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विश्व मंच पर भारत की आवाज़ बने डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी — जिनेवा में इंटर-पार्लियामेंट्री यूनियन असेंबली में भारत का प्रतिनिधित्व

स्विट्ज़रलैंड के जिनेवा में आयोजित 151वीं इंटर-पार्लियामेंट्री यूनियन (Inter-Parliamentary Union – IPU) असेंबली में राज्यसभा सांसद डॉ. सुमेर सिंह सोलंकी ने भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए हिस्सा लिया। यह सम्मेलन 19 से 23 अक्टूबर 2025 तक इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (CICG), जिनेवा में आयोजित हो रहा है, जिसमें विश्व के 28 से अधिक देशों के सांसद, नीति निर्माता और प्रतिनिधि शामिल हैं।

सम्मेलन के पहले दिन स्विट्ज़रलैंड (जिनेवा) में एशिया-प्रशांत समूह की महत्वपूर्ण बैठक आयोजित हुई, जिसमें डॉ. सोलंकी भारतीय संसदीय प्रतिनिधिमंडल के साथ उपस्थित रहे। इस बैठक में भारत की ओर से उड़ीसा से लोकसभा सांसद श्रीमती अपराजिता सारंगी, श्रीमती कमलजीत सेहरावत (दिल्ली), डॉ. संजय जायसवाल (बिहार) और डॉ. सस्मित पात्रा (उड़ीसा) सहित भारतीय उच्च अधिकारी तथा एशिया-प्रशांत क्षेत्र के 28 देशों के सांसद मौजूद थे। इस बैठक में क्षेत्रीय सहयोग, लोकतांत्रिक संस्थाओं की मजबूती, पारदर्शी शासन व्यवस्था और सदस्य देशों के बीच पारस्परिक संवाद की भूमिका पर विचार किया गया।

दूसरे दिन डॉ. सोलंकी को भारत की ओर से औपचारिक सत्र में “Recognizing and Supporting the Victims of Illegal International Adoption and Taking Measures to Prevent this Practice” विषय पर विचार प्रस्तुत करने का अवसर मिला। उन्होंने अपने वक्तव्य में कहा कि अवैध अंतरराष्ट्रीय दत्तक ग्रहण बच्चों के अधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और यह विषय केवल कानूनी नहीं, बल्कि मानवीय संवेदनाओं से जुड़ा हुआ है। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत सरकार ने बच्चों की सुरक्षा, कल्याण और अधिकारों की रक्षा के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं।

उन्होंने कहा कि भारत ने Juvenile Justice (Care and Protection of Children) Act, 2015 और Adoption Regulations, 2022 के माध्यम से यह सुनिश्चित किया है कि प्रत्येक दत्तक प्रक्रिया पूरी तरह पारदर्शी, विधिसम्मत और बच्चों के हित में हो। भारत सरकार ने अवैध दत्तक को रोकने के लिए सशक्त मॉनिटरिंग तंत्र और पोस्ट-एडॉप्शन फॉलो-अप प्रणाली लागू की है, जिसके अंतर्गत दत्तक ग्रहण के बाद दो वर्षों तक बच्चे के स्वास्थ्य, शिक्षा और पारिवारिक समायोजन की नियमित समीक्षा की जाती है।

डॉ. सोलंकी ने भारत के संविधान के अनुच्छेद 23 और 39(1) का उल्लेख करते हुए कहा कि देश मानव तस्करी और शोषण के किसी भी रूप के प्रति शून्य-सहनशीलता की नीति अपनाता है। उन्होंने कहा कि भारत, संयुक्त राष्ट्र बाल अधिकार संधि (UNCRC) और हेग कन्वेंशन के प्रति पूर्ण रूप से प्रतिबद्ध है और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से ऐसी प्रथाओं को समाप्त करने का प्रयास कर रहा है।

अपने संबोधन में उन्होंने यह भी कहा कि भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था केवल राजनीतिक ढांचा नहीं, बल्कि एक जीवन दर्शन है, जो समानता, सह-अस्तित्व और मानवता के मूल्यों पर आधारित है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत की बढ़ती वैश्विक भूमिका का उल्लेख करते हुए कहा कि आज भारत न केवल अपनी सीमाओं में, बल्कि विश्व स्तर पर भी “वसुधैव कुटुम्बकम्” की भावना के साथ मानवता के लिए कार्य कर रहा है।

डॉ. सोलंकी ने कहा कि दिवाली के पावन अवसर पर विदेशी धरती पर भारत की बात रखने का अवसर मिलना उनके लिए गर्व और सम्मान का विषय है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा नेतृत्व के प्रति आभार व्यक्त किया कि उन्होंने आदिवासी समाज से एक प्रतिनिधि को इस वैश्विक मंच पर भारत की आवाज़ प्रस्तुत करने का अवसर दिया। उन्होंने कहा कि यह सम्मान केवल उनका व्यक्तिगत नहीं, बल्कि पूरे भारतीय आदिवासी समाज का सम्मान है, जिसने अपनी मेहनत, संस्कृति और संवेदनशीलता के बल पर देश के विकास में विशेष योगदान दिया है।

डॉ. सोलंकी ने कहा कि आदिवासी समाज भारत की आत्मा है, जिसने हजारों वर्षों से प्रकृति, संस्कृति और मानवता के बीच संतुलन बनाए रखा है। आज प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सरकार ने इस समाज को सशक्त बनाने और उसका गौरव बढ़ाने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाए हैं — चाहे वह शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्य या प्रतिनिधित्व के क्षेत्र में हो। जिनेवा में भारत का प्रतिनिधित्व करते हुए यह संदेश दिया गया कि भारत का लोकतंत्र सभी वर्गों, विशेष रूप से वंचित और जनजातीय समुदायों के सशक्तिकरण का प्रतीक है।

डॉ. सोलंकी का यह दौरा न केवल भारत की लोकतांत्रिक साख को वैश्विक स्तर पर और मजबूत करता है, बल्कि यह आदिवासी समाज की अस्मिता, शिक्षा और नेतृत्व क्षमता का प्रतीक भी है। उनके वक्तव्य और उपस्थिति ने भारत की विविधता में एकता की भावना को अंतरराष्ट्रीय मंच पर और अधिक प्रखर रूप से उजागर किया।

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