सेंधवा; पर्युषण पर्व में आंतरिक प्रदूषण मिटाने पर जोर, साध्वी सुव्रता म.सा. ने दिए जीवन शैली के सूत्र

सेंधवा; दुनिया में प्रदूषण से मुक्ति के लिए बहुत प्रयास किये जा रहे हैं, अर्थात बाहर के प्रदूषण को सुधारने के तो हम प्रयास कर रहे हैं पर हमारे भीतर के प्रदूषण को हम सुधार रहे हैं या नहीं इस पर भी चिंतन करना है ? पर्युषण पर्व में हमें क्रोध, मान, माया राग- द्वेष रुपी भीतर के प्रदूषण को कम करना है।
उक्त उद्गार प्रवर्तक जिनेंद्र मुनि जी महाराज साहब की आज्ञानुवरती सुव्रताजी म.सा. ने जैन स्थानक में व्यक्त किए।
आपने कहा कि हमारी चार प्रकार की जीवन शैली होना चाहिए एक सत्संग प्रधान जीवन शैली होना चाहिए ज्ञानीजन फरमाते हैं की सत्संग बहुत शक्तिशाली होता है जिस प्रकार नदी के तट पर जो वृक्ष होते हैं वह सदैव हरे भरे होते हैं क्योंकि उनका सदैव नदी का संग होता है वैसे ही सत्संग प्रेमी व्यक्ति सदैव प्रसन्न रहते हैं । ध्यान रखना जैसी संगत होती है वैसी ही रंगत होती है, दुर्जन की संगति कोयले के समान होती है जो हाथ को काला करती है और सज्जन की संगति चंदन के पाउडर के समान होती है जो हमारे हाथ को महका देती है। दूसरे प्रकार की जीवन शैली संयम प्रधान होना चाहिए , जिस प्रकार जब ट्रेन पटरी पर चलती है तो वह सुरक्षित रहती है किंतु जब पटरी से उतरी तो वहां नुकसान ही होने वाला है इस प्रकार जब तक जीवन में संयम और मर्यादा है तब तक जीवन सुरक्षित रहने वाला है तीसरी जीवन शैली जीवन सुधार प्रधान होना चाहिए और चौथी जीवन शैली जीवन विचार प्रधान होना चाहिए।
इसके पूर्व शीतल जी म.सा ने कहा कि *धर्म एलआईसी के समान है जिंदगी के साथ भी और जिंदगी के बाद भी, धर्म से हमारा यह भाव और परभव दोनों सुधरने वाले हैं । जब तक धर्म के प्रति अहोभाव नहीं आएगा तब तक धर्म का मर्म समझ नहीं आएगा । हमें धर्म के प्रति अहोभाव और आदर भाव मन में लाना होगा। आपने कहा कि ज्ञानीजन फरमाते हैं कि किसी भी बात से हमारे मन में दुख पैदा हो गया हो किसी से हमारा मनमुटाव हो गया हो तो उस बात को मन में मत घोलो और समाधि भाव में रहो तो जीवन में प्रसन्नता बनी रहेगी।
आपने कहा कि न जाने कब कौनसे कर्म उदय में आ जाए और कब हमारा आयुष्य पूरा हो जाए यह पता नहीं है इसलिए अपने जीवन को धर्म में लगाकर समाधि भाव में लाकर चिंता मुक्त रहे तभी हम स्वस्थ मस्त और प्रसन्न रह पाएंगे । धर्म की पूंजी यदि हम साथ में रखेंगे तो यहां पर भी आनंद में रहेंगे और परभव में भी आनंद ही मिलने वाला है।
श्रीसंघ के अध्यक्ष अशोक सकलेचा ने बताया कि पर्युषण पर्व में बड़ी संख्या में धर्म ओर तप आराधना चल रही हैं आज केवल गर्म जल पर आधारित 25 उपवास के पच्खान दिक्षीता रिषभ सुराणा एवं 24 उपवास के पच्खान नीता बैन खोना ने लिए साथ ही शांति ओस्तवाल, सोनल ओस्तवाल ने सिद्धी तप आराधना करते हुए आज 8 उपवास के पच्खान लिए साथ ही आज 4 उपवास के पच्खान भुषण जैन, नीता जैन, मोना नाहटा ने लिए। इसके अलावा अनेक तपस्याए गतिमान है। प्रतिदिन सुबह 8.30 से 10.15 तक अंतगढ़ सुत्र का वाचन एवं प्रवचन चल रहा है, दोपहर में 2.30 से 3.30 तक श्रावक श्राविकाओं के लिए धार्मिक परिक्षा हो रही है एवं संध्या में पुरुषो का प्रतिक्रमण 6.45 से 8 बजे तक बी.एल.जैन के निवास पर एवं महिलाओं का प्रतिक्रमण जैन स्थानक में हो रहा है।


