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सेंधवा में विश्व अंगदान दिवस पर दापोरकर दंपत्ति ने लिया मरणोपरांत अंगदान का संकल्प

सेंधवा में विश्व अंगदान दिवस के अवसर पर समीर दापोरकर और श्रीमती श्रद्धा समीर दापोरकर ने मानव सेवा समिति के जरिए अंगदान का संकल्प लेकर जन-जागृति का संदेश दिया

सेंधवा में विश्व अंगदान दिवस पर समीर दापोरकर और उनकी पत्नी ने मानव सेवा समिति के माध्यम से मरणोपरांत अंगदान का संकल्प लिया। इस अवसर पर अंगदान के महत्व और इसके माध्यम से जीवन बचाने के संदेश पर जोर दिया गया।

            सेंधवा। विश्व अंगदान दिवस के अवसर पर रविवार को शहर के समीर दापोरकर और उनकी पत्नी, श्रीमती श्रद्धा समीर दापोरकर ने मानव सेवा समिति, सेंधवा के संचालक नीलेश जैन के माध्यम से मरणोपरांत अंगदान का संकल्प लिया। इस अवसर पर दोनों ने संकल्प पत्र भरकर यह व्रत लिया कि मृत्यु के बाद उनके अंग जरूरतमंद व्यक्तियों को दान किए जाएंगे, जिससे किसी का जीवन बच सके।

अंगदान दिवस का महत्व

मानव सेवा समिति के संचालक, नीलेश जैन ने बताया कि 13 अगस्त को विश्वभर में अंगदान दिवस मनाया जाता है। इसका उद्देश्य लोगों को अंगदान के महत्व के बारे में जागरूक करना और उन्हें प्रेरित करना है। अंगदान एक ऐसा कार्य है जिसमें व्यक्ति अपने अंग किसी जरूरतमंद को देकर उसका जीवन बचा सकता है। यह दान मृत्यु के बाद या कभी-कभी जीवित रहते हुए भी किया जा सकता है।

जीवन देने वाला उपहार

अंगदान को एक महान कार्य बताते हुए समिति के डॉ. किन्शुक लालका ने कहा कि यह ऐसा उपहार है जो किसी को नया जीवन प्रदान कर सकता है। अंगदान दो प्रकार का होता है—जीवित अंगदान और मृतक अंगदान। जीवित अंगदान में व्यक्ति अपने परिवार के किसी सदस्य को किडनी या पैंक्रियास का कुछ हिस्सा दान कर सकता है, जबकि मृतक अंगदान में ब्रेन डेड व्यक्ति हृदय, गुर्दे, फेफड़े, यकृत, आंतें, कॉर्निया, त्वचा, हड्डी, तंत्रिका और हृदय वाल्व जैसे अंग दान कर सकता है।

ब्रेन डेड होने पर भी संभव दान

डॉ. लालका ने बताया कि ब्रेन डेड मरीज के कई अंग जरूरतमंदों को दान किए जा सकते हैं। यह प्रक्रिया चिकित्सकीय निगरानी में पूरी तरह सुरक्षित और कानूनी है। उन्होंने लोगों से अपील की कि वे अंगदान के प्रति जागरूक हों और इस मानव सेवा में भागीदार बनें।

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