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हिंदू समाज ने भरी हुंकार किसी भी स्थिति में अखंड पूजा बाधित नहीं होगी , समिति के आव्हान पर सकल हिन्दू समाज ने सोपा ज्ञापन।

मंगलवार एवं बसंत पंचमी के दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे दिन पूजा का अधिकार प्रदान है तो दूसरा क्यों

हिंदू समाज ने भरी हुंकार किसी भी स्थिति में अखंड पूजा बाधित नहीं होगी , समिति के आव्हान पर सकल हिन्दू समाज ने सोपा ज्ञापन।

मंगलवार एवं बसंत पंचमी के दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे दिन पूजा का अधिकार प्रदान है तो दूसरा क्यों

धार.

वसंत पंचमी पर भोजशाला परिसर में मां वाग्देवी का जन्मोत्सव मनाने के साथ ही पूरे दिन पूजा-अर्चना और हवन का अधिकार हिंदू समाज प्राप्त है। इस बार 23 जनवरी को वसंत पंचमी और शुक्रवार एक साथ आने से प्रशासन के सामने चुनौती है। मंगलवार को सकल हिंदू समाज ने हुंकार भरते हुए भोजशाला में अखंड पूजा का संकल्प दोहराया। साथ ही प्रशासन से 7 अप्रेल 2003 के आदेश के परिपालन और समाज की मूल भावनाओं का ध्यान रखते हुए सूर्यादय से सूर्यास्त तक निर्विघ्न पूजा संपन्न कराने की मांग की। दोपहर में त्रिमूर्ति चौराहे से एकत्रीकरण हुआ। जिसके बाद कलेक्टर तक रैली निकाली। इसके बाद संतों की उपस्थिति में प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, केंद्रीय संस्कृति मंत्री, निदेशक केंद्रीय पुरातत्व विभाग के नाम एक संयुक्त ज्ञापन कलेक्टर प्रियंक मिश्रा को सौंपा गया। ज्ञापन में लिखा कि राजा भोज द्वारा मां सरस्वती की उपासना के लिए शारदा सदन सरस्वती मंदिर का निर्माण कराया गया। जो भोजशला नाम से विख्यात है। केन्द्रीय पुरातत्व विभाग के 7 अप्रैल 2003 के आदेश के अनुसार हिंदुओं को प्रति मंगलवार एवं बसंत पंचमी के दिन सूर्योदय से सूर्यास्त तक पूरे दिन पूजा का अधिकार प्रदान है। उक्त आदेश की मूल भावना का आधार हिंदू समाज को पूजा का अधिकार है और इसमें कोई खलल डाले वह स्वीकार नहीं और यदि प्रशासन द्वारा पूजा खंडित की जाती है, तो फिर हिंदू समाज तरह से विरोध करेगा। मंगलवार को आयोजन को लेकर पुलिस और प्रशासन द्वारा भी कड़ी व्यवस्था की गई थी। धार के अलावा आसपास के तिरला, कानवन, राजगढ़, सरदारपुर, बदनावर थानों से भी पुलिस बल तैनात रहा।

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संतों का मिला सानिध्य, मातृशक्ति ने भी दिखाया उत्साह:
भोजशाला मुक्ति और संघर्ष को लेकर भोज उत्सव समिति द्वारा मंगलवार को एकत्रीकरण का आह्वान किया गया था। इसमें मांडू चतुर्भूज श्रीराम मंदिर के महामंडलेश्वर व महंत नरसिंह दास महाराज, नर्मदानंद महाराज एवं श्यामसुंदर दास महाराज का सानिध्य भी मिला। सैकड़ों की संख्या में समाजजन और मातृशक्ति मौजूद रही। सभी रैली के रूप में निकले। खाली कर दो रास्ते, भोजशाला के वास्ते…चाहे जो मजबूरी हो , मां की पूजा पूरी हो… संकल्प की पूर्ति हो मां की पूजा पूरी हो… हिंदुजन की यही पुकार अखंड पूजा हो इस बार जैसे नारे लगाएं। महिलाएं हाथों में तख्तियां लेकर चल रही थी।

भोजशाला में हुई नियमित पूजा व आराधना:
मंगलवार को परपंरानुसार समाज द्वारा भोजशाला में पूजा-अर्चना की गई। वां वाग्देवी के तेल चित्र का पूजन कर आराधना की। जिसके बाद हनुमान चालीसा का पाठ हुआ। इस मौके पर भोज उत्सव समिति के अध्यक्ष सुरेश जलोदिया, वरिठ मार्गदर्शन अशोक जैन, संरक्षक गोपाल शर्मा, महामंत्री सुमिति चौधरी, राजेश शुक्ला, हेमंत दौराया, सुधीर वाजपेई, निलेश परमार सहित अन्य पदाधिकारी मौजूद थे।

एक ही दिन पूजा और नमाज होने से विवाद:
भोजशाला को लेकर हिंदू और मुस्लिम समाज द्वारा अलग-अलग दावे किए जा रहे हैं। सालों से पूजा और नमाज को लेकर विवाद चले आ रहा है। वसंत पंचमी और शुक्रवार जिस दिन साथ आते हैं। उसी दिन विवाद की स्थिति बनती है। साल 2003,2006, 2013 और 2016 में भी ऐसा हो चुका है। बात दें केंद्रीय पुरातत्व विभाग द्वारा प्रत्येक मंगलवार और बसंत पंचमीपर हिंदू समाज को पूजा का अधिकार प्राप्त दिया है। वहीं शुक्रवार को मुस्लिम समाज द्वारा दोपहर में नमाज पढ़ी जाती है। हाईकोर्ट इंदौर के आदेश पर एएसआई द्वारा पिछले साल 98 दिनों तक भोजशाला का सर्वे किया गया। जिस पर अंतिम निर्णय सुप्रीम कोर्ट द्वारा लिया जाना है।

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