लेह-लद्दाख में लोकतांत्रिक अधिकारों की बहाली हेतु आंदोलनरत सोनम वांगचुक की गिरफ्तारी के विरोध में ज्ञापन सौंपा गया

जनोदय पंच। सेंधवा। आदिवासी समन्वय मंच भारत के प्रतिनिधिमंडल द्वारा आज महामहिम राष्ट्रपति महोदय के नाम एक ज्ञापन ैक्ड महोदय को सौंपा गया, जिसमें लेह-लद्दाख (केंद्र शासित प्रदेश) में चल रहे शांतिपूर्ण आंदोलन का समर्थन करते हुए, आंदोलन के नेतृत्वकर्ता सोनम वांगचुक की राष्ट्रीय सुरक्षा कानून (छै।) के तहत गिरफ्तारी पर गहरा आक्रोश व्यक्त किया गया।
ज्ञापन में जम्मू-कश्मीर राज्य के पुनर्गठन के बाद से लेह-लद्दाख के लोगों से लोकतांत्रिक अधिकार और स्वायत्तता छीन ली गई है। स्थानीय निवासियों, युवाओं, किसानों, एवं हिमालयी क्षेत्र के पर्यावरण की रक्षा हेतु सोनम वांगचुक एवं उनके साथियों द्वारा वर्षों से शांतिपूर्ण आंदोलन किया जा रहा है। बावजूद इसके, सरकार की ओर से संवाद और समाधान की बजाय दमनकारी कार्रवाई की जा रही है।
आदिवासी समन्वय मंच के प्रतिनिधि सिलदार सोलंकी ने कहा कि सोनम वांगचुक जैसे पर्यावरणविद, शिक्षाविद और सामाजिक कार्यकर्ता ने सदैव देश के विकास और पर्यावरण संतुलन के लिए कार्य किया है। उनकी गिरफ्तारी लोकतांत्रिक मूल्यों पर आघात है।
विजय सोलंकी ने मांग की कि केंद्र सरकार तुरंत वार्ता शुरू करे और सोनम वांगचुक सहित सभी आंदोलनकारियों पर से सभी आरोप वापस लिए जाएं।
ज्ञापन पर सिलदार सोलंकी (जिला अध्यक्ष, किसान कांग्रेस बड़वानी), गजानंद ब्रह्माने, सुभद्रा परमार, सीताराम बर्डे जप उपाध्यक्ष, अधिवक्ता चेनसिंह अच्छाले, परसराम सेनानी, गेंदाराम डावर, राहुल सोलंकी, पीयूष डावर, महेंद्र सेनानी सहित कई सामाजिक संगठनों और जनप्रतिनिधियों ने हस्ताक्षर किए।
आदिवासी समन्वय मंच ने कहा कि यह संघर्ष केवल लद्दाख का नहीं, बल्कि पूरे देश के लोकतांत्रिक अधिकारों की रक्षा से जुड़ा है। मंच ने केंद्र सरकार से अपील की है कि आंदोलनकारियों के साथ संवाद कर शांतिपूर्ण समाधान निकाला जाए।