सेंधवा। हनुमत शक्ति और राम राज्य की स्थापना का संदेश
सेंधवा में सात दिवसीय श्रीराम कथा पूर्णाहुति के साथ संपन्न, गीता किशोरी ने दिया सामाजिक जागृति का आह्वान

सेंधवा।व्यासपीठ से कथावाचिका गीता किशोरी ने हनुमान जी की लंका यात्रा और उनकी भूमिका का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने कहा कि हनुमान जी चाहते तो रावण का संहार कर सीता माता को तुरंत वापस ला सकते थे, परंतु प्रभु श्रीराम ने उन्हें केवल जानकारी जुटाने का आदेश दिया था। उन्होंने अपने सामर्थ्य से माता जानकी का पता लगाया और राक्षसी सेना की शक्ति का मूल्यांकन कर प्रभु को सूचित किया।
विभीषण शरणागति और रामराज्य की स्थापना-
कथा में विभीषण के प्रसंग का उल्लेख करते हुए गीता किशोरी ने बताया कि सत्य मार्ग पर चलने वाले विभीषण को रावण ने अपमानित कर निकाल दिया था। प्रभु श्रीराम ने उन्हें अपनाया और ‘लंका पति’ की उपाधि दी। विभीषण द्वारा बताए गए रहस्यों से ही रावण का अंत संभव हो सका और अंततः रामराज्य की स्थापना हुई।
आज के युग में हनुमत शक्ति की आवश्यकता-
समकालीन संदर्भ में कथावाचिका ने कहा कि वर्तमान समय में भी समाज को हनुमान जैसे निष्ठावान और शक्तिशाली सेवकों की जरूरत है। गांव-गांव में हनुमंत शक्ति को जाग्रत कर ही एक संगठित, व्यसनमुक्त और राष्ट्रभक्त समाज का निर्माण किया जा सकता है।
एकल अभियान: ग्रामों में रामराज्य की परिकल्पना-
कथावाचिका ने बताया कि एकल अभियान से जुड़े 8000 सेवावर्ती देशभर में पंचमुखी शिक्षा और संस्कार के माध्यम से कार्य कर रहे हैं, जिनमें से 1400 व्यास कथाकार हैं। इनका लक्ष्य प्रति गांव 100 हनुमान परिवार बनाकर संगठन, समरसता और संस्कार आधारित समाज का निर्माण करना है।
वनवासी बहन को मिला सम्मान, सामाजिक समरसता का संदेश-
सप्तदिवसीय श्रीराम कथा में सेंधवा नगर के 100 से अधिक सम्माननीय जनों ने व्यासपीठ का पूजन किया। एक वनवासी कथावाचिका को इस प्रकार सम्मानित किया जाना सामाजिक समरसता का प्रतीक बना। कथावाचिका गीता किशोरी का स्वागत राष्ट्रीय कथाकार पं. ललित नागर, दिव्यांग सेवा ट्रस्ट ओझर के बच्चों और आयोजकों द्वारा किया गया।
आयोजन में जन सहभागिता और सहयोग का योगदान-
एकल अभियान अंचल सेंधवा के अध्यक्ष गोपाल तायल ने आयोजन की सफलता में सहयोग देने वाले सभी भामाशाहों, प्रशासनिक अधिकारियों और आयोजन समिति का आभार व्यक्त किया। श्रीराम कथा का संचालन डॉ. प्रतीक चोपड़ा द्वारा सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।