मनरेगा अधिकारी पर कार्रवाई की मांग को लेकर सहायक सचिव संघ बैठा कलमबंद हड़ताल पर
- सेंधवा जनपद में मनरेगा लेखा अधिकारी के विरूद्ध सहायक सचिवों में भड़का आक्रोश, राकेश पवार को हटाने की मांग तेज।

सेंधवा। जनपद पंचायत के मनरेगा लेखा अधिकारी राकेश पवार पर कमिशनखोरी और मनमानी का गंभीर आरोप लगाते हुए बुधवार से सहायक सचिव संघ ने कलमबंद हड़ताल शुरू कर दी है।
जनपद पंचायत परिसर में बैठ कर सहायक सचिव नारेबाजी कर रहे है।
सहायक सचिवों ने चेतावनी दी है कि यदि सहायक लेखाधिकारी राकेश पवार पर कार्रवाई नहीं हुई तो कलमबंद हड़ताल अनिश्चतकाल तक की जाएगी। बता दे उक्त मांगों को लेकर सहायक सचिव पूर्व में एसडीएम और जनपद सीईओ सहित जिला पंचायत में ज्ञापन दे चुके है। मांगे पूरी नहीं होने पर बुधवार से अनिश्चतकालीन कलमबंद हड़ताल पर बैठ गए है। जनपद उपाध्यक्ष सीताराम बर्डे ने भी सहायक सचिवों के साथ धरने पर बैठ कर उनका समर्थन किया। बर्डे ने भी आरोप लगाया कि राकेश पटेल बिल पास करने के लिए 10 प्रतिशत तक कमिशन मांगता है।
बिल पास करने के लिए 7 प्रतिशत कमिशन की मांग-
सहायक सचिवों का आरोप है कि मनरेगा योजना के तहत जिन निर्माण कार्यों में सामग्री की आपूर्ति की गई, उनके बिल पिछले 4-5 वर्षों से लंबित हैं। सहायक सचिव संघ जिलाध्यक्ष दिलीप नावड़े ने आरोप लगाया कि बिना कमिशन दिए राकेश पवार बिल पास नहीं करते है। जबकि कमीशन मिलने पर भुगतान एक सप्ताह में हो जाता है। इस कारण कई योजनाएं अधूरी रह जाती हैं और सीसी पूर्ण नहीं हो पाती, जिससे प्रगति दर में सेंधवा सबसे पीछे रह जाता है।
मस्टर डिलीट और लेबर बजट प्रभावित
सचिव संघ के रैलास आर्य ने कहा कि मनरेगा लेखा अधिकारी राकेश पवार मनरेगा के मस्टर जानबूझकर डिलीट कर देते हैं, जिससे मजदूरों की हाजिरी शून्य दर्ज होती है और लेबर बजट प्रभावित होता है।
वेतन मनमर्जी से काटना-
सहायक सचिव दिलीप नावडे, रेलास आर्य, इमरान , अरविंद बर्डे, मगन डूडवे, आकश सापले, रामलाल डूडवे, अप्पू खर्ते, प्रकाश मोरे, भायश्राम सोलंकी, राजू आर्य, वीरसिंह मुजाल्दे, शिवराम सोलंकी, मंशाराम अलावे, प्यारचंद पवार, दयाल पवार, अमर खर्ते आदि ने बताया कि सहायक लेखाधिकारी राकेश पवार मनमाने तरीके से बिना किसी वरिष्ठ अधिकारी के आदेश के कई सहायक सचिवों का वेतन रोकते और काट देते हैं। ग्राम पंचायत शाहपुरा के सहायक सचिव कैलाश बर्डे का तीन माह से वेतन काटा गया और जून माह का वेतन नहीं दिया गया, जिससे धन की कमी के कारण समय पर इलाज न मिलने से उनकी मृत्यु हो गई। सहायक सचिव प्यारचंद पवार ने बताया कि मेरे पिता की मृत्यु पर मैं अंतिम संस्कार में था, इसके बावजूद मेरा वेतन काटा गया। इसी तरह और भी कई सचिवों को प्रताड़ित किया गया है।
नहीं दिया जवाब-
मामले में राकेश पवार का पक्ष जानने के लिए उन्हें कॉल किया गया, लेकिन उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया, वहीं उन्हे मैसेज भेज कर जवाब मांगा गया, लेकिन कोई जवाब नहीं आया