
सेंधवा। धर्म के प्रति श्रद्धा को दृढ़ रखना चाहिए, जहां श्रद्धा है वहीं धर्म टिकता है। श्रद्धा और आस्था में यही फर्क है आस्था डगमगा सकती है पर सम्यक श्रद्धा वाला व्यक्ति धर्म के प्रति दृढ़ रहता है।
उक्त उद्गार प्रवर्तक जिनेंद्र मुनि जी की अज्ञानुवर्तनी पूज्य श्री सुव्रताजी म.सा. ने जैन स्थानक में कहें। आपने कहा कि इस अमूल्य मानव जन्म को प्राप्त करने के पश्चात अब हमें इधर-उधर भटकना नहीं है, धर्म के प्रति समय्क श्रद्धा रखकर अपना उद्धार कर लेना है।
इसके इसके पूर्व शीतल जी महाराज साहब ने फरमाया कि जिस प्रकार टाइम बम होता है वह अपने निश्चित समय पर ही फटता है इस प्रकार किए हुए कर्म अपने समय पर ही फल देते हैं इसलिए जब भी हमारे अशुभ कर्म उदय में आए और हमें कष्ट मिले तो समभाव से उसे सहन कर लेना चाहिए क्योंकि ये हमारे स्वयं के कर्मों का फल है। आपने कहा कि *बैर की गठान भव भव तक चलती है, दूसरों को नीचा और स्वयं को ऊंचा बताने के लिए व्यक्ति बैर की गठान को पकड़ कर रखता है परंतु ध्यान रखना कि यह बैर की गठान हमारे इस क्षणभंगुर जीवन में सदैव नुकसान पहुंचाने वाली होती है,* जीवन की इस यात्रा में यह गाठ हमेशा दुखदाई होती है।
ज्ञानी जन फरमाते हैं कि बैर की गांठ को हम क्षमा से खोल सकते हैं, क्षमा समस्या का समाधान है। जो व्यक्ति सहनशील और सरल होता है उसके लिए बहुत से रास्ते खुले होते हैं, सहनशीलता के भाव से सामने वाले के क्रोध को नियंत्रित किया जा सकता हैं। सदैव ध्यान रखें कि यदि कोई हमारे सामने व्यर्थ में क्रोध करें अपशब्द कहे और यदि हम मौन हो जाते हैं तो सामने वाले का क्रोध ज्यादा समय नहीं टिक सकता। क्षमा हृदय को प्रसन्न करने की एक अचूक दवा है, यदि हम बैर की भावना ना रख कर सदैव मधुर व्यवहार करें तो मन में प्रसन्नता बनी रह सकती है।
श्री संघ के अध्यक्ष अशोक सखलेचा ने बताया कि आज केवल गर्म जल पर आधारित 5 उपवास के पच्खान सो सुनीता सुराणा, सो शांति ओस्तवाल, सो सोनल ओस्तवाल ने लिए तथा इसके साथ ही अनेक श्रावक श्राविकाओं की तप आराधना चातुर्मास बैठने के दिन से सतत चल रही है। आज धर्म सभा में घेवरचंद बुरड, सुगनचंद सखलेचा, बी.एल.जैन, नंदलाल बुरड़, महेश मित्तल, प्रकाश सुराणा, महावीर सुराणा, दिलीप सुराणा, डॉ एम.के जैन, परेश सेठिया, सुरेश ओस्तवाल, भुषण जैन, मनिष बुरड, विवेक सुराणा, डॉ अश्विन जैन, गौरव जोगड सहित बड़ी संख्या में श्रावक श्राविकाएं उपस्थित थे