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परिवार तो उजड़ गया सहाब अस्पताल सील करने से क्या होगा जब निभानी थी जिम्मेदारी जब बैठे थे एसी के रुम में।

महिला की मौत के बाद केएसएस अस्पताल सात दिन के लिए सील जिले में निजी अस्पताल को दौरा समय पर होता हो नहीं होती ऐसी घटना।

आशीष यादव धार
धार मांडू रोड स्थित केएसएस अस्पताल में उपचार के दौरान एक महिला की मौत के मामले ने पूरे जिले के स्वास्थ्य तंत्र को हिला दिया है। जांच में कई गंभीर गड़बड़ियां सामने आने के बाद शनिवार को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. आर. के. शिंदे ने टीम सहित अस्पताल को सात दिन के लिए सील कर दिया। सीएमएचओ कार्यालय से जारी आदेश के अनुसार, पिंकी पति सुरेश मकवाना (निवासी बिलोदिया, नालछा) की मृत्यु 1 अक्टूबर को उपचार अवधि में हुई थी। पिंकी सिकल सेल एनीमिया और पीलिया से पीडित थी तथा 27 सितंबर को उसकी डिलीवरी कराई गई थी। परिजनों ने डॉक्टरों पर उपचार में लापरवाही और गलत ऑपरेशन के आरोप लगाए थे। इस घटना के बाद अस्पताल के बाहर महिला का शव रखकर प्रदर्शन भी किया गया था। इस मामले में सभी जिम्मेदार पर मुकदमा दर्ज होना चाहिए उसके बाद ही मां और उसके बच्चों की आत्मा को थोड़ी शांति मिलेगी।
जिम्मेदारो की आंख पर चांदी का चश्मा:
वहीं इसके जिम्मेदार स्वास्थ विभाग भी हैं क्योंकि समय पर निजी अस्पताल की जांच होती तो आज यह घटना नहीं होती जिले में सौ से अधिक निजी व अवैध हॉस्पिटल संचालित हो रहे हे मगर एक भी अस्पताल नियम से नहीं चल रहा अगर समय रहते जिम्मेदार ध्यान देते तो जिले एसी घटना ही नहीं होती महिला की पीएम रिपोर्ट में चौकाने वाले तथ्य सामने आए है। महिला सिकल सेल व पीलिया से पीड़ित थी। उसका इलाज धार भोज अस्पताल में कर सकते थे मगर जिम्मेदार डाक्टरों ने इंदौर की सलाह दे डली अगर चाहते तो महिला का इलाज यही कर सकते हर रोज भोज अस्पताल से रैफर का खेल चलता हे जो इंदौर के नाम पर धार के अस्पताल में पहुंचा दिए जाते हे सके बदले मोटी रकम मिलती हे इसके सबूत भी अखबार के पास है मगर क्या करे सिस्टम में ही गंदगी भरी है तो क्या करे इस मामले में डाक्टर के साथ परिवार अन्य लोग भी जिम्मेदार हे जो समय रहते नहीं जाग सके। अब सहाब भी कुछ दिन के मेहमान हे इस लिए जाते जाते दूसरा का ओर खुद का भला करने में लगे हे। खुद का इस लिए की अस्पताल के बाहर अपने वालों की एक दुकान सजवा दी जो चलती रहेंगी और खुद भी विदाई के बाद कांच वाला ऑफिस जिले के गंधवानी विधानसभा में खोलकर चलाएंगे।
जांच में खुलीं अनियमितताएं:
घटना के बाद 3 अक्टूबर को तीन सदस्यीय जांच दल गठित किया गया था, जिसने 15 अक्टूबर को अपनी रिपोर्ट पेश की। रिपोर्ट में अस्पताल में गंभीर अनियमितताएं उजागर हुई। अस्पताल प्रबंधन से जवाब मांगा गया, लेकिन संतोषजनक उत्तर नहीं मिलने पर सीएमएचओ ने अस्पताल का पंजीयन सात दिन के लिए निलंबित कर उसे सील करने का आदेश जारी किया।
भर्ती मरीजों को शिफ्ट कर सील किया:
शनिवार दोपहर करीब डेढ़ बजे सीएमएचओ डॉ. शिंदे टीम के साथ अस्पताल पहुंचे। मौके पर छह से सात मरीज भर्ती थे। सीएमएचओ ने अस्पताल स्टाफ को निर्देश दिए कि सभी मरीजों को दोपहर तीन बजे तक अन्य अस्पतालों में शिफ्ट किया जाए। मरीजों को शिफ्ट करने के बाद अस्पताल को पुलिस बल की मौजूदगी में सील कर दिया गया। थाना प्रभारी सहित पुलिस बल पूरे समय मौके पर मौजूद रहा। धार जिले में हाल के वर्षों में निजी अस्पतालों की संख्या तेजी से बढ़ी है, लेकिन गुणवत्ता नियंत्रण और नियमित निरीक्षण का अभाव इन संस्थानों को मनमानी की खुली छूट दे