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जमीनीस्तर पर कर्मचारी कर रहे दिन रात एक, सर्वे बना परेशानी, एक बार में नहीं मिल रही जानकारी।

गांव-गांव बीएलओ की दौड़, सर्वर और कमजोर नेटवर्क में अटक रही है लिंक........विवाहिताओं की मैपिंग बड़ी चुनौती, 2003 के रिकॉर्ड से लिंक न मिलने से अटकी प्रक्रिया।

आशीष यादव धार

जिले में मतदाता सूची की स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (एसआईआर) को लेकर जो तस्वीर सामने आई है, वह किसी डिजिटलीकृत अव्यवस्था की मिसाल बन गई है। सर्वर डाउन हैं, एप हैंग हो रहे हैं, देरी से फॉर्म की छपाई के साथ फोल्ड में बीएलओ हाथ मल रहे हैं। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट धीमी गति से चलना
इससे जिले में वह काम, जो चार दिसंबर तक खत्म होना था, अब दिनी-दिन और जटिल होता जा रहा है। जिले में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआइआर) कार्य में लगे बीएलओ इन दिनों कड़ी मशक्कत कर रहे हैं। आदिवासी अंचल में पलायन, नेटवर्क दिक्कत और पुराने रिकॉर्ड से लिंकिंग में त्रुटियों के कारण यह कार्य बेहद कठिन होता जा रहा है। सबसे ज्यादा परेशानी विवाहित महिलाओं की मैपिंग में आ रही है, जिनका नाम वर्ष 2003 की मतदाता सूची में नहीं है। सिस्टम में पति की बजाय माता-पिता या दादा के नाम से लिंकिंग का विकल्प आने से बीएलओ को प्राने रिकॉर्ड खंगालने पड़ रहे हैं। कई बार तो महिलाओं के परिजन खुद यह नहीं जानते कि उनके नाम किस फॉर्मेंट में दर्ज है। दूसरे राज्य की महिलाओं की जानकारी नहीं मिल रही बीएलओ के सामने सबसे कठिन चुनौती उन महिलाओं की है, जिनका मूल नामांकन दूसरे राज्यों खासकर उत्तर प्रदेश और राजस्थान व अन्य प्रदेशोंमें हुआ था। शादी के बाद जिले में आने पर अब उनका नाम स्थानीय लिस्ट में जोड़ना है, लेकिन बीएलओ एप पर दूसरे राज्यों की वोटर लिस्ट खुल में दिक्कत हो रही है ऐसे में इन महिलाओं का पुराना रिकॉर्ड मिलान असंभव हो गया है। युवा वर्ग भी घर बैठे बैठे अपने परिवार का सर्वे के सकते हे।

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जिले में पलायन बना सबसे बड़ी चुनौती:
आदिवासी अंचल के अधिकांश गांवों से हर साल बड़ी संख्या में लोग रोजगार के लिए अन्य राज्यों में पलायन करते हैं। इससे मतदाता सूची में नाम जोडने या संशोधन के लिए आवश्यक मैपिंग कार्य अधूरा रह जगता है। बीएलओ को अब मोबाइल नंबरों व्हाट्सएप पर फोटो और जानकारी मंगानी पड़ रही है। वहीं अधिकांश लोग सोयाबीन मक्का के काम से फ्री होकर जिले के पास के राज्य गुजरात पलायन नकर रोजगार कार्य करते हे वहीं जिसे अब बीएलओ को परेशान होना पड़ रहा हैं।

गांव – गांव पहुंचे तहसीलदार उईके:
मतदाता सूची पुनरीक्षण कार्य की निगरानी के लिए
धार तहसीलदार दिनेश उईके स्वयं मौके पर जाकर बीएलओ के साथ वस्तुस्थिति देख रहे हे वहीं बाइक से गांव में घूमकर बीएलओ के साथ मतदाताओं के साथ कर्मचारीयो से चर्चा की बीएलओ के साथ बैठकर गणना पत्रक भरने की प्रक्रिया समझाई और आवश्यक मार्गदर्शन दिया। उन्होंने कहा कि यदि कोई मतदाता अपना फोटो बदलवाना चाहता है तो वह आवेदन कर सकता है। इस दौरान अन्य सहयोगी भी उपस्थित रहे।

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तकनीकी परेशानियां बनी बड़ी अड़चन:
बीएलओ का कहना है कि सर्वर बार बार डाउन हो रहा है, जिससे वर्ष 2003 की मतदाता सूची का लिंक नहीं खुल पाता। ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क कमजोर है। डेटा अपलोड के दौरान ‘रिलेशन लिंकिंग एरर’ का
मैसेज बार-बार आता है। कई बार 40 वर्ष से अधिक आयु वाले मतदाताओं के पिता या दादा का नाम एप में स्वीकार नहीं होता। शहर में मतदान केंद्र बदले जाने से मतदाताओं को ढूंढना कठिन हो गया है। वहीं अधिकारियों के अनुसार, एसडीएम और तहसीलदार स्तर पर निरंतर निगरानी रखी जा रही है। वहीं बदनावर एसडीएम प्रियंका मिमरोट खुद गावो में पहुंचकर निरीक्षण किया व कर्मचारी को निर्देश किया गया। साथ ही ग्रामीण इलाकों में नेटवर्क की दिक्कत दूर करने के लिए वैकल्पिक उपाय तलाशे जा रहे हैं। बीएलओ को कार्य में सहायता के लिए तकनीकी सपोर्ट टीम भी तैनात की जा रही है।

