बड़वानी; उद्यानिकी फसलों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में शामिल किया जाए – राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी की मांग

बड़वानी। राज्यसभा के मानसून सत्र के दौरान विशेष उल्लेख (Special Mention) के माध्यम से राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने सरकार का ध्यान देशभर के उद्यानिकी फसलों के किसानों की ओर आकर्षित किया। उन्होंने कहा कि उद्यानिकी फसलें जैसे केला, पपीता, संतरा, आम और अनार देश की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
इन फसलों की खेती करने वाले किसान प्राकृतिक आपदाओं के समय बड़े आर्थिक नुकसान का सामना करते हैं, क्योंकि इन फसलों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत कोई प्रावधान नहीं है।
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना का मुख्य उद्देश्य किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, अतिवृष्टि, सूखा, ओलावृष्टि, बाढ़ या तूफान जैसी विपत्तियों से होने वाले फसल नुकसान की भरपाई करना है। वर्तमान में इस योजना में केवल खाद्यान्न, दलहन और तिलहन फसलें अधिसूचित हैं, जबकि उद्यानिकी फसलें इससे बाहर हैं।
डॉ. सोलंकी ने कहा कि मध्यप्रदेश के बड़वानी जिले में लगभग 2 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में विभिन्न फसलों की खेती होती है, जिनमें करीब 30,000 हेक्टेयर क्षेत्र में उद्यानिकी फसलों का उत्पादन होता है। विशेषकर केले की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है, जिसकी औसत उत्पादन लागत लगभग ₹7,00,000 प्रति हेक्टेयर तक होती है। ऐसे में यदि प्राकृतिक आपदा के कारण बागान नष्ट हो जाते हैं, तो किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ता है और वर्तमान में इसकी भरपाई के लिए कोई बीमा योजना उपलब्ध नहीं है।

डॉ. सोलंकी ने सरकार से आग्रह किया कि:
1. उद्यानिकी फसलों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत तत्काल अधिसूचित किया जाए।
2. यदि यह संभव न हो, तो उद्यानिकी फसलों के लिए पृथक बीमा नीति बनाई जाए, जिससे किसानों को सुरक्षा मिल सके।
उन्होंने कहा कि यह कदम न केवल किसानों को आर्थिक सुरक्षा देगा बल्कि देश की कृषि अर्थव्यवस्था को भी सुदृढ़ बनाएगा।
डॉ. सोलंकी ने सरकार से इस महत्वपूर्ण विषय पर शीघ्र कार्रवाई करने की अपेक्षा जताई है।