रहा है। केएसएस अस्पताल का मामला केवल एक उदाहरण है, कई छोटे अस्पताल बिना पर्याप्त विशेषज्ञ, उपकरण और मान्यता के गंभीर ऑपरेशन कर रहे है। स्वास्थ्य विभाग का यह कदम सराहनीय जरूर है, पर यदि नियमित मॉनिटरिंग और जवाबदेही तंत्र मजबूत नहीं किया गया, तो ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेगी। आवश्यक है कि जिले में पंजीकृत सभी निजी अस्पतालों का वार्षिक ऑडिट, चिकित्सकीय फिटनेस और सेवा मानक की जांच अनिवार्य की जाए, ताकि ‘लाभ कमाने’ की दौड़ में मानव जीवन से खिलवाड़ न हो।
जयस ने दिया धरना, डॉक्टर पर केस दर्ज करने की मांग:
के. एस. एस. हो कार्रवाई से पहले जयस (आदिवासी युवा शक्ति संगठन) के कार्यकर्ताओं ने अस्पताल के बाहर धरना प्रदर्शन किया। संगठन के अध्यक्ष भानु गिरवाल ने कहा कि पीड़ित परिवार को मुआवजा दिया जाए, जिम्मेदार डॉक्टर पर प्रकरण दर्ज हो और जिले के सभी निजी अस्पत्तालों की समीक्षा जांच की जाए। उन्होंने कहा कि ऐसी घटनाएं यह दिखाती हैं कि निजी अस्पतालों पर प्रशासनिक निगरानी कमजोर हो गई है।
सात दिन में सुधार पर होगी पुनः समीक्षा
सीएमएचओ कार्यालय के अनुसार, सीलिंग अवधि में अस्पताल में नए मरीजों की भर्ती, सर्जरी या इनडोर उपचार नहीं किया जा सकेगा। यदि अस्पताल प्रबंधन सभी कमियां दूर कर लेता है और जांच में व्यवस्था संतोषजनक पाई जाती है, तो निलंबन समाप्त किया जा सकता है।
जांच रिपोर्ट में सामने आई ये गंभीर गड़बड़ियां
अस्पतालों की मनमानी पर ‘नकेल’ कसना जरूरी
सिकल सेल और पीलिया पीड़ित मरीज की एमडी मेडिसिन विशेषज्ञ से फिटनेस नहीं ली गई।
टर्शरी लेवल सुविधाओं के बिना हाई रिस्क प्रेग्नेंसी का सर्जिकल प्रबंधन किया गया।
ओटी पंजी में कूट रचना,
वास्तविक निश्चेतना विशेषज्ञ की जगह अन्य का नाम दर्ज।
फॉर्म-डी रिकॉर्ड अधूरा, अद्यतन नहीं पाया गया।
शासकीय चिकित्सकों की सेवाएं निजी संस्थान में उपयोग की गई-नियम का उल्लंघन।
ओटी कल्चर रिपोर्ट तीन माह पुरानी पाई गई, जो बाद में मेडिकल जांच टीम के निरीक्षण के बाद कराई गई।
यह है पूरा मामला
25 सितंबर पिंकी मकवाना को गर्भावस्था में केएसएस अस्पताल में भर्ती कराया गया
27 सितंबर ऑपरेशन से डिलीवरी कराई गई
01 अक्टूबर घर लौटने के बाद पिंकी की तबीयत बिगड़ी, मौत हुई
02 अक्टूबर परिजनों व ग्रामीणों ने अस्पताल के बाहर शव रखकर प्रदर्शन किया
03 अक्टूबर तीन सदस्यीय जांच दल गठित
15 अक्टूबर – जांच रिपोर्ट में गंभीर अनियमितताएं उजागर
25 अक्टूबर अस्पताल सात दिन के लिए सील
अस्पतालों की मनमानी पर ‘नकेल’ कसना जरूरी:
धार जिले में हाली के वर्षों में निजी अस्पतालों की संख्या तेजी से बढ़ी है, लेकिन गुणवत्ता नियंत्रण और नियमित निरीक्षण का अभाव इन संस्थानों को मनमानी की खुली छूट दे रहा है। केएसएस अस्पताल का मामला केवल एक उदाहरण है, कई छोटे अस्पताल बिना पर्याप्त विशेषज्ञ, उपकरण और मान्यता के गंभीर ऑपरेशन कर रहे है। स्वास्थ्य विभाग का यह कदम सराहनीय जरूर है, पर यदि नियमित मॉनिटरिंग और जवाबदेही तंत्र मजबूत नहीं किया गया, तो ऐसी घटनाएं दोहराई जाती रहेगी। आवश्यक है कि जिले में पंजीकृत सभी निजी अस्पतालों का वार्षिक ऑडिट, चिकित्सकीय फिटनेस और सेवा मानक की जांच अनिवार्य की जाए, ताकि ‘लाभ कमाने’ की दौड़ में मानव जीवन से खिलवाड़ न हो।
7 दिन के लिए लाइसेंस निलंबित:
पीएम रिपार्ट व जांच दल की रिपोर्ट आने के बाद सात दिन के लाइसेंस निलंबित किया है। इसी के परिपालन में शनिवार को अस्पताल को सील किया गया आगे की जांच जारी है।
-डॉ आरके शिंदे, सीएमएचओ धार

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