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पाटी महाविद्यालय में अयोजित राष्ट्रीय वर्चुअल सेमिनार- “जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता” विषय पर हुआ गहन मंथन’

बड़वानी। उच्च शिक्षा विभाग, भोपाल के प्रयोजन में भगवान बिरसा मुंडा शासकीय महाविद्यालय, पाटी द्वारा “’जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता” विषय पर एक ’’राष्ट्रीय वर्चुअल सेमिनार’ का आयोजन किया गया। सेमिनार के उद्घाटन सत्र में अग्रणी महाविद्यालय , बड़वानी की प्राचार्या ’डॉ. वीणा सत्य’ ने बताया कि जलवायु परिवर्तन और जैव विविधता का विषय हमारे अस्तित्व से गहराई से जुड़ा हुआ है। इस पर सेमिनार का आयोजन इसकी समसामयिक प्रासंगिकता को दर्शाता है।

विषय विशेषज्ञ डॉ. कृष्णानंद एस. होसालिकर, पूर्व प्रमुख, भारत मौसम विज्ञान विभाग, जलवायु अनुसंधान, पुणे ने मौसम, जलवायु परिवर्तन एवं जैव विविधता की चुनौतियों और संभावित समाधानों पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि “वर्षा के पैटर्न में आ रहे बदलाव जलवायु परिवर्तन के स्पष्ट संकेत हैं कृ जहां पहले कम वर्षा होती थी, अब वहां अत्यधिक वर्षा हो रही है, और इसके विपरीत स्थिति भी देखने को मिल रही है।” उन्होंने राष्ट्रीय फ्रेमवर्क फॉर क्लाइमेट सर्विस की स्थापना, संरचना एवं कार्यों की जानकारी देते हुए जलवायु साक्षरता और जागरूकता की आवश्यकता पर बल दिया।

मुख्य वक्ता के रूप में ’डॉ. देवेंद्र प्रधान, अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वरिष्ठ वैज्ञानिक और भारत मौसम विज्ञान विभाग दिल्ली के पूर्व अतिरिक्त महानिदेशक ने जलवायु परिवर्तन की ’मूलभूत अवधारणाओं, कारणों एवं प्रभावों पर अपने विचार रखे। उन्होंने कहा कि “धरती हमारा जीवंत स्वर्ग है और इसके तापमान में हो रही वृद्धि, असंतुलित वर्षा, तूफान, भूस्खलन, चक्रवात जैसी आपदाएं न केवल मानव जाति बल्कि सम्पूर्ण जैव विविधता के अस्तित्व के लिए गंभीर खतरा हैं।” उन्होंने भारत के संदर्भ में कहा कि “मानसून हमारा वित्त मंत्री है” और भारत सरकार जलवायु सुधार की दिशा में सतत कार्यरत है, जिसमें भारत मौसम विभाग की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है।

तकनीकी सत्र में देशभर से लगभग 40 से अधिक शोधार्थियों ने अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए। इस सत्र की अध्यक्षता डॉ. भावसिंह मुजाल्दा, आदर्श महाविद्यालय, बड़वानी तथा समीक्षा डॉ. अनील पाटीदार ने प्रस्तुत की।

महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ परवेज मोहम्मद ने बताया कि इस सेमिनर में मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र आदि राज्यों से 300 से अधिक विद्वानों ने पंजीयन करवाया था। अतिथि परिचय डॉ. दिलीप माहेश्वरी ने दिया, कार्यक्रम का संचालन प्रो. दिनेश ब्राह्मणे और तकनीकी सत्र का संचालन प्रोफेसर राजू ओसारी ने प्रभावशाली ढंग से किया। डॉ मंशाराम बघेल ने आभार व्यक्त करते हुए कार्यक्रम की सार्थकता पर प्रकाश डाला

कार्यक्रम आयोजन में डॉ. भारत सिंह चौहान, क्रीड़ा अधिकारी श्रीमती अंजुबाला जाधव, एवं तकनीकी सहयोगी जगदीश जमरे का विशेष योगदान रहा। साथ ही कनसिंह, विक्रम, सखाराम एवं शिवजी ने भी सक्रिय सहयोग प्रदान किया।

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