सेंधवा-खेतिया राष्ट्रीय राजमार्ग का मौसम पुलिया तिराहा फिर क्षतिग्रस्त
स्थायी समाधान न होने से वाहन चालकों और राहगीरों को हो रही भारी परेशानी

सेंधवा। सेंधवा-खेतिया राष्ट्रीय राजमार्ग के क्षतिग्रस्त हिस्सो विशेष रूप से सेंधवा शहर से गुजरने वाले मौसम पुलिया तिराहे का मार्ग बार-बार क्षतिग्रस्त हो जाता है लेकिन *लोकनिर्माण विभाग के अधिकारीयों की लापरवाही के कारण इसका स्थायी समाधान नहीं किये जाने के कारण भारी आवागमन वाले इस तिराहे से निकलने वाले वाहन चालको एवं राहगीरो को अत्यधिक परेशानी भोगना पड रही है, इस समस्या का स्थायी समाधान करने की मांग की गई है।
सामाजिक कार्यकर्ता एवं अधिवक्ता बी.एल. जैन ने इस संबंध मे प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र प्रेषित कर उन्हे अवगत कराया गया है कि सेंधवा-खेतिया स्टेट हाईवे का निर्माण म.प्र. सड़क विकास निगम लिमिटेड द्वारा लगभग 9 वर्ष पुर्व किया गया था, 5 वर्ष की ग्यारंटी अवधि समाप्ति के पश्चात् यह मार्ग विगत 4 वर्षो से अब लोक निर्माण विभाग राष्ट्रीय राजमार्ग को हस्तान्तरित किया जा चुका है। ऐसी स्थिती मे इसके समस्त रख रखाव की जवाबदारी लोक निर्माण विभाग राष्ट्रीय राजमार्ग संभाग इंदौर की है। बारिश के दौरान खेतिया से पानसेमल के बीच भी सडक कई स्थानो पर क्षतिग्रस्त हो चुकी है, विशेष रूप से सेंधवा शहर के मौसम पुलिया तिराहे का हिस्सा बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो चुका है। इस हिस्से पर तिराहा होने के कारण 24 ही घण्टे बाहरी एवं शहरी आवागमन का अत्यधिक दबाव रहता है। बावजुद इसके विभाग द्वारा इसका मरम्मत कार्य अभी तक प्रारंभ नही करवाया गया है। ऐसी स्थिती मे वाहन चालको को अत्यधिक परेशानी उठाना पड़ती है तथा दुर्घटनाओं की संभावना भी हमेशा बनी रहती है।
श्री जैन ने पत्र मे लिखा है कि मौसम पुलिया तिराहा पर हमेशा गड्डे हो जाते है क्योकि इस पुलिया के नीचे से पानी का लीकेज होने के कारण यह स्थिति हर बार निर्मित होती है इस हेतु फरवरी 23 में प्रदेश शासन द्वारा 20 मीटर मार्ग को सीमेन्ट कांकरीट से वायरिंग कोट किए जाने हेतु स्वीकृति प्रदान कर 2 मार्च 23 को कार्यादेश भी जारी किए गए थे लेकिन विभागीय अधिकारीयों द्वारा वैकल्पिक मार्ग की अनुपलब्धता दर्शाकर इस स्वीकृत कार्य को नहीं किया गया। श्री जैन ने कहा कि यह मार्ग जिन स्थानों पर बार-बार क्षतिग्रस्त हो जाता है उन स्थानो पर केवल डामर एंव गिट्टी मिलाकर काम चलाउ मरम्मत कर दी जाती है इस कारण कुछ समय पश्चात् वह स्थान पुनः क्षतिग्रस्त हो जाता है।
आपने कहा कि उन स्थानो की नियमानुसार खुदाई करके कांकरीट से मरम्मत कार्य यदि किया जाता है तो काफी हद तक समस्या का समाधान हो सकता है। लेकिन विभागीय अधिकारी हर बार तात्कालिक कार्यवाही कर कागजी खाना पुर्ति कर लेते है। जिसका खामीयाजा आम जनता को भोगना पड रहा है। पत्र की प्रतिलिपीयां लोक निर्माण मंत्री एवं विभाग के प्रमुख सचिव एवं मुुख्य अभियन्ता व कार्यपालन यंत्री को भी प्रेषित की गई है।