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नगर की बदहाली का जिम्मेदार कौन ? भाजपा, कांग्रेस या प्रशासन !

खरगोन से दिनेश गीते.

भीकनगांव :- जब से नगर पंचायत के चुनाव हुए हैं और नव परिषद का गठन हुआ है तब से नगर के विकास को जैसे किसी की नज़र लग गई है। नगर परिषद की बदहाली के किस्से नगर में जगह जगह चौक- चौराहों पर होना आम बात हो गई है। करीब एक वर्ष पहले संपन्न हुए नगर परिषद निर्वाचन में 7 पार्षद कांग्रेस समर्थित तथा 8 पार्षद भाजपा समर्थित विजयी हुए थे। भाजपा के एक पार्षद ने कांग्रेस के पक्ष में क्रास वोटिंग कर कांग्रेस की महिला पार्षद को अध्यक्ष बनाने में भूमिका निभाई थी तथा उपाध्यक्ष के चुनाव में एक पार्षद का मत निरस्त होने से भाजपा का उपाध्यक्ष बना था। राजनीतिक उठा-पटक के चलते नगर परिषद अभी तक आपसी सामंजस्य स्थापित करने में असफल रही है जिसका खामियाजा नगर की जनता को भुगतना पड़ रहा है और नगर विकास के कार्यो के साथ-साथ शासन की योजनाओं और सुविधाओं का लाभ भी नगर की जनता को नहीं मिल पा रहा है। परिषद मे न तो स्थायी रुप से सीएमओ पदस्थ हुए हैं ओर न ही स्थायी समितियां अपने अधिकारों का उपयोग नगर के विकास में सहभागी बनी है। विगत एक वर्ष में नगर में एक भी ऐसा विकास कार्य नहीं हुआ है जिसमें परिषद की पीठ थपथपाई जा सके! हम बात करें नगर की स्वच्छता की तो नगर के सभी 15 वार्डो में गंदगी पसरी रहती है। आवारा मवेशियों का जमावड़ा रहता है। नगर में सुअरों को जगह जगह गंदगी के ढ़ेरों पर दावत करते देखे जा सकता हैं। नगर में पिछले एक वर्ष में एक बार भी किटनाशक दवाई का छिड़काव नहीं किया गया है ओर न ही नालियों के आसपास किटनाशक पावडर का छिड़काव किया गया है जिससे पनप रहे मच्छरों ने नगर की जनता का जीना मुश्किल कर दिया है। नगर के दुकानदारों तथा प्रति मंगलवार को लगने वाले हाट बाजार में दुकानदारों द्वारा प्रतिबंधित तथा अमानक स्तर की पोलीथिन का उपयोग धड़ल्ले से किया जा रहा है तथा सड़कों पर अनियंत्रित कचरा फेंका जा रहा है। नगर के चौराहों पर लगी अधिकतर हाईमास्ट लाइटें बंद है जिससे रात में न केवल चोरियों की घटनाएं बढ़ी हैं बल्कि महिलाओं का शाम को बाजार में निकलना भी दुभर हुआ है। नगर के सभी 15 वार्डों में शुद्ध पेयजल की आपूर्ति भी एक दिन छोड़कर हो रही है। नगर में बने उद्यान अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा हैं। “नाम बड़े और दर्शन खोटे” की कहावत को चरितार्थ करते यह उद्यान विरान हो गया है। कभी दिन भर नगर के बच्चे इस उद्यान में मौज मस्ती करते, झूलों पर झूलकर चिलकारियां भरते बच्चों की खुशियां अब नदारद सी हो गई है। प्रधानमंत्री आवास योजना पर भी 2019 के बाद से ग्रहण लग गया है। पूर्व परिषद ने 1150 हितग्राहियों की स्वीकृति दी थी लेकिन वह भी शिकायतो की भेंट चढ़ गई। शिकायत की जांच में मात्र 51 परिवारो को पात्र माना गया है तथा उनको भी इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। नगर के रहवासियों को मिलने वाली मूलभूत सुविधाओं ओर शासन योजनाओ की अनदेखी कर नगर परिषद आखिर क्या हासिल करने को आतुर है? नगर के निर्वाचित पार्षद भी मायूस होकर इस अव्यवस्था को लेकर गंभीर नहीं है और परिषद की खींचतान का हवाला देकर अपनी जवाबदेही से पल्ला झाड़ रहे हैं। परिषद ने राजस्व वसूली करने वाले, विकास कार्यों की देखरेख करने वाले, सफाई कार्य करने वाले, कंप्यूटर आपरेटर सहित कई दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों को हटा दिया है इन कर्मचारियों को हटाने से परिषद की न केवल राजस्व वसूली प्रभावित हुई है बल्कि पेयजल, स्वच्छता सहित अन्य कार्य भी प्रभावित हुए हैं जो परिषद की आर्थिक बदहाली का कारण बने है। समय पर राजस्व वसूली नहीं होने से कर्मचारियों को वेतन भुगतान तक के लाले पड़ गए हैं। नवीन नगर परिषद भवन में बने शापिंग कांप्लेक्स का निर्माण बेरोजगार युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के उद्देश्य से किया गया था लेकिन कांप्लेक्स की अधिकतर दूकानों का हस्तांतरण संबंधित खरीददारों को नहीं हुआ है। परिषद की सामंजस्यता में कमी का फायदा उठाने में प्रशासनिक अधिकारी कर्मचारी भी पीछे नहीं है। विगत दिनों एक प्रभारी कर्मचारी को बिना परिषद की अनुमति के भुगतान करने संबंधी आरोप लगाकर उसे निलंबित करने के प्रस्ताव पर परिषद के सभी पार्षदों ने एकजुटता दिखाने का प्रयास जरूर किया था लेकिन वह भी बेअसर ही साबित हुआ। नगर की जनता के एक हाथ में भाजपा के सांसद तो दूसरे हाथ में कांग्रेस की विधायक इस प्रकार दोनो हाथों में लड्डू होने के बावजूद भी लाचार है। दोनो प्रमुख राजनीतिक दलो भाजपा और कांग्रेस के नेताओं से नगर की जनता बहुत नाराज़ हैं। वर्तमान में विधानसभा चुनाव को लेकर प्रचार – प्रसार तथा जनसंपर्क करने के लिए प्रत्याशी नगर की जनता से रूबरू हो रहे हैं ओर अपने अपने पक्ष में मतदान करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं लेकिन जनता मोन है। इन नेताओं के चले जाने के बाद इस चुनाव में उनको सबक सिखाने की बातें करते भी लोगों को सुना जा सकता है।अब देखना यह होगा कि नगर परिषद के पदाधिकारियों से नाराज़ जनता विधानसभा चुनाव में अपना गुस्सा कांग्रेस पर निकालती है या भाजपा पर! यह तो आने वाला समय ही बताएगा।

कार्यालय नगर परिषद भीकनगांव

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