
इंदौर। विनोद गोयल की रिपोर्ट।
श्रद्धा और भक्ति होना चाहिए, लेकिन अंध श्रद्धा और अंध भक्ति ज्यादा खतरनाक होती है। गीता को कुरूक्षेत्र के मैदान में केवल चार लोगों ने सुना और महाभारत को तेरह लोगों ने, लेकिन ये दोनों दिव्य ग्रंथ आज सारी दुनिया का मार्गदर्शन कर रहे हैँ। एक बुरा विचार पैदा करेंगे तो सौ बुरे विचार पैदा होंगे और एक अच्छा विचार पैदा होगा तो सौ अच्छे विचार भी आएंगे। जीवन में शांति, संतुष्टि, पवित्रता और आनंद हर किसी को चाहिए। इनके बिना जीवन का लक्ष्य मिलना संभव नहीं है। भारतीय सभ्यता और संस्कृति इन चारों स्तंभों पर निर्भर है। मोहब्बत और शांति से दूसरों का दिल जीतना आसान होता है। जीवन में नकारात्मकता को छोड़कर सकारात्मकता की ओर बढ़ेंगे तो लक्ष्य मिलने में आसानी होगी। भागवत भारतीय समाज और धर्म संस्कृति का आधार स्तंभ है।
ये प्रेरक विचार हैं भारतीय मूल के वाशिंगटन (अमेरिका) में अपने सेवा प्रकल्प चला रहे स्वामी नलिनानंद गिरि महाराज के, जो उन्होंने आज शाम एम.आर. 10 रोड, रेडिसन होटल चौराहा के पास स्थित दिव्य शक्तिपीठ पर श्रीमद भागवत ज्ञान यज्ञ के शुभारंभ सत्र में व्यक्त किए। शक्ति पीठ परिसर में भागवतजी की शोभायात्रा भी निकाली गई। प्रारंभ में दिव्य शक्ति पीठ की ओर से डॉ. दिव्या-सुनील गुप्ता, दिनेश मित्तल, विष्णु बिंदल, राजेश गोयल आदि ने स्वामी नलिनानंद का स्वागत किया। उन्होंने अपने माता-पिता के चित्र का पूजन कर ज्ञान यज्ञ का शुभारंभ किया और कहा कि माता-पिता चलते-फिरते तीर्थ के समान है। वे नहीं होते तो हम भी नहीं होते। हमारे पुराणों और शास्त्रों में भी माता-पिता की सेवा का संदेश दिया गया है। घर के बुजुर्ग किसी भगवान से कम नहीं होते। मंदिर की मूर्ति हमें 10 डालर नहीं दे सकती, लेकिन माता-पिता के आशीष हमें दुनिया की बड़ी से बड़ी खुशियां दे सकते हैं। सैकड़ों भक्तों ने स्वामीजी की अगवानी की। स्वामी के श्रीमुख से दिव्य शक्ति पीठ पर प्रतिदिन सायं 5.30 बजे से 8.30 बजे तक भागवत ज्ञान यज्ञ का दिव्य आयोजन चलेगा।
मात्र 6 वर्ष की उम्र में राम नाम की दीक्षा, 13 वर्ष की उम्र में ब्रह्मचर्य की दीक्षा और उसके बाद सन्यास दीक्षा ग्रहण कर वर्ष 2013 में अमेरिका जाकर वहां अपना आश्रम स्थापित करने वाले स्वामी नलिनानंद दुनिया के 63 देशों में भारतीय धर्म संस्कृति और अध्यात्म का परचम फहरा चुके हैं। वे हिन्दी, अंग्रेजी, स्पेनिश और संस्कृत सहित अनेक भाषाओं के जानकार हैं और इन दिनों हवा एवं पानी के साथ वैचारिक प्रदूषण से मुक्ति के लिए अभियान चलाए हुए हैं। इस सिलसिले में वे इंदौर की कथा के बाद 29 नवम्बर को दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात करेंगे। आज शाम भागवत ज्ञान यज्ञ के दौरान उन्होंने भागवत की महत्ता बताते हुए भारतीय धर्म संस्कृति एवं सनातन धर्म के बारे में भी अनेक बातें बताई। उन्होंने कहा कि यदि हम जीवन के लक्ष्य निर्धारित कर सही दिशा में आगे बढ़ेंगे तो मंजिल जल्दी मिल जाएगी। हमारे प्रयासों में ईमानदारी और निष्ठा होना चाहिए। प्रत्येक जीव अपने जीवन में शांति, संतुष्टि और पवित्रता चाहता है। आज हमारे युवा अपनी संस्कृति और सभ्यता को लेकर संशयग्रस्त हैं। मैंने भारत छोड़ा है, भारतीयता नहीं छोड़ी है। हमारे आचार-विचार, आहार और व्यवहार संवर जाएं तो जीवन धन्य बन जाएगा। आज भक्ति और श्रद्धा के नाम पर अंध भक्ति और अंध श्रद्धा का दौर चल रहा है। यह ज्यादा खतरनाक है। भारतीय धर्म ग्रंथ तर्कों पर आधारित है। हम सही तरीके से अपने धर्म ग्रंथों के मर्म को समझने का प्रयास करेंगे तो जीवन के झंझटों से भागने की नौबत नहीं आएगी।



