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सेंधवा: मनमाड़-इंदौर रेल प्रोजेक्ट अटका, संयुक्त भू मापन को नहीं मिली फंडिंग, भूमि अधिग्रहण अटका, 21 गांवों का भविष्य अधर में

रेलवे द्वारा संयुक्त भू मापन शुल्क का भुगतान नहीं होने से देरी, जनहित याचिकाकर्ता ने अधिकारियों से कार्रवाई की मांग की।

मनमाड़-इंदौर दोहरी रेल लाइन परियोजना में भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया संयुक्त भू मापन की राशि अटकने से ठप हो गई है। नासिक जिले के 21 गांव प्रभावित, 354.23 हेक्टेयर भूमि अधिग्रहण अटका।

सेंधवा। बहुप्रतीक्षित मनमाड़-इंदौर रेल लाइन परियोजना की भूमि अधिग्रहण प्रक्रिया फिलहाल ठप पड़ी है। नासिक जिले के 21 गांवों में कुल 354.23 हेक्टेयर जमीन अधिग्रहित की जानी है, लेकिन इसके लिए आवश्यक संयुक्त भू मापन की प्रक्रिया अब तक शुरू नहीं हो पाई है।

         राजस्व प्रशासन से मिली जानकारी के मुताबिक, संयुक्त भू मापन के लिए रेलवे को लगभग 2.5 करोड़ रुपये का शुल्क जमा कराना था, जो अब तक नहीं किया गया है। इस कारण प्रक्रिया सिर्फ फाइलों में ही दर्ज है। राजस्व, रेलवे और भू-अभिलेख विभाग की संयुक्त जिम्मेदारी होने के बावजूद विभाग इंतजार की स्थिति में हैं।

जनहित याचिकाकर्ता ने की मांग

मनमाड़-इंदौर रेलवे संघ समिति के प्रमुख और हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर करने वाले श्री मनोज मराठे ने इस संबंध में नासिक और धुलिया के सांसदों से चर्चा की। उन्होंने रेलवे अधिकारियों से आग्रह किया कि राज्य सरकार को आवश्यक राशि जारी करने के निर्देश दिए जाएं। उन्होंने अनुसूचित जनजाति आयोग के राष्ट्रीय अध्यक्ष माननीय अंतसिंह जी से भी व्यक्तिगत रूप से मुलाकात कर मामला सामने रखा है।

1000 गांव और 30 लाख नागरिकों को होगा लाभ

केंद्र सरकार ने 16,320 करोड़ रुपये की लागत से इस रेल लाइन को राष्ट्रीय प्राथमिकता में शामिल किया है। इससे मुंबई और इंदौर के बीच की दूरी और यात्रा का समय कम होगा। साथ ही लगभग 1,000 गांव और 30 लाख से अधिक नागरिकों को सीधा लाभ पहुंचेगा।

            राजस्व प्रशासन द्वारा सर्वेक्षकों की नियुक्ति के आदेश भी जारी किए जा चुके हैं। शुल्क मिलने पर दो माह में मापन और अधिग्रहण की प्रक्रिया पूर्ण करने का लक्ष्य रखा गया है।

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