सेंधवाधर्म-ज्योतिष

सेंधवा। अपने किए कर्मों का भुगतान सबको करना पड़ता है- सुव्रताजी म.सा.

सेंधवा। स्वयं भगवान महावीर को अपने पूर्व में किए गए कर्मों का भुगतान करना पड़ा एवं कष्ट उठाना पड़े। बिना कर्मों का भुगतान किए हुए वे भी तीर्थंकर नहीं बन पाए। अर्थात स्पष्ट है कि अपने किए कर्मों का भुगतान सबको करना पड़ता है।

उक्त उद्गार प्रवर्तक जिनेंद्र मुनि जी महाराज साहब की आज्ञानुवरती सुव्रताजी म.सा. ने जैन स्थानक में व्यक्त किए। आपने कहा कि पर्यूषण पर्व के पांचवें दिन भगवान महावीर के जन्म कल्याण का वांचन किया जाता है, भगवान के गुणगान एवं गुणानुवाद करने से उत्कृष्ट रसायन आते हैं और भक्ति बढ़ती है। भगवान महावीर ने हमें बताया है कि हमें कैसे जीवन जीना है। आपने कहा कि अहंकार करने से नीचे गोत्र का कम बंध होता है ।

इसके पूर्व शीतल जी म.सा ने कहा कि बच्चों के केरियर पर हम बहुत मेहनत करते हैं पर कैरेक्टर के लिए क्या कर रहे हैं इस पर चिंतन करना आवश्यक है। शुरुआत से ही हम बच्चों को धर्म से जोड़ें गुरु के सानिध्य में ले जाए और संस्कारों का सिंचन करें। बच्चों को हम जितने संस्कार देंगे उतने ही बच्चे व्यवस्थित रहेंगे पर इसके लिए आवश्यक है कि हमारा जीवन भी संस्कारित रहे। यदि हम स्वयं व्यसन करें और बच्चों को व्यसन से दूर रहे ने का कहे तो वे मानेंगे क्या ? परिवार के माहौल का भी बच्चों के संस्कार पर बहुत असर होता है, यदि घर में माता-पिता लड़ रहे हैं और सभ्य भाषा का प्रयोग कर रहे हैं तो बच्चों पर उसका क्या प्रभाव होगा।

आपने कहा कि जिस प्रकार *बारिश ना हो तो फैसले खराब हो जाती है और अच्छी संगत ना हो तो नस्ल खराब हो जाती है।* आज सभ्यता घट रही है और स्वच्छंदता बढ़ रही है आज वस्त्र को पहनने का क्या चलन चल गया है यह हम सब अच्छी तरह जानते हैं। आज अनेक परिवारों में हम देख रहे हैं कि पापा व्यसन में माता फैशन में और दादा-दादी टेंशन में है तो फिर बच्चे किस मार्ग पर जाने वाले हैं।

श्रीसंघ के अध्यक्ष अशोक सकलेचा ने बताया कि पर्युषण पर्व में बड़ी संख्या में धर्म ओर तप आराधना चल रही हैं *आज केवल गर्म जल पर आधारित 28 उपवास के पच्खान दिक्षीता रिषभ सुराणा एवं 27 उपवास के पच्खान नीता बैन खोना ने लिए साथ ही सोनल ओस्तवाल ने सिद्धी तप आराधना करते हुए आज 11 उपवास के पच्खान लिए साथ ही आज 7 उपवास के पच्खान भुषण जैन, नीता जैन ने लिए। 6 उपवास के पच्खान दिपाली अश्विन जैन ने लिए एवं 5 उपवास के पच्खान राजेन्द्र कांकरिया, विमला प्रकाशचंद जैन, मितेश बोकड़िया, साधना नाहटा , पियुष शाह, परिधि चोपड़ा ने लिए एवं 3 उपवास के पच्खान श्याम गोयल ने लिए*। इसके अलावा अनेक श्रावक श्राविकाओं की तपस्याए पर्युषण पर्व सतत् गतिमान है।

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