इंदौर

इंदौर के प्रथम शासक राव राजा राव नंदलाल मंडलोई के बलिदान दिवस पर उनकी छत्रियों पर पहुंचे सैकड़ों स्नेहीजन, समर्पित की पुष्पांजलि

सरकारी विभाग अनुमति दें तो उनकी यादों को और अच्छे ढंग से संरक्षित करने के लिए समिति तैयार-वरदराज मंडलोई

इंदौर के प्रथम शासक राव राजा राव नंदलाल मंडलोई के बलिदान दिवस पर उनकी छत्रियों पर पहुंचे सैकड़ों स्नेहीजन, समर्पित की पुष्पांजलि

सरकारी विभाग अनुमति दें तो उनकी यादों को और अच्छे ढंग से संरक्षित करने के लिए समिति तैयार-वरदराज मंडलोई

इंदौर। इंदौर के प्रथम शासक एवं संस्थापक राव राजा राव नंदलाल मंडलोई के 294 वे बलिदान दिवस के उपलक्ष्य में आज उनके परिजनों ने मालवा की परंपरागत पगड़ी पहनकर इंदौर स्थापना दिवस समारोह समिति के सदस्यों के साथ चम्पाबाग, दौलतगंज स्थित उनकी छत्रियों पर पुष्पांजलि समर्पित कर जूनी इंदौर बड़ा रावला के सामने स्थित चिन्ताहरण गणेश मंदिर पहुंचकर पूजा-अर्चना भी की। सैकड़ों स्नेहीजन एवं शहर के गणमान्य नागरिक इस अवसर पर उपस्थित थे।
कार्यक्रम में राव राजा राव नंदलाल मंडलोई के वंशज राव राजा श्रीकांत मंडलोई, रानी साहिबा सौ. माधवी मंडलोई, युवराज वरदराज मंडलोई एवं राजाबाई श्रिया मंडलोई जमींदार के साथ स्थापना दिवस समारोह समिति की ओर से हेमेन्द्र पाठक, राजेश पाठक, हिंदू जागरण मंच के जगदीश खत्री सहित अनेक गणमान्य नागरिक भी उपस्थित थे, जिन्होंने उनके द्वारा शहर को पूरे देश में कारोबार जगत में स्थापित करने और शहर के विकास के लिए किए गए अनेक कार्यों का उल्लेख करते हुए उनके प्रति श्रद्धा-सुमन समर्पित किए। बड़ा रावला स्थित उनकी गादी की भी पूजा-अर्चना की गई।
युवराज वरदराज मंडलोई ने इस अवसर पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि देश में पहली बार 307 वर्ष पहले 3 मार्च 1716 को इंदौर के व्यापार को कर मुक्त बनाने के लिए राव राजा राव नंदलाल मंडलोई ने न केवल तत्कालीन रियासतों के राजाओं से संधि की बल्कि देश में सबसे पहले इंदौर के सियागंज के व्यापार को टेक्स फ्री ज़ोन बनाने का श्रेय भी उनके ही खाते में जाता है। तब सियागंज ही पूरे परगने के कारोबार का मुख्य केंद्र था और इसे बसाने के लिए राजा ने आसपास के अनेक छोटे-बड़े व्यापारियों को भी इंदौर आकर कारोबार करने का न्योता दिया था। जयपुर का विकास सन 1730 में प्रारंभ हुआ जबकि इंदौर का सन 1703 में ही राजधानी बनने के साथ ही शुरू हो गया था। जिन शासकों से इंदौर के कारोबार को टेक्स फ्री करने की संधि की गई थी उनमें जयपुर के राजा सवाई जयसिंह भी शामिल थे और इंदौर के विकास को देखकर उन्होंने भी जयपुर के विकास का काम शुरू किया था।
मंडलोई ने यह भी कहा कि वे चाहते हैं कि इंदौर के प्रथम शासक की यादों को चिरस्थायी और संरक्षित करने के लिए समुचित प्रयास किए जाना चाहिए। अंग्रेज शासकों ने मंडलोई परिवार के तत्कालीन इतिहास को दबाने- छिपाने का प्रयास किया, जिसके कारण उस समय लिए गए अनेक दूरदर्शी निर्णयों को इतिहास में जगह नहीं मिल पाई। अब हम इंदौर स्थापना दिवस समारोह समिति के माध्यम से दौलतगंज एवं चम्पाबाग स्थित छत्रियों एवं अन्य पवित्र स्थलों का संरक्षण करना चाहते हैं, इसके लिए हमें सरकार से आर्थिक सहयोग भले ही न मिले लेकिन सरकारी विभागों की अनुमतियाँ ही मिल जाए तो शहर के प्रथम शासक की यादों को और अच्छे परिवेश में स्थापित किया जा सकता है।
बड़ा रावला पर गादी पूजा – उनकी छत्रियों पर पुष्पांजलि के पश्चात जमींदार मंडलोई परिवार के सदस्य और स्नेहीजन बड़ा रावला पहुंचे, जहाँ उनकी गादी की पूजा-अर्चना की गई। इस मौके पर बड़ा रावला पर विशेष सजावट की गई थी। अनेक स्नेहीजन भी इस मौके पर मौजूद रहे। अब 3 मार्च को इंदौर स्थापना दिवस पर विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाएँगे।

 

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