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गांवों से स्थिति की रिपोर्ट:
वही सबसे ज्यादा दिक्कतों का सामना ग्रामीण क्षेत्र में भी देखा जा रहा है। बीएलओ ने बताया कि गांव के कुछ ग्रामीण पलायन पर हैं। ऐसे में उनसे संपर्क मोबाइल और सोशल मीडिया के जरिए किया जा रहा है। महिलाओं की मैपिंग में सबसे ज्यादा समस्या है। महिला मतदाताओं में से केवल कुछ महिलाओं की पूरी जानकारी मिल सकी है। अधिकांश महिलाओं के मायके से जानकारी नहीं मिल पा रही है। गणना पत्रक देर से मिले, जिससे काम की गति धीमी रही।एसआईआर सर्वे के दौरान कई सामाजिक दिक्कतें भी सामने आ रही हैं। घर-घर सर्वे के दौरान बीएलओ बताते हैं कि कई परिवार बहुओं या विवाहित बेटियों की जानकारी साझा करने में संकोच कर रहे हैं। इससे सर्वे अधूरा रह जाता है। वहीं, कुछ घरों पर ताले लगे होने पर बीएलओ पड़ोसियों से मोबाइल नंबर जुटा रहे हैं, जिससे डेटा की शुद्धता पर भी सवाल उठ रहे हैं।अब तक केवल 3 लाख 31 हजार फार्म मैपिंग का कार्य पूरा हुआ है।

थोड़ी राहत थोड़ी परेशानी बनी हुई हे:
सबसे बड़ी समस्या तकनीकी है। निर्वाचन आयोग की वेबसाइट ceomadhyapradesh.nic.in 3 दिन तक उसपर सुधार कार्य चल रहा था जिसके कारण परेशान होना पड़ रहा था। हालांकि मंगलवार को यह खुल गई ओर इसमें सुधार भी देखा गया। आयोग ने फील्ड डेटा कलेक्शन के लिए जो बीएलओ एप तैयार किया, उसकी तकनीकी खामियां संकट में बदल चुकी हैं। एप का सबसे बड़ा झोल है ब्लड रिलेशन लिंकिंग फीचर। यह सिर्फ ‘पिता’ और ‘दादा’ के रिश्ते को मान्य करता है। फॉर्म में ईपीआईसी नंबर मतदाता के साथ उसके माता-पिता का भी मांगा जा रहा है। अधिकांश लोग नौकरीपेशा हैं। इसलिए यह नंबर ढूंढने में भी परेशानी आ रही है। असर क्या… कई बीएलओ ने बताया कि ऑफलाइन फॉर्म भरने पड़े, लेकिन उन्हें एप में डाल नहीं पाए। इससे बड़ी दिक्कत खड़ी हुई कि ऑनलाइन और ऑफलाइन डेटा मेल नहीं खा रहा। एप लॉगिन बार-बार फेल हो रहा है, इंटरनेट कमजोर है। एप का डिजाइन ‘फील्ड फ्रेंडली’ नहीं है।

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कही लोग जिला छोड़ जा चुके:
2003 की सूची में धार जिले के कही लोग अन्य जिलों में चले गए जिनके नाम आज भी यही हे वहीं है। वहीं कही लोग 2003 की सूची में अपना नाम भी होने से भी चिंतित हे। वही सबसे बड़ी परेशानी कॉलोनी का चेंज होना व व्यक्तियों का एक कॉलोनी से दूसरी कॉलोनी में चले जाना भी परेशानी का सबक बना हुआ है। शहरी इलाकों में यह समस्या ज्यादा है क्योंकि किराएदार और फ्लोटिंग पॉप्युलेशन तेजी से बदलती है। कई बीएलओ बताते हैं कि एप पर 2003 की जानकारी अपलोड ही नहीं हो पा रही। ऐसे में वे पुराने रिकॉर्ड का मिलान करने के लिए घर-घर जाकर मतदाताओं से पूछताछ कर रहे हैं। लेकिन, कई बार मतदाता स्वयं को याद नहीं कि उनका नाम 2003 में किस वार्ड में था या किस विधानसभा में दर्ज हुआ था।

यह स्थिति जिले की
अगर बात करें सरदारपुर विधानसभा की तो यहां पर 2 लाख 32 हजार से अधिक वोटर हे जिसमें 47 हजार से अधिक आवेदन हो गए हे वहीं गंधवानी में 2 लाख 56 हजार वोटर हे 42 हजार से अधिक आवेदन हो गए हे साथ कुक्षी में 2 लाख 52 से ज्यादा मतदाता हे जिसमें अब तक 45 हजार से अधिक मतदाताओं का कार्य कर लिया गया हे।। मनावर की करे तो 2 लाख 46 वोटरों में से 65 हजार मतदाताओं के आवेदन हो गए हे। धरमपुरी की बात करे तो 2 लाख 25 हजार मतदाताओं मे से 40 हजार से अधिक आवेदनों को ईएफएस कर दिया हे। धार 2 लाख 62 हजार मतदाताओं मे से 50 हजार से अधिक वोटरों के कार्य किया है। बदनावर में से 2 लाख 24 हजार मतदान करने वाले लोग जिसमें से 39 हजार का निर्वाचन का कार्य हो गया। जिले में अभी 20 प्रतिशत कार्य हुआ हे व साथ ही 3 लाख 30 हजार वोटर सत्यापित कर लिए हे।

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