी का एक संगठित नेटवर्क होने की ओर इशारा कर रहा था। वन विभाग अब इस बात की गहन जांच कर रहा है कि इन तोतों की कीमत कितनी थी, अहमदाबाद में इन्हें कौन खरीदने वाला था, और इस तस्करी नेटवर्क में और कौन-कौन शामिल हैं। वहीं रेंजर द्वारा इनको सेफ़ मटर व अन्य आहार करवाए जिसे यह स्वस्थ रह सके। वहीं अन्य पक्षियों को जंगल में खुले आसमान में आजाद किया।

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