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राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने जिनेवा में IPU असेंबली में भारत का किया सशक्त प्रतिनिधित्व

भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने द्विपक्षीय वार्ताओं सहित बाल सुरक्षा, AI और गोद लेने के कानूनों पर रखा भारत का पक्ष

बड़वानी। रमन बोरखड़े। भारत के एक उच्च-स्तरीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने स्विट्जरलैंड के जिनेवा में आयोजित अंतर-संसदीय संघ (IPU) की पांच दिवसीय 151वीं अंतर्राष्ट्रीय असेंबली में सक्रिय रूप से भाग लिया। देश के यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के मार्गदर्शन और नेतृत्व में इस प्रतिनिधिमंडल ने भारत का पक्ष मजबूती से रखा।

प्रतिनिधिमंडल में पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री अनुराग ठाकुर, मध्यप्रदेश से राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी, उड़ीसा से सांसद श्रीमती अपराजिता सारंगी, दिल्ली से सांसद श्रीमती कमलजीत सेहरावत, बिहार से सांसद डॉ. संजय जायसवाल और उड़ीसा से सांसद डॉ. सस्मित पात्रा शामिल थे।

इस पांच दिवसीय असेंबली के दौरान, प्रतिनिधिमंडल के सदस्य के रूप में डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने कई महत्वपूर्ण वैश्विक मुद्दों पर भारत की प्रगतिशील नीतियों और मजबूत कानूनी ढांचे को रेखांकित किया। उन्होंने मुख्य रूप से ‘डिजिटल वातावरण में बच्चों के अधिकार’, ‘आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर वैश्विक सहयोग’ और ‘बाल अधिकारों एवं अंतर्राष्ट्रीय गोद लेने की प्रक्रियाओं’ पर भारत का पक्ष रखा।

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द्विपक्षीय वार्ता में भागीदारी

असेंबली के अतिरिक्त, भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने महत्वपूर्ण द्विपक्षीय वार्ताओं में भी भाग लिया। इसमें *भारत-बेलारूस* और *भारत-यूक्रेन* के संसदीय प्रतिनिधिमंडलों के साथ हुई चर्चाएं शामिल थीं। इन वार्ताओं का उद्देश्य दोनों देशों के साथ संसदीय सहयोग को मजबूत करना और आपसी हित के मुद्दों पर विचारों का आदान-प्रदान करना था।

डिजिटल युग में बच्चों के अधिकारों पर रखी भारत की बात

डॉ. सोलंकी ने “डिजिटल वातावरण में बच्चों के अधिकार” विषय पर अपने संबोधन में कहा कि डिजिटल दुनिया बच्चों के लिए कई अवसर लेकर आई है, लेकिन इसके खतरे भी हैं। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत बच्चों को ऑनलाइन और ऑफलाइन, दोनों जगह सुरक्षित रखने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है।

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उन्होंने बताया कि भारत के मजबूत कानून, जैसे POCSO एक्ट 2012, आईटी एक्ट 2000, और भारतीय न्याय संहिता 2023, बच्चों को साइबर अपराधों से बचाने के लिए प्रभावी हैं। भारत सरकार ने 2020 में भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C) की स्थापना की है और नेशनल साइबर क्राइम रिपोर्टिंग पोर्टल व टोल-फ्री हेल्पलाइन 1930 के माध्यम से कोई भी व्यक्ति साइबर अपराध की रिपोर्ट कर सकता है। उन्होंने NCPCR (राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग) जैसी संस्थाओं और ‘मिशन वात्सल्य’ जैसी योजनाओं का भी जिक्र किया, जो बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित कर रही हैं।

डॉ. सोलंकी ने सभी राष्ट्रों से मिलकर यह सुनिश्चित करने का आह्वान किया कि “डिजिटल युग हर बच्चे के लिए एक अवसर का स्रोत बने, न कि डर का।”

 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर भारत का ‘AI फॉर ऑल’ विजन किया साझा

“संसद में AI” विषय पर आयोजित कार्यशाला में बोलते हुए डॉ. सोलंकी ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर भारत का स्पष्ट विजन प्रस्तुत किया। उन्होंने कहा कि भारत का AI विजन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के “सबका साथ, सबका विकास” के मंत्र और “सभी के लिए AI” (AI for All) की राष्ट्रीय रणनीति पर आधारित है।

उन्होंने भारत को ग्लोबल पार्टनरशिप ऑन आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (GPAI) के संस्थापक सदस्य और G20 अध्यक्षता के दौरान AI पर वैश्विक सहमति बनाने वाले देश के रूप में प्रस्तुत किया। डॉ. सोलंकी ने पेरिस AI एक्शन समिट का भी उल्लेख किया, जिसकी सह-अध्यक्षता भारत ने फ्रांस के साथ की थी और फरवरी 2026 में अगली श्रृंखला की मेजबानी नई दिल्ली में की जाएगी।

उन्होंने बताया कि भारत ‘लोग (People), प्रकृति (Planet), और प्रगति (Progress)’ के तीन स्तंभों पर आधारित AI चाहता है, जो मानवता की सेवा करे, पर्यावरण की रक्षा करे और समावेशी विकास को बढ़ावा दे। उन्होंने भारत की संसद में ‘डिजिटल संसद’ और रियल टाइम अनुवाद के लिए ‘संसद भाषिणी’ जैसे AI आधारित नवाचारों की भी जानकारी साझा की।

बाल अधिकारों और सुरक्षित गोद लेने की प्रक्रियाओं पर दिया जोर

असेंबली के एक अन्य सत्र में, डॉ. सोलंकी ने अंतर्राष्ट्रीय बाल अधिकारों और गोद लेने की प्रक्रियाओं पर भारत की मजबूत प्रतिबद्धता को दोहराया। उन्होंने कहा कि भारत संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार कन्वेंशन (CRC) और हेग कन्वेंशन का हस्ताक्षरकर्ता है और बच्चों के हितों को सर्वोच्च प्राथमिकता देता है।

उन्होंने स्पष्ट किया कि भारत में सभी गोद लेने की प्रक्रियाएं, चाहे वे किसी भी धर्म की हों, केवल ‘जुवेनाइल जस्टिस (केयर एंड प्रोटेक्शन ऑफ चिल्ड्रन) एक्ट, 2015’ और ‘एडॉप्शन रेगुलेशंस, 2022’ के तहत ही होती हैं। इन कानूनों में 2 साल तक पोस्ट-एडॉप्शन फॉलो-अप का कड़ा प्रावधान है। उन्होंने भारतीय संविधान के अनुच्छेद 23 (मानव तस्करी के खिलाफ) और अनुच्छेद 39(f) (बच्चों के शोषण से बचाव) का भी हवाला दिया। डॉ. सोलंकी ने सभी सदस्य देशों से अवैध और धोखाधड़ी वाले गोद लेने के मामलों से निपटने के लिए कड़े अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा उपायों और द्विपक्षीय सहयोग को मजबूत करने का आग्रह किया।

डॉ. सोलंकी की इस अंतर्राष्ट्रीय असेंबली में सक्रिय भागीदारी, द्विपक्षीय वार्ताओं और विभिन्न वैश्विक मंचों पर भारत के सशक्त और प्रगतिशील विचारों को प्रस्तुत करने के लिए उनकी व्यापक सराहना की गई।

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