निवाली में गूंजी आदिवासी आवाज, 15 करोड़ भारत व 35 करोड़ विश्व आदिवासियों के अधिकार पर हुई चर्चा
निवाली में आयोजित साप्ताहिक कार्यक्रम में पूजन-अर्चना, मार्गदर्शन और संवैधानिक अधिकारों पर विस्तृत चर्चा, शाम को निकली 20 हजार से अधिक लोगों की रैली।

रमन बोरखड़े। निवाली में विश्व आदिवासी दिवस के साप्ताहिक कार्यक्रम में 20 हजार से अधिक आदिवासी समाजजन जुटे। सभा में संवैधानिक अधिकारों पर चर्चा हुई और राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन भेजा गया। शाम को विशाल रैली निकाली गई।
बड़वानी जिले के निवाली में सोमवार को विश्व आदिवासी दिवस के तहत साप्ताहिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। दोपहर 2.30 बजे कृषि उपज मंडी में हुई सभा में आदिवासी समाज के वरिष्ठ सदस्यों ने कुलदेवी, आदिदेव, पूर्वजों और क्रांतिकारी योद्धाओं की पूजा-अर्चना की। कार्यक्रम का माहौल पारंपरिक गीतों और सांस्कृतिक रंगों से सराबोर रहा।
नेताओं ने किया मार्गदर्शन और संवैधानिक अधिकारों पर चर्चा
सभा में सुमेर बडोले, विक्रम अछालिया और सेंधवा विधायक मोंटू सोलंकी ने उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए आदिवासी एकजुटता और अधिकारों की रक्षा का संदेश दिया। डॉ. लक्ष्मण सेनानी ने भारत के लगभग 15 करोड़ और विश्व के 35 करोड़ आदिवासियों के अधिकारों की विस्तृत जानकारी दी। गजानन ब्राह्मणे ने संविधान में उल्लिखित पांचवीं अनुसूची, पेसा कानून और वनाधिकार अधिनियम पर प्रकाश डालते हुए इनके सही क्रियान्वयन की आवश्यकता बताई।
राष्ट्रपति को भेजा गया ज्ञापन
कार्यक्रम के दौरान आदिवासी समुदाय के मुद्दों और मांगों को लेकर राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा गया। इसमें संवैधानिक अधिकारों की रक्षा, भूमि और वन से जुड़े अधिकारों का संरक्षण तथा पेसा कानून के पालन पर बल दिया गया।
शाम को निकली विशाल रैली
सभा के बाद शाम 4 बजे निवाली से एक विशाल रैली निकाली गई, जिसमें 20 हजार से अधिक लोग शामिल हुए। आदिवासी गीतों और नृत्यों से माहौल उत्साहपूर्ण हो उठा। युवाओं ने पारंपरिक वेशभूषा में झूमते हुए अपनी सांस्कृतिक पहचान का प्रदर्शन किया। रैली के मार्ग पर सुरक्षा व्यवस्था के लिए नगर में पुलिस बल तैनात किया गया, जबकि यातायात को वैकल्पिक मार्गों पर डायवर्ट किया गया।
गणमान्य लोगों की उपस्थिति
कार्यक्रम में आयोजन समिति के दीपक निंगवाल, प्रदीप सेनानी, अमित ब्राह्मणे, राहुल सेनानी, श्रीकांत बर्डे, सचिन सोलंकी, सुवालाल खर्ते, विक्रम निंगवाल और धर्मवीर ब्राह्मणे सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे। इस अवसर ने आदिवासी समुदाय की एकता, संस्कृति और अधिकारों के प्रति सजगता को मजबूत किया